अपरदन (Erosion)
अपरदन (Erosion)
अपरदन (Erosion) Notes in Hindi
- अपरदन शब्द लेटिन भाषा के ‘Erodere’ शब्द से बना है, जिसका तात्पर्य घिसना या कुतरना है । अपरदन एक गतिशील प्रक्रिया है जिसमें शैलें, हिमानी, भूमिगत जल, लहरों, वायु व नदियों द्वारा घिसती, कटती एवं स्थानान्तरित या परिवहित होकर निक्षेपित होती रहती हैं । नदी, भूमिगत जल, हिमानी, पवन, लहरें आदि द्वारा अपरदन निम्नलिखित विधियों से होता हैं
अपरदन विधियों
1. अपघर्षण (Abrasion or Corrasion) ―
- जब अपरदनकारी कारक (नदी, हिमनद, पवन, महासागरीय तरंगें) अपने साथ चट्टानी मलबे व चूर्ण को बहाकर ले जा रहे होते हैं तो ये पदार्थ धरातलीय शैलों का घर्षण करते जाते हैं जिसे अपघर्षण कहते हैं ।
2. सन्निघर्षण (Attrition ) –
- पवन, नदी या लहरों के साथ प्रवाहित शैल कण एवं टुकड़े आपस में रगड़ खाकर टूटते रहते हैं जिसे सन्निघर्षण कहते हैं ।
3. जलदाब क्रिया (Hydraulic Action) –
- नदी जल के भारी दबाव से या जल भँवर के दबाव से चट्टानों के अपरदन की क्रिया को जलदाब क्रिया कहते हैं ।
4. संक्षारण (Corrosion or Solution) –
- जल की रासायनिक क्रिया द्वारा चट्टानों के खनिजों का जल में घुलकर बह जाना संक्षारण कहलाता है ।
5 . अपवाहन (Deflation) –
- पवन द्वारा बालू मिट्टी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर उड़ाकर ले जाना अपवाहन कहलाता है ।
6. गुहिकायन (Cavitation ) –
- नदी में उत्पन्न भंवर से उठने वाली तरंगे नदी के तल में अनेक प्रकार के छिद्रों का निर्माण करती है। जल गर्तिकाएँ तथा अवनमित कुण्ड ऐसे छिद्रों के उदाहरण हैं ।
7. उत्पाटन (Plucking ) –
- जब हिमानी अपने मार्ग में आने वाले शैल खण्ड उखाड़कर उनका परिवहन अपने साथ करती है तो उस क्रिया को उत्पाटन या उत्खनन कहते हैं ।
अपरदित पदार्थ प्रायः तीन रूपों में प्रवाहित होता है।
- घुलकर (Solution) – जल में अनेक पदार्थ घुलकर उसके साथ प्रवाहित होते हैं ।
- निलम्बन (Suspention) — अपरदनकारी कारकों (जल या पवन) के साथ तैरते हुए या लटकते हुए पदार्थ प्रवाहित होते हैं ।
- लुढ़ककर ( Traction ) – चट्टानों के बड़े-बड़े टुकड़े घिसटते हुए और लुढ़कते हुए नदी तल पर प्रवाहित होने को कर्षण या घसीटना कहा जाता है ।
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