चक्रवात (Cyclone) Notes in Hindi
- चक्रवात से अभिप्राय सामान्यतः निम्न वायुदाब के केन्द्र से होता है, जिसके चारों ओर बाहर की ओर वायुदाब क्रमशः बढ़ता जाता है, जिस कारण सभी दिशाओं से हवाएँ अन्दर केन्द्र की तरफ प्रवाहित होने लगती है। फैरल के नियम के अनुसार ये हवाएँ उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के अनुसार होती है अर्थात उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी दायीं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अपने बायीं ओर मुड़ जाती है। ट्रिवार्था के अनुसार “चक्रवात अपेक्षाकृत वे निम्न वायुदाब क्षेत्र होते हैं जो संकेन्द्रीय एवं सटी हुई समदाब रेखाओं से घिरे रहते हैं” । चक्रवातों का आकार प्रायः अण्डाकार, गोलाकार या V अक्षर के समान होता है ।
चक्रवातों की विशेषताएँ –
- चक्रवात निम्नदाब के केन्द्र होते हैं तथा इनमें वायुदाब केन्द्र से बाहर की ओर बढ़ता है ।
- इनमें हवाएँ परिधि से केन्द्र की ओर चलती है ।
- चक्रवातों का आकार अण्डाकार, गोलाकार या V अक्षर के समान होता है।
- चक्रवात मौसम को प्रभावित करते हैं, जिससे वायुदाब का गिरना, चन्द्रमा व सूर्य के चारों तरफ प्रभा मण्डल का स्थापित होना, तीव्र वर्षा का होना इत्यादि ।
- उत्तरी गोलार्द्ध में हवाएँ घड़ी की सुई के विपरीत तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के अनुकूल होती है ।
चक्रवातों के प्रकार ( Types of Cyclone ) :-
(1) शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात ( Temperate Cyclone)
(2) ऊष्ण कटिबन्धीय चक्रवात (Tropical Cyclone)
(1) शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवातः
मध्य अक्षांशो में मौसम कभी एक समान नहीं रहता है। प्रायः यहाँ मौसम परिवर्तित होता रहता है, मध्य अक्षांशो में बनने वाले वायु – विक्षोभ के केन्द्र में कम दाब तथा बाहर की ओर अधिक दाब होता है और प्रायः ये गोलाकार, अण्डाकार या अंग्रेजी के V अक्षर के आकार के होते हैं जिससे इन्हें निम्न या गर्त या ट्रफ कहते हैं। इनका निर्माण दो विपरीत स्वभाव वाली ठण्डी तथा गर्म हवाओं के मिलने से होता है। इन चक्रवातों का क्षेत्र 35° से 65° अक्षांशो के मध्य दोनों गोलार्द्धा में पाया जाता है जहाँ पर ये पछुआ हवाओं के प्रभाव में पश्चिम से पूर्व दिशा में चलते हैं। इनका चलने का क्रम वैसा ही रहता है जैसा कि नदी की धारा में भँवरें ऊपर से नीचे चला करती है। इनके द्वारा वायुमण्डल में मेघों की उत्पत्ति होती है, जो अनुकूल परिस्थितियों में जलवृष्टि या हिमवृष्टि प्रदान करते हैं । इनसे वायुदाब एवं तापमान में परिवर्तन होता है। इन चक्रवातों की गति अनिश्चित होती है । ग्रीष्मकाल की अपेक्षा शीतकाल में इनकी गति तीव्र होती है ।
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्तिः
- शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति मुख्य रूप से ध्रुवीय वाताग्रों पर होती है किन्तु अयनवृर्ती क्षेत्रों से बाहर इनकी उत्पत्ति कहीं भी हो सकती है। इनकी उत्पत्ति व विकास शीत ऋतु में अधिक होता है । उत्तरी गोलार्द्ध में ये चक्रवात उत्तरी प्रशान्त महासागर के पश्चिमी तटवर्ती से अल्यूशियन निम्नदाब क्षेत्र एवं उत्तरी अटलांटिक महासागर के पश्चिमी किनारे से आइसलैण्ड स्थित निम्नदाब क्षेत्र तक तथा इसके अलावा चीन, फिलीपीन्स, साइबेरिया प्रमुख क्षेत्र है । दक्षिणी गोलार्द्ध में ग्रीष्म व शीतकाल में इन चक्रवातों की उत्पत्ति समानरूप से होती है । यहां पर 60° दक्षिणी अक्षांश के आसपास सर्वाधिक चक्रवात उत्पन्न होते हैं ।
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के प्रकार:
इन चक्रवातों को तीन भागों में विभाजित किया गया है-
(i) तापीय चक्रवात
(ii) गतिक चक्रवात
(iii) प्रवासी चक्रवात
- इन चक्रवातों के आने से पूर्व आकाश में सफेद बादलों की लम्बी लेकिन पतली टुकड़ियाँ दिखाई देने लगती है, जब कभी बैरोमीटर में निरन्तर पारा गिरने लगे, हवाएँ अपनी दिशा बदलने लगे, सूर्य और चन्द्रमा के चारों ओर प्रभा मण्डल बन जाए तथा हवा बंद होने से नालियों में बदबू आने लगे तो समझना चाहिए कि चक्रवात आने वाला है ।
(2) ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातः
- ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात भूमध्य रेखा से दोनों ओर कर्क ओर मकर रेखाओं के मध्य पाये जाते हैं। ये चक्रवात अनेक रूपों में दिखाई देते हैं । ये प्रभावित क्षेत्र में तीव्र गति से उग्र रूप धारण कर उत्पात मचाते रहते हैं । शीतोष्ण चक्रवातों के समान इनमें समरूपता नहीं पाई जाती है।
इन चक्रवातों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है-
- इनके केन्द्र में न्यूनदाब होता है तथा इनकी समदाब रेखाओं का आकार गोलाकार होता है।
- इनकी गति में भिन्नता पाई जाती है । कहीं पर इनकी गति 32 किमी प्रति घण्टा तथा कहीं पर 200 किमी प्रति घण्टा होती है ।
- इनके आकारों में काफी भिन्नता होती है। साधारणतया इनका व्यास 80 से 300 किमी तक होता है ।
- ये चक्रवात स्थायी होते हैं । एक स्थान पर कई दिनों तक वर्षा करते हैं।
- ये चक्रवात अधिक विनाशकारी होते हैं।
- ये चक्रवात सागरों के ऊपर तीव्र गति से चलते हैं परन्तु स्थल पर आते ही कमजोर पड़ जाते हैं ।
चक्रवातों की उत्पत्तिः
- ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति 8° से 15° उत्तरी अक्षांशो के मध्य महासागरों पर होती है। ये ग्रीष्म काल में अधिक उत्पन्न होते हैं। इनका जन्म तथा विकास क्षेत्र सागरीय भाग ही होते हैं। ये स्थल पर आते-आते विलीन हो जाते हैं। ये चक्रवात अत्यधिक शक्तिशाली तथा विनाशकारी तूफान होते हैं। इनको पश्चिमी द्वीप समूह के निकट हरीकेन, चीन, फिलिपीन्स व जापान में टाइफून तथा हिन्द महासागर में साइक्लोन कहते हैं । इन चक्रवातों की उत्पत्ति उत्तरी अटलांटिक महासागर, मैक्सिको की खाड़ी, पश्चिमी द्वीप समूह, कैरेबियन सागर, उत्तरी तथा दक्षिणी महासागर, चीन सागर तथा प्रशान्त महासागर के अधिकांश क्षेत्रों पर पाया जाता है ।
ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों को निम्न भागों में बाँटा गया है-
(1) क्षीण चक्रवात
(2) प्रचण्ड चक्रवात
(3) हरीकेन या टाइफून
(4) टारनैडो
- हरीकेनः संयुक्त राज्य अमेरिका में ऊष्ण कटिबंधीय प्रचण्ड चक्रवात का नाम ।
- टाइफूनः हरिकेन की तरह चीन में पूर्वी तट पर आने वाला प्रचण्ड चक्रवात ।
- टारनैडो: आकार की दृष्टि से सबसे छोटा किन्तु सर्वाधिक भयंकर एवं विनाशकारी ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात जो मुख्यतः संयुक्त राज्य अमेरिका की मिसीसिपी घाटी तथा गौण क्षेत्र आस्ट्रेलिया में आते हैं ।
चक्रवात उत्पत्ति के सिद्धान्तः
चक्रवातों की उत्पत्ति के संबंध में निम्न प्रमुख सिद्धान्त प्रतिपादित किये गये हैं-
(1) स्थानीय तपन सिद्धान्त
(2) गतिक सिद्धांत ( लैम्पर्ट तथा शॉ)
( 3 ) ध्रुवीय वाताग्र सिद्धान्त (बर्कनीज 1918)
चक्रवात क्या है ? चक्रवात के कारण , प्रकार , उत्पत्ति और विशेषताएँ FAQ –
1. चक्रवात कब होता है?
(A) जब केंद्र में निम्न दाब और चारों ओर उच्च दाब होता है
(B) जब केंद्र में दाब और चारों ओर का दाब बराबर होता है
(C) जब चारों ओर निम्न दाब होता है
(D) जब केंद्र में उच्च दाब और चारों ओर निम्न दाब होता है
2. ‘टॉरनेडो’ क्या है? [RRB 2002]
(A) एक अति उच्च दाब केंद्र
(B) एक अति निम्न दाब केंद्र
(C) एक अति उच्च समुद्री लहर
(D) एक भूमण्डलीय पवन
3. चक्रवात की आकृति किस प्रकार की होती है?
(A) अंडाकार
(B) गोलाकार
(C) त्रिभुजाकार
(D) उपर्युक्त सभी
4. चक्रवात का शांत क्षेत्र क्या कहलाता है?
(A) चक्षु
(B) गर्त
(C) परिक्षेत्र
(D) केंद्र
5. ‘चक्रवात की आंख’ किसकी विशेषता है?
(A) उष्ण कटिबंधीय चक्रवात की
(B) प्रतिचक्रवात की
(C) उष्णार्द्र चक्रवात की
(D) आक्लूडेड वाताग्र की