जन्तु ऊतक और पादप ऊतक | ExamSector
जन्तु ऊतक और पादप ऊतक

ऊतक ( जन्तु ऊतक और पादप ऊतक )

जन्तु ऊतक और पादप ऊतक

ऊतक (Tissue)

  • समान आकार-प्रकार की कोशिकाओं का समूह ऊतक (Tissue) कहलाता है, जो मिलकर किसी एक कार्य को संपन्न करता है।
  • एककोशिकीय जीवों, एवं कुछ निम्न वर्गों के जीवों के अलावा संपूर्ण जीव-जगत में कोशिकाएँ आपस में संयोजित होकर ऊतकों का निर्माण करती है, जो किसी विशेष प्रकार के कार्य को करने में निर्गुण होते हैं। ऊतकों को बनाने वाली कोशिकाओं की संरचना, प्रकार एवं उतकों द्वारा संपन्न होने वाले विभिन्न कार्यों के आधार पर विभिन्न प्रकार के ऊतकों की संरचना भिन्न-भिन्न होती है। कुछ कोशिकाओं के बीच अंर्तकोशिकीय अवकाश पाया जाता है, कुछ में नहीं, और कुछ में पाया जाता है, लेकिन बहुत कम। ये अंतर्कोशीकीय अवकाश एवं इनमें भरा हुआ अंर्तकोशिकीय द्रव्य भी ऊतकों की प्रवृत्त का निर्धारण करता है।
  • जैसा कि हम जानते हैं कि पादप भी जीवित होते हैं, और जीवन की मूलभूत आवश्यकताएँ उनको भी होती हैं, जिनकी पूर्ति के लिए उनमें अनेक प्रकार के कार्य होते हैं। किंतु पादपों का शरीर और शरीर में होने वाली क्रियाएँ जंतुओं से पूर्णतः भिन्न होती हैं। अतः पादप ऊतक भी जंतु ऊतकों से भिन्न होते हैं जो अपने शरीर में होने वाली क्रिया-विधि यों के लिए अनुकूलित होते हैं।

पादप तथा जंतु ऊतक (Plant and Animal Tissues)

पादपों में मुख्य रूप से दो प्रकार के ऊतक पाये जाते हैं-

  1. विभज्योतक (Meristematic Tissue) -इनमें विभाजन की अपार क्षमता पाई जाती है।
  2. स्थायी ऊतक (Permanent Tissue) -ये विभाजन की क्षमता खो कर विभिन्न प्रकार के कार्यों को संपादित करते हैं।

स्थायी ऊतक को पुनः उनकी संरचना की जटिलता के आधार पर दो प्रकारों में बॉटा जाता है-

  1. सरल स्थायी ऊतक (Simple Permanent Tissue)
  2.  जटिल स्थायी ऊतक (Complex Permanent Tissue)

सरल स्थायी ऊतकों को पुनः उनकी कोशिकाओं की प्रवृत्यिों एवं अंतराकोशिकीय अवकाश के आधार पर तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है-

  1.  पैरेनकाईमा (Parenchyma)
  2. कोलेनकाईमा (Cholenchyma)
  3. स्केलेरेनकाईमा (Schalerenchyma)

इसी प्रकार जटिल स्थायी ऊतक भी उनके द्वारा संपादित कार्यों के आधार पर दो प्रकार के होते हैं-

  1. जाइलम (Xylem)
  2. फ्लोएम (Pholem)

इसी प्रकार जंतु ऊतकों को भी मोटे तौर पर चार भागों में बाँटा जा सकता है-

  1. उपकला ऊतक (Epithelial Tissue)
  2. संयोजी ऊतक (Connective Tissue)
  3.  पेशीय ऊतक (Muscular Tissue)
  4. तंत्रिका ऊतक (Nervous Tissue)

पादप ऊतक (Plant tissues)

  • पादपों को सूक्ष्म अवलोकन करने पर हमें मालूम चलता है पादपों में वृद्धि कैसी होती है? उनमें भोजन का संग्रह कहाँ और कैसे होता है? पादप के कौन से अंग मजबूत होते हैं कौन-से नाजुक होते हैं? पादपों में शाखाएँ, पत्तियाँ कहाँ से निकलती हैं? आदि। पादपों के विभिन्न अंगों में संपन्न होने वाली विभिन्न प्रकार की क्रियाओं तथा इनकी वृद्धि का विशिष्ट प्रारूप विभिन्न प्रकार के पादप ऊतकों का विभिन्न स्थलों पर उपस्थित रहकर अपना विशिष्ट कार्य संपादित करता है।

जंतु ऊतक (Animal tissues)

  • जन्तुओं के ऊतक पादपों के ऊतक से पूर्णतः भिन्न होते हैं, और इनका कार्य भी भिन्न प्रकार से होता है। जन्तुओं में कुछ कार्य पादपों से अतिरिक्त होते हैं, जैसे प्रचलन (Locomotion) तंत्रिकीय नियंत्रण (Nervous control) आदि।

जन्तु ऊतक और पादप ऊतक FAQs

जंतु उत्तक और पादप उत्तक में क्या अंतर है?

  • पादप कोशिकाओं में बड़ी रिक्तियां होती है। जंतु कोशिकाओं में रिक्तियां कम होती है या होती ही नहीं है। पादप कोशिकाएं सामान्यत: वृताकार होते हैं लेकिन जंतु कोशिकाओं का आकार आयताकार होते हैं। यह कोशिकाएं पौधे और जंतुओं में जीवित होना जरुरी है, जिससे उनका विकास हो सके।

ऊतक के 4 प्रकार क्या हैं?

  • उनके कार्य के आधार पर हम विभिन्न प्रकार के जंतु ऊतकों के बारे में विचार कर सकते हैं जैसे कि एपिथीलियमी ऊतक, संयोजी ऊतक, पेशीय ऊतक तथा तंत्रिका ऊतक।

जन्तु ऊतक और पादप ऊतक

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