जेट स्ट्रीम (Jet Stream) in Hindi क्या है? जेट स्ट्रीम के प्रकार और प्रभाव
जेट स्ट्रीम (Jet Stream) in Hindi
- मध्य अक्षांशीय क्षोभमण्डल के ऊपरी स्तरों में, क्षोभ – सीमा के पास, अत्यधिक तीव्र गति से बहने वाली हवाओं को “जेट स्ट्रीम” कहते हैं । ये सँकरी, सर्पीली एवम् तेज गति वाली वायु धाराओं की पट्टियाँ हैं । ये पृथ्वी का चक्कर लगाती रहती हैं। इनकी चौड़ाई 40 से 160 किमी. तक तथा मोटाई 2 से 3 किमी. तक होती है। इनकी गति 120 किमी. प्रति घण्टा से भी अधिक होती है। शीतकाल में इनकी गति अधिक तीव्र होती है।
- इन वायु धाराओं की स्थिति मौसम के अनुसार बदलती रहती है। जेट स्ट्रीम के मार्ग गर्मियों में ध्रुवों की ओर तथा सर्दियों में विषुवत रेखा की ओर खिसक जाते हैं । इन वायु धाराओं की सर्वप्रथम जानकारी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई थी । युद्ध समाप्ति के बाद इनके विषय में व्यापक खोजबीन की गई। यद्यपि मौसम वैज्ञानिक इनकी उत्पत्ति एवम् कुछ अन्य पहलुओं पर एकमत नहीं हैं, फिर भी इनके विषय में काफी जानकारी जुटा लेने से वायुयान चालकों द्वारा इनके प्रवाह का अनुकूल दिशा में उपयोग कर लिया जाता है।
जेट स्ट्रीम को दो वर्गों में विभक्त किया जाता है –
(i) उपोष्ण जेट स्ट्रीम, तथा
(ii) मध्य अक्षांशीय या ध्रुवीय वाताग्री जेट स्ट्रीम |
(i) उपोष्ण जेट स्ट्रीम (Subtropical Jet Stream) –
- इनकी स्थिति क्षोभ सीमा के पास 30-35 ° अक्षांशों के बीच दोनों गोलाद्धों में पाई जाती है। ये वर्ष भर बहती है। इनकी उत्पत्ति पृथ्वी की घूर्णन क्रिया के कारण होती है। पृथ्वी का यह घूर्णन विषुवत् रेखा के ऊपर वायुमण्डल में अधिकतम गति उत्पन्न करता है। इसके परिणामस्वरूप विषुवतीय कटिबन्ध में ऊपर उठने वाली वायुधाराएँ ऊपर जाकर उत्तर और दक्षिण की ओर फैलकर अधिक तेज गति से बहने लगती हैं। ये वायु धाराएँ कॉरिआलिस बल के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी दाई ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अपनी बाईं ओर विक्षेपित हो जाती है। ये ही वायुधाराएँ लगभग 30° अक्षांशों पर पहुँचकर उपोष्ण जेट स्ट्रीम बन जाती हैं।
(ii) मध्य अक्षांशीय या ध्रुवीय वाताग्री जेट स्ट्रीम (Mid Latitudinal or Polar Front Jet Stream) –
- इनकी उत्पत्ति तापान्तर के कारण होती है और ध्रुवीय वाताग्र से घनिष्ठ सम्बन्ध रखती है। इनकी स्थिति 40 – 60° अक्षांशों के बीच दोनों गोलाद्धों में होती है। इनकी स्थिति उपोष्ण जेट स्ट्रीम की अपेक्षा अधिक परिवर्तनशील होती है। ग्रीष्म ऋतु में ये ध्रुवों की ओर तथा ऋतु में विषुवत् रेखा की ओर खिसक जाती है।
- यद्यपि जेट स्ट्रीम को अभी तक पूर्णतः नहीं समझा जा सका है, तथापि मौसमी दशाओं पर इनका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है । चक्रवात, प्रति चक्रवात, मानसून, प्रचण्ड वायु तथा तूफान जैसी मौसमी घटनाओं को निर्मित करने, प्रेरित करने और भयंकर बनाने में इन वायुधाराओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।
महत्वपूर्ण बिन्दू –
- मध्य अक्षांशों में क्षोभमण्डल के ऊपरी स्तरों में अत्यधिक तीव्र गति से बहने वाली हवाएँ ‘जेट स्ट्रीम’ कहलाती है ।
- भिन्न गुणों वाली वायुराशियों के मिलने की सीमा वाताग्र कहलाती है। गुणों के आधार पर वाताग्र दो प्रकार के होते है – उष्ण वाताग्र एवं शीत वाताग्र ।
- चक्रवात – निम्न दाब केन्द्र में और बाहर की ओर उच्च दाब पाया जाता है। उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के प्रतिकूल एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के अनुकूल वायु प्रवाह, आंधी, तूफान, गर्जना के साथ वर्षा होती है।
- प्रतिचक्रवात – वायुदाब एवं पवनों की गति चक्रवातों के ठीक विपरीत होती है, इसमें मौसम शुष्क एवं साफ रहता है।
जेट स्ट्रीम (Jet Stream) in Hindi FAQ –
Q – जेट स्ट्रीम क्या है?
Answer:- यह एक संकरी पट्टी में स्थित क्षोभमंडल में अत्यधिक ऊँचाई वाली पश्चिमी हवाएं हैं। इनकी गति गर्मी में 110 कि.मी. प्रति घंटा एवं सर्दियों में 184 कि.मी. प्रति घंटा होती है। सबसे स्थिर मध्य अक्षांशीय एवं उपोष्ण कटिबंध की जेट हवाएं होती हैं।
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