धार्मिक आंदोलन ( सूफी आन्दोलन/सूफीवाद ) | ExamSector
धार्मिक आंदोलन ( सूफी आन्दोलन/सूफीवाद )

धार्मिक आंदोलन ( सूफी आन्दोलन/सूफीवाद )

  • सूफीवाद का शुद्ध शब्द ‘तसव्वुफ’ अर्थात् ‘परमसत्य’ का ज्ञान प्राप्त करना है।
  • सूफी शब्द की उत्पत्ति को लेकर विद्वानों में मतभेद है लेकिन अधिकांश विद्वानों का मानना है कि इसकी उत्पत्ति अरबी भाषा के शब्द ‘सूफ’ से हुई है जिसका अर्थ है’ऊन’। अर्थात् वे मुस्लिम संत जो सांसारिकता से अलग होकर निर्धनता का जीवन व्यतीत करते थे और ऊनी कपड़ा पहनते थे वही सूफी कहलाए।
  • सूफीवाद का उदय इस्लाम के उदय के साथ माना जाता है।

प्रारम्भिक सूफी संत इस्लामी कानूनों को अनिवार्य मानते थे बाद में यह दो भाग में बँट गए –

  1.  बा-शरा-वे सूफी जो इस्लामी रीति-रिवाजों एवं परम्पराओं का पालन करना अनिवार्य समझते थे। वे बा-शरा कहलाए।
  2.  बे-शरा-वे सूफी संत जो इस्लामी परम्पराओं या कानूनों को पालन करना अनिवार्य नहीं समझते थे।
  •  सूफीवाद में प्रेम को महवपूर्ण स्थान दिया गया और यह प्रेम ईश्वरीय प्रेम है जिसको ‘इश्क-ए-हकीकी’ कहा जाता है।

भारत में सूफीवाद —

  •  भारत में प्रारम्भिक सूफीवाद का इतिहास अस्पष्ट है लेकिन भारत में सूफीवाद का वास्तविक संस्थापक/प्रचारक अबुल हसन हुजिब्ररी को माना जाता है जिन्हें हजरत दातागंज भी कहा जाता है। ये महमूद गजनवी के समकालीन थे जो गजनवी के समय पंजाब आए।
  •  अबुल फजल ने 14 सिलसिलों की चर्चा किए लेकिन भारत में चार सिलसिले ही लोकप्रिय हुए.

1. चिश्ती सिलसिला

  • चिश्ती सिलसिला का संस्थापक ख्वाजा अबूइश्हाकसामी चिश्ती थे। भारत में इस शिलशिला के संस्थापक ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती थे।

2. सुहरावर्दी सिलसिला

  • इस सिलसिला के संस्थापक शिहाबुद्दीन सहरावर्दी थे भारत में इसके संस्थापक शेख बहाउद्दीन जकारिया थे।

3. कादिरी सिलसिला

  • इस सिलसिला का संस्थापक शेख अब्दुल कादिर जिलानी थे और भारत में इसके संस्थापक शेख मुहम्मद जिलानी थे।
  • शेख मुहम्मद जिलानी 1481 ई. में भारत आए और उच्छ में अपनी खानकाह स्थापित किए।
  • इस सिलसिले के संत शासकीय सेवा को अच्छा मानते थे और संगीत को प्रश्रय नहीं दिया।
  • इस सिलसिले के संत हरे रंग की पगड़ी बांधते थे और गुलाब का फूल लगाते थे जो शांति का प्रतीक था।

4. नक्शबंदी सिलसिला

  •  इस सिलसिले का संस्थापक शेख बहाउद्दीन नक्शबंदी थे और भारत में इसके संस्थापक ख्वाजा बाकी बिल्लाह थे।
  •  ख्वाजा बाकी बिल्लाह 1597 ई. में अकबर के समय काबुल से दिल्ली आए और यहीं अपनी खानकाह स्थापित किए। ये सूफियों में काफी कट्टर थे जो अकबर की उदार नीतियों का प्रतिकार करने दिल्ली आए।
  •  ख्वाजा बाकी बिल्लाह के बाद शेख फारुख अहमद सरहिन्दी इस सिलसिले के संत हुए। ये भी बहुत कट्टर संत थे। इन्होंने भारत में इस्लाम धर्म का भरपूर प्रचारप्रसार किया इसीलिए इन्हें मुजादिया/मुजादिद (पुनर्जागरण करने वाला) की उपाधि दी गई। इन्होंने अपने आप को कयूम घोषित किया।

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