निक्षेपण (Deposition) in Hindi
निक्षेपण (Deposition)

निक्षेपण (Deposition)

निक्षेपण (Deposition) in Hindi

  • अपरदनात्मक कारकों की गति धीमी पड़ने पर तथा ढाल कम होने पर प्रवाहित मलबे के जमा होने की क्रिया को निक्षेपण कहते हैं। तलछटीय निक्षेपण से अवसादीय शैलों का निर्माण होता है।

सामुहिक स्थानान्तरण (Mass Translocation) –

  • वृहत मात्रा में शैल मलबे के गुरूत्वाकर्षण बल के द्वारा ढाल के सहारे संचलित व स्थानान्तरित होना सामुहिक स्थानान्तरण कहलाता है । असंगठित शैल मलबे के लुढ़कने में गुरूत्वाकर्षण शक्ति उत्तरदायी होती है। ढालों से खिसककर शैल कणों (Rock Waste) का तलहटी पर ढेर लग जाता है । चट्टान चूर्ण का यह ढेर टालस (Talus) कहलाता है। ढीली चट्टानों के शंकुनुमा ढेर को टालस शंकु (Talus Cone) कहते हैं। असंगठित ढीले पदार्थ के लुढ़कने या सरकने की मात्रा व गति के अनुसार सामुहिक स्थानान्तरण को तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है:

1. मन्द गति सामूहिक स्थानान्तरण –

  • जल की नमी कम मात्रा में होने के कारण भग्न चट्टान चूर्ण (Rock Waste) धीमी गति से सरकता है। उपध्रुवीय शीत प्रदेशों में मंद बहाव की क्रिया अधिक होती है । मन्द वाह क्रिया के अन्तर्गत भूमि सर्पण (Solifluction) शैल सर्पण ( Rock Creep), टालस सर्पण (Talus Creep) एवं मृदा सर्पण (Soil creep) शामिल किये जाते हैं ।

2. तीव्र गति सामूहिक स्थानान्तरण –

  • जल की प्रचुरता से शैलचूर्ण संतृप्त होकर तीव्रता से खिसकता है। तीव्र वाह के अन्तर्गत भूमिवाह (Earthflow) पंकवाह (Mudflow) एवं चादर वाह (Sheet Wash) को शामिल किया जाता है। नदी घाटियों की दीवारों पर खिसकते पंकवाह को देखा जा सकता है ।

3. अत्यधिक तीव्र सामूहिक स्थानान्तरण –

  • अति तीव्र वाह के लिए जल की नमी का होना आवश्यक नहीं है। बड़े शिलाखण्ड गुरूत्व बल से अचानक गिरने लगते हैं। इसके अन्तर्गत भूमि रूस्खलन (Land Slide) शैल स्खलन (Rock Slide), शैल पात (Rock Fall) मलबा स्खलन (Debris Slide) मलवापात (Debris Fall) तथा अवपातन ( Slump) की प्रक्रिया शामिल की जाती है ।

महत्वपूर्ण बिन्दु –

  1. नाच्छादन अपक्षय, अपरदन एवं सामुहिक स्थानान्तरण की क्रियाओं का योग है।
  2. शैलों का अपने ही स्थान पर विघटन व वियोजन द्वारा टूटने को अपक्षय कहते हैं ।
  3. अपरदन शब्द लेटिन भाषा के ‘Erodere’ शब्द से बना है जिसका तात्पर्य घिसना या कुतरना है।
  4. हवा, नदी या लहरों के साथ प्रवाहित शैल कण एवम् टुकड़े आपस में रगड़ खाते हैं जिसे सन्निघर्षण कहते हैं ।
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