मुगलकालीन संगीत-कला | ExamSector
मुगलकालीन संगीत-कला

मुगलकालीन संगीत-कला

  • मुगलकाल में संगीत कला का अत्यधिक विकास हुआ। बाबर को संगीतकला में रुचि थी। वह आराम के क्षणों में संगीत सुनना पसंद करता था।
  • हुमायूँ को भी संगीत में अत्यधिक रुचि थी। इसके दरबार 29 गायक एवं वादक रहा करते थे। इसने बच्चा नामक संगीतकार को मांडू से बुलाया था।
  • अकबर के समय में संगीत का सर्वाधिक विकास हुआ।
  • अकबर ने लाल कुलवंत नामक उस्ताद से हिन्दुस्तानी गायकी का प्रशिक्षण प्राप्त किया था।
  • अकबर स्वयं बहुत अच्छा नगाड़ा बजाता था।
  • अबुल फजल ने आइन-ए-अकबरी में 36 संगीतकारों का उल्लेख किया है। जिनमें तानसेन सर्वप्रमुख थे।
  • तानसेन का वास्तविक नाम रामतनु पांडेय था। यह ग्वालियर के रहने वाले थे।

अकबर के समय के संगीतकार 

1.मश्शाद 2. मियाँ चाँद 3.हिरात 4. बाजबहादुर 5.किपचाक 6. विचित्र खाँ 7. तानसेन  8. सरोद खाँ  9.रामदास 11. रंगसेन 12.सुभान मियाँ 13. अब्दुर्रहीम खानखाना

शाहजहाँ के समय के प्रमुख संगीतकार

1.पं. जगन्नाथ 3. दुरंग खाँ 2. लाल खाँ 4. सुखसेन

जहाँगीर के समय के संगीतकार

1.जहाँगीर दाद 2. विलास खाँ 3. परवेज दाद 4. छत्र खाँ 5. हम्जा 6. शौकी

  • शाहजहाँ स्वयं भी एक अच्छा गायक था। इसके समय में ध्रुपद गायन का अत्यधिक विकास हुआ। इसने लाल खाँ को ‘गुन समुन्दर’ की उपाधि दी थी।
  • औरंगजेब रूढ़िवादी एवं धार्मिक दृष्टि से कट्टर बादशाह था, धार्मिक कारणों से यह संगीत को पसंद नहीं करता था।
  • औरंगजेब स्वयं वीणा बजाता था।

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