मुगल वंश | औरंगजेब (1658-1707 ई. )
मुगल वंश | औरंगजेब (1658-1707 ई. )
- इसका जन्म 1618 में उज्जैन के निकट दोहद नामक स्थान पर हुआ था।
- इसने दो बार अपना राज्याभिषेक करवाया।
- 1658 में आगरा में और 1659 में दिल्ली में।
- गद्दी पर बैठते ही इसने छोटे-छोटे 80 करों को समाप्त कर दिया।
- इस्लाम धर्म के प्रति इसकी कट्टरता इतनी अधिक थी कि इसे दरबेश एवं जिंदा पीर के नाम से जाना जाता था।
- इसका राजत्व का सिद्धांत इस्लामी राजत्व का सिद्धांत था।
औरंगजेब काल के प्रमुख अभियान
जाटों का विद्रोह
- 1669 में गोकुल के नेतृत्व में मथुरा के आस-पास के क्षेत्रों में जाटों ने विद्रोह किया।
- 1670 में मथुरा के केशवराय मंदिर को तुड़वाकर इसके स्थान पर मस्जिद का निर्माण कराया तो यहां विद्रोह बढ़ गया।
सतनामियों का विद्रोह
- 1672 में मेवात और नारानौल क्षेत्र में सतनामियों ने विद्रोह कर दिया।
- यह विद्रोह एक मुगल सिपाही तथा एक सतनामी साधु के सामान्य झगड़े से शुरु हुआ और बड़ा रूप धारण कर लिया।
सिक्खों का विद्रोह
- औरंगजेब के समय सिक्खों के नए गुरु तेगबहादुर थे।
- इन्होंने औरंगजेब की धार्मिक नीतियों का विरोध किया।
- औरंगजेब ने इन्हें दिल्ली बुलाया और इस्लाम धर्म स्वीकार करने को कहा।
- गुरु तेगबहादुर ने इसका विरोध किया और जिसकी वजह से 1775 में इन्हें मृत्यु दण्ड दे दिया गया।
- सिक्खों के 10वें गुरु गुरुगोविंद सिंह हुए।
- इन्होंने 80 हजार सैनिकों की खालसा सेना तैयार की।
अकबर का विद्रोह
- यह औरंगजेब का पुत्र था।
- 1681 में इसने विद्रोह कर दिया और भागकर मराठा शासक सम्भाजी के पास रायगढ़ में शरण ली।
- 1682 में यह फारस चला गया।
औरंगजेब की दक्षिण विजय
- औरंगजेब की दक्षिण विजय का मुख्य उद्देश्य साम्राज्य का विस्तार करना था। इसके अतिरिक्त दक्षिण में मराठे मुगलों के लिए भावी खतरा बन रहे थे अतः इनकी शक्ति को समाप्त करना औरंगजेब का उद्देश्य था।
बीजापुर अभियान (1685-86)
- इस समय बीजापुर का सुल्तान सिकन्दर आदिल शाह था।
- औरंगजेब ने इसे पराजित कर इसके किले पर अधिकार कर लिया और इसे 1 लाख रुपये वार्षिक पेंशन देकर
- बीजापुर को मुगल साम्राज्य में मिला लिया।
गोलकुण्डा अभियान (1686-87)
- इस समय गोलकुण्डा का शासक अबुल हसन कुतुबशाह था।
- औरंगजेब ने इसे बंदी बना लिया और इसे 50 हजार रुपये वार्षिक पेंशन देकर इसके राज्य को मुगल साम्राज्य में मिला लिया।
मराठों से संघर्ष
- मराठों ने औरंगजेब को अत्यधिक परेशान किया।
- मराठों में शिवाजी ने मुगलों से निरन्तर संघर्ष किया और महाराष्ट्र में मराठों के स्वतंत्र राज्य की स्थापना की। शिवाजी के बाद इनका पुत्र संभाजी मुगलों से निरन्तर संघर्ष किया।
- 1689 में औरंगजेब ने सम्भाजी को बन्दी बना लिया और इनकी हत्या कर दी तथा मराठा राज्य पर अधिकार कर लिया।
- 1707 में अहमदनगर के पास औरंगजेब की मृत्यु हो गई और औरंगाबाद में इसको दफनाया गया।
औरंगजेब की प्रतिक्रियावादी कार्य
- हिन्दुओं पर पुनः जजिया कर लगाना।
2. राजपूतों को छोड़कर हिन्दुओं को अच्छे घोड़े एवं पालकी की सवारी पर रोक।
3.मंदिरों के निर्माण एवं मरम्मत पर रोक।
4.संगीत पर प्रतिबंध।
5. इतिहास लेखन एवं ज्योतिष पर रोक।
6. मंदिरों को तोड़ने का आदेश।
औरंगजेब के काल में होने वाले विद्रोह
1.जाटों का विद्रोह | गोकुल के नेतृत्व | 1669 से में प्रारंभ जीवन पर्यन्त |
2. सतनामियों का विद्रोह | 1672-73 | |
3.सिक्खों का विद्रोह | गुरु गोविन्द सिंह | 1675 से के नेतृत्व में जीवन पर्यन्त |
4.राजपूतों का विद्रोह | 1678 से जीवन पर्यन्त | |
5. अकबर का विद्रोह | 1681-82 | |
6.बुंदेलों का विद्रोह | चंपतराय एवं छवशाल के नेतृत्व में | 1672 से जीवन पर्यन्त चला। |
महत्वपूर्ण तथ्य –
- औरंगजेब को आलमगीर भी कहा जाता है। यह इसकी उपाधि थी।
- औरंगजेब ने कुरान की हस्तलिखित दो प्रतियाँ मक्का और मदीना भेजा।
- पुत्र जन्म के समय हिन्दुओं से लिया जाने वाला कर समाप्त किया।
- इसके समय में प्रशासन में सर्वाधिक हिन्दु मनसबदार थे।
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