मुगल वंश - हुमायूँ (1530 ई.-1556 ई.) | ExamSector
मुगल वंश – हुमायूँ (1530 ई.-1556 ई.)

मुगल वंश – हुमायूँ (1530 ई.-1556 ई.)

  • हुमायूँ नाम का आशय भाग्यशाली होता है लेकिन यह मुगल शासकों में सबसे अभागा शासक हुआ।
  • 1530 में आगरा में इसका राज्याभिषेक हुआ।
  • गद्दी पर बैठते ही अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

इसकी मुख्य समस्यायें थीं—

  1.  अफगान समस्या
  2.  कमजोर सैन्य व्यवस्था
  3.  हुमायूँ के भाई

(1) अफगान समस्या 

  • महमूद लोदी अपने को अभी भी दिल्ली का वास्तविक उत्तराधिकारी मानता था।
  • अफगानों में सबसे महत्वपूर्ण शेर खां था जो हुमायूँ के लिए सबसे बड़ी समस्या बना।

(2) कमजोर सैन्य व्यवस्था

  • राजकोष खाली हो जाने के कारण हुमायूँ एक बड़ी सेना नहीं रख सका।

(3) हुमायूँ के भाई

  • हुमायूँ ने अपने भाइयों के साथ उदारता का व्यवहार किया और साम्राज्य का वास्तविक विभाजन कर दिया।
  • कामरान को काबुल, कंधार एवं पंजाब दे दिया, अस्करी को संभल का क्षेत्र एवं हिन्दाल को मेवात का क्षेत्र दे दिया।

हुमायूँ के अभियान

कालिंजर अभियान (1531)

  • इस समय कालिंजर का शासक प्रतापरुद्रदेव था।
  • एक महीने के घेरे के बाद जब किले को नहीं जीत सका तो प्रतापरुद्रदेव ने संधि कर ली।

चुनार का प्रथम घेरा (1532)

  • चुनार का किला इस समय शेर खाँ सूर के अधीन था।
  • हुमायूँ चार महीने तक इसका घेरा डाले रहा लेकिन जीत ___ नहीं सका।
  • शेर खाँ भी लड़ने की स्थिति में नहीं था।

मालवा एवं गुजरात अभियान (1534-35)

  • इस समय मालवा का शासक बहादुरशाह था।
  • हुमायूँ के आक्रमण से भयभीत होकर बहादुरशाह भाग गया और इस तरह बहुत आसानी से हुमायूँ का मालवा एवं गुजरात पर अधिकार हो गया।
  • हुमायूँ ने अस्करी को यहां का सूबेदार नियुक्त किया।
  • अस्करी कानून व्यवस्था बनाने में असफल रहा परिणामस्वरूप बहादुरशाह छिपे हुए स्थान से बाहर आया और अपनी प्रजा के सहयोग से गुजरात पर पुनः अधिकार किया।

चुनार का द्वितीय अभियान (1537)

  • शेर खाँ ने 1537 में बंगाल पर आक्रमण किया।
  • इस अवसर पर बंगाल के शासक गयासुद्दीन महमूद शाह ने हुमायूँ से सहायता की मांग की परंतु हुमायूँ सहायता नहीं दे सका।
  • हुमायूँ ने शेर खाँ के चुनार किले पर आक्रमण अवश्य कर दिया। छह महीने के घेरे के बाद इसने चुनार का किला जीत लिया।

बंगाल अभियान (1538)

  • बंगाल का शासक गयासुद्दीन महमूद शाह युद्ध में घायल होकर हुमायूँ के पास पहुँचा और वहीं इसकी मृत्यु हो गई।
  • यह देखकर हुमायूँ के हृदय में दया उत्पन्न हुई और शेरखाँ के विरुद्ध अभियान किया।
  • इस समय शेरखाँ बंगाल को जीतकर वापस बिहार आ गया।

कन्नौज (विलग्राम) का युद्ध (1540)

  • यह युद्ध भी हुमायूँ और शेरशाह के बीच लड़ा गया।
  • इस युद्ध में हुमायूँ पराजित हुआ।
  • इस युद्ध के बाद शेरशाह का आगरा और दिल्ली पर अधिकार हो गया।

हुमायूँ का निर्वासन काल

  • हुमायूँ तीन वर्ष तक राजस्थान और सिंध में इधर-उधर भटकता रहा। इस बीच में इसने 1541 में हमीदा बानो से विवाह किया जो सिया मौलवी अली अकबर जामी की पुत्री थी।
  • 15 अक्टूबर 1542 को अमरकोट में राणा वीरशाल के महल में हमीदा बानो ने एक पुत्र को जन्म दिया जो अकबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
  • 1543 में हुमायूँ ने अकबर को अस्करी के संरक्षण में छोडकर हमीदा बानो के साथ ईरान चला गया और यहां के शासक शाह तहमास्प के यहां शरण ली। तहमास्प की सहायता से 1545 में इसने अपने भाइयों से काबुल और कन्धार जीत लिया।

मच्छीवाड़ा का युद्ध (1555)

  • यह युद्ध हुमायूँ और अफगान शासक इब्राहिम सर द्वारा भेजी सेना के बीच लड़ा, इस युद्ध में हुमायूँ विजयी हुआ।

सरहिन्द का युद्ध (1555)

  • यह युद्ध हमायें और सिकन्दर सर के बीच लड़ा।
  • इसमें सिकन्दर सूर पराजित हुआ और भाग गया।
  • सरहिन्द विजय का श्रेय हुमायूँ ने अकबर को दिया।
  • जनवरी 1556 में जब यह अपने पुस्तकालय की सीढ़ियों से उतर रहा था तभी सीढ़ियों से गिर गया और इसकी मृत्यु हो गई।
  • लेनपूल लिखता है कि हुमायूँ जीवन भर लुढ़कता रहा और अंत में लुढ़ककर ही इसकी मृत्यु हो गई।

हुमायूँ द्वारा लड़े गये प्रमुख युद्ध

वर्ष युद्ध का नाम प्रतिद्वन्दी परिणाम
1.1531 कालिंजर का युद्ध प्रतापरुद्रदेव संधि
2. 1532 दोराहा का युद्ध महमूद लोदी   विजयी
3. 1532 चुनार का युद्ध शेर खाँ संधि
4. 1539 चौंसा का युद्ध शेर खाँ पराजित
5. 1540 कन्नौज (बिलग्राम) का युद्ध शेरशाह पराजित
6. 1555 मच्छीवाड़ा का युद्ध इब्राहिमसूर   विजयी
7.1555 सरहिन्द का युद्ध सिकन्दरसूर   विजयी

महत्वपूर्ण तथ्य

  • हुमायूँ ने अपना राजदरबार सूफियाना ढंग से सुसज्जित किया था। हमाय एवं शेरशाह के बीच झगड़े का मुख्य कारण बंगाल था।
  • कन्नौज युद्ध का आँखों देखा वर्णन मिर्जा हैदर दुग्लत ने किया है क्योंकि यह इस युद्ध में हुमायूँ की तरफ से भाग लिया था।
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Leave A Comment For Any Doubt And Question :-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *