मुहम्मद तुगलक की प्रशासनिक योजनाओं
मुहम्मद तुगलक की प्रशासनिक योजनाओं
- दोआब में कर वृद्धि योजना
- राजधानी परिवर्तन की योजना
- प्रतीक मुद्रा की योजना
- खुराशान अभियान की योजना
- कराचिल अभियान की योजना
- कृषि उत्पादन वृद्धि की योजना
1. दोआब में कर वृद्धि योजना —
- सुल्तान राजकीय आय को बढ़ाना चाहता था इसलिए करों में वृद्धि की योजना बनायी और इस योजना को सर्वप्रथम दोआब क्षेत्र में लागू किया।
- दुर्भाग्य से जब यह योजना लागू हुई तब दोआब क्षेत्र में अकाल पड़ गया।
- किसान राहत की अपेक्षा कर रहे थे और इसी समय यह योजना लाग हो गयी परिणामस्वरूप किसानों ने विद्रोह कर दिया। यह किसानों का पहला विद्रोह था। सुल्तान ने जब यह समझा कि यह योजना असफल हो गयी तब उसने किसानों को कृषि ऋण प्रदान किया जिसे सोनधरी के नाम से जाना जाता है।
- यह दिल्ली का पहला सुल्तान है जिसने प्राकृतिक आपदा के समय किसानों को ऋण दिया।
- बदायूंनी उल्लेख करता है कि इस तरह सुल्तान को अपनी रियाया से और रियाया को अपने सुल्तान से मुक्ति मिली।
2. खुराशान अभियान योजना–
- इस समय ईरान में मंगोलों का शासन था जिन्हें इलखान कहा जाता था।
- इस मसय इल्खानों की शक्ति का पतन हो गया था जिसके कारण राजनीतिक अस्थिरता थी।
- इसी राजनीतिक अस्थिरता का लाभ उठाने के लिए सुल्तान ने खुराशान अभियान की योजना बनायी।
3. राजधानी परिवर्तन की योजना–
- सुल्तान ने दिल्ली से दौलताबाद (देवगिरि) राजधानी बनाने की योजना बनायी। इसका मुख्य उद्देश्य दक्षिण में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ाकर वहां राजनीतिज्ञ प्रभुत्व स्थापित करना था इसलिए इसने दिल्ली के मुसलमानों को दौलताबाद जाने क आदेश दिया।
4. प्रतीक मुद्रा का प्रचलन (सांकेतिक मुद्रा)–
दिल्ली सल्तनत में दो मुद्राएं प्रचलित थीं—
- चांदी का टंका
- तांबे का जीतल
5. कराचिल अभियान की योजना
- सुल्तान ने प्रतीक मुद्रा के रूप में कांसे की मुद्रा प्रचलित की जिसका नाम अदली था। यह चांदी के टंके के मूल्य के बराबर थी।
- पहाड़ी क्षेत्र में किया गया अभियान जो संभवत: वह कांगड़ा :/कुमाऊं जिले में किया गया था |
- विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों में सल्तनत की सेना को अत्यधिक हानि हुई |
- तत्कालीन पहाड़ी शासक ने आधिपत्य मानते हुए एक निश्चित धनराशि देने का वादा किया |
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