राजस्थान की 1857 की क्रान्ति में हुए शहीद
राजस्थान की 1857 की क्रान्ति के शहीदों को नमन
नमस्कार दोस्तों आप सब का स्वागत है ExamSector में। इस पोस्ट के माध्यम से राजस्थान की 1857 की क्रान्ति में हुए शहीद के बारे बताया जायगा।
अब्बास मिर्जा बेग-
- आगरा में जन्मे श्री बेग कोटा राज्य सेना में दफादार पद पर कार्य करते हुए 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों व कोटा सेना के विरुद्ध लड़ाई के दौरान शहीद हुए।
अकबर खाँ-
- कोटा राज्य के सैनिक अफसर अकबर खाँ ने कोटा स्टेट आर्मी की टुकड़ियों के नेतृत्वकर्ता के रूप में ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध विद्रोह में सक्रिय भाग लिया, इसी दौरान शहीद हुए।
अलीम खान-
- टोंक नवाब के चाचा जिन्होंने राजकुमार मोहम्मद मुनीर खाँ एवं अजीमुल्ला खाँ से मिलकर टोंक के नवाब की सेना की जिस टुकड़ी ने विद्रोह किया उसका संगठन किया। वे 1858 में नवाब के अफसरों से मुठभेड़ में शहीद हुए।
भैरोसिंह जोधा-
- जोधपुर के गाँव गेराओं में जन्मे श्री भैरोसिंह जोधा आऊवा के युद्ध में शहीद हुए।
गुल मोहम्मद –
- कोटा के विद्रोही सैनिकों के नेता मेहराब खाँ के छोटे भाई गुल मोहम्मद कोटा में अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध क्रांति के दौरान शहीद हुए।
हरदयाल भटनागर-
- भरतपुर के कामाँ में जन्मे कोटा की क्रांति के नेता जयदयाल भटनागर के छोटे भाई हरदयाल मार्च, 1858 को कैथूनी पोल पर मेजर राबर्ट्स की सेना से युद्ध के दौरान विद्रोही सेना का नेतृत्व करते हुए शहीद हुए।
ठाकुर हरनाथ सिंह-
- सिंहास (जोधपुर) के जागीरदार हरनाथ सिंह आऊवा के युद्ध में शहीद हुए।
लाला जयदयाल भटनागर-
- कोटा महाराव के दरबार वकील जयदयाल ने 1857 के संग्राम में विद्रोही सैनिकों का नेतृत्व किया, 1858 में अंग्रेजी सेना से पराजित होने पर भागकर फकीर के वेश में घूमे, लेकिन पकड़े जाने पर इन्हें फाँसी दे दी गई।
हीरा सिंह–
- कोटा राज्य सेना में रिसालदार हीरा सिंह अंग्रेजों के प्रति वफादार कोटा महाराव की फौज से लड़ते हुए शहीद हुए।
जिया खान—
- निम्बाहेड़ा के मुख्य पटेल जिया खान ने निम्बाहेड़ा में विद्रोह को दबाने के मेजर शावर्स के आदेशों की अवहेलना करते हुए विद्रोही टुकड़ियों को संगठित किया, इस कारण उन्हें गिरफ्तार कर हत्या कर दी।
मेहराब खाँ-
- करौली में जन्मे कोटा राज्य सेना के रिसालदार मेहराब खाँ ने कोटा में विद्रोहियों का नेतृत्व किया। 1859 में उन्हें गिरफ्तार करके 1860 ई. में फाँसी पर लटका दिया।
कामदार खाँ–
- कोटा के कामदार खाँ महाराव की वफादार सेना के अफसर लक्ष्मणदास की सेना से लड़ते हुए पाटन पोल में शहीद हुए।
खवास खाँ (एवाज खाँ)-
- 1857 ई. में कोटा के विद्रोही सेना का साथ देने पर 1860 ई. में फाँसी दी गई।
मोहम्मद खाँ-
- कोटा राज्य सेना में विद्रोह के दौरान 1858 में शहीद हुए।
मुनव्वर खाँ-
- टोंक राज्य सेना के सिपाही मुनव्वर खाँ ब्रिटिश सेना से युद्ध करते हुए दिल्ली में शहीद हए।
नबी शेर खाँ–
- कोटा स्टेट आर्टिलरी श्री नबी शेर खाँ ने अस्त्र-शस्त्र अपने पास रखकर विद्रोहियों की सहायता की। विद्रोहियों का साथ देने पर गोली मार दी गई।
रोशन बेग-
- टोंक में जन्मे कोटा स्टेट आर्टिलरी श्री रोशन बेग ने सेना के अस्त्र-शस्त्र विद्रोहियों को सौंप दिये। कैथूनीपोल में जनरल राबर्ट्स की सेना से लोहा लेते हुए शहीद हुए।
सरदार अली-
- कोटा की नारायण पलटन के सैन्याधिकारी इसरार अली के पुत्र सरदार अली महाराव की वफादार सेना से युद्ध करते हुए शहीद हुए।
शक्तिदान ठाकुर-
- आसब (जोधपुर) ठिकाने के जागीरदार के छोटे भाई शक्तिदान ने ब्रिटिश सेना के विरुद्ध आऊवा में युद्ध किया। इस दौरान पकड़कर जेल भेज दिया वहीं उनकी मृत्यु हुई।
ताराचंद-
- निम्बाहेड़ा के मुख्य पटेल जो कर्नल जैक्सन के निम्बाहेड़ा आक्रमण के दौरान लड़ते हए पकड़े गये और बाद में उन्हें तोप से उड़ा दिया गया।
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