राजस्थान के प्रमुख राजवंश (राठौड़ राजवंश)
राजस्थान के प्रमुख राजवंश
4. राठौड़ राजवंश
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- दक्षिण भारत की एक जाति राष्ट्रकूट से राठौड़’ शब्द बना। मुहणोत नैणसी के अनुसार राठौड़, कन्नौज के शासक जयचंद गहड़वाल के वंशज हैं। इस मत का समर्थन दयालदास री व्यात, जोधपुर री ख्यात व पृथ्वीराज रासो में किया गया है।
- पं. गौरीशंकर हीराचंद ओझा राठौड़ों को बदायूं के राठौड़ों के वंशज मानते हैं। राठौड़ वंश का संस्थापक राव सीहा को माना जाता है जिसने सर्वप्रथम पाली के निकट अपना छोटा-सा साम्राज्य स्थापित किया।
जोधपुर के राठौड़
- राव सीहा के वंशज वीरमदेव का पुत्र राव चूड़ा जोधपुर के राठौड़ वंश का प्रथम प्रतापी शासक था, जिसने मंडोर दुर्ग को मांडू के सुल्तान के सूबेदार से जीतकर अपनी राजधानी बनाया। राव चूड़ा के ज्येष्ठ पुत्र राव रणमल को उत्तराधिकारी न बनाने पर वह मेवाड़ के महाराणा लाखा के पास चला गया तथा मेवाड़ की सेना की सहायता से रणमल ने मंडोर पर अधिकार कर लिया।
जोधपुर के राठौड़ राजवंश में हुए प्रमुख शासक —
- राव जोधा
- राव गंगा
- राव मालदेव
- राव चन्द्रसेन
- मोटा राजा राव उदयसिंह
- सवाई राजा शूरसिंह
- महाराजा गजसिंह
- महाराजा जसवंत सिंह प्रथम
- महाराजा अजीत सिंह
- महाराजा अभयसिंह
- महाराजा मानसिंह
बीकानेर के राठौड़
- बीकानेर के राठौड़ वंश की नींव करणी माता के आशीर्वाद से राव जोधा के पुत्र राव बीका ने 1465 ई. में रखी तथा 1468 ई. में बीकानेर नगर बसाया।
बीकानेर के राठौड़ वंश में हुए प्रमुख शासक —
- राव लूणकरण
- राव जैतसी
- राव कल्याणमल
- महाराजा रायसिंह
- महाराजा सूरजसिंह
- महाराजा करणसिंह महाराजा अनूपसिंह
किशनगढ़ के राठौड़ –
- किशनगढ़ में राठौड़ वंश की नींव किशनसिंह (मोटा राजा उदयसिंह के पुत्र) ने 1609 ई. में डाली।
- सावंत सिंह यहाँ के प्रसिद्ध शासक हुए जो शासन त्याग कर वृन्दावन जाकर कृष्णभक्ति में लीन हो गये तथा नागरीदास के नाम से प्रसिद्ध हुए।
- महाराजा सावंतसिंह के शासनकाल में प्रसिद्ध चित्रकार मोरध्वज निहालचन्द हुआ, जिसने राजस्थानी चित्रकला का श्रेष्ठ चित्र ‘बणी-ठणी’ बनाया।
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