शैल (rocks) एवं शैल के प्रकार
शैल (rocks) एवं शैल के प्रकार

शैल (rocks) एवं शैल के प्रकार

शैल (rocks)

  • पृथ्वी की ऊपरी परत जिसे भूपटल (Crust) कहा जाता है, विभिन्न प्रकार के खनिज तत्वों के संगठित होने से बना है । साधारण भाषा में ‘शैल’ शब्द किसी कठोर वस्तु के लिए प्रयोग होता है जबकि एक भूवैज्ञानिक के अनुसार – वे समस्त पदार्थ, जिनसे भूपर्पटी का निर्माण हुआ है चाहे वे ग्रेनाईट की भांति कठोर हो अथवा चीका की भांति मुलायम हो शैल कहलाते हैं, अतः संश्लिष्ट रूप से भूपर्पटी में विभिन्न खनिजों का मिश्रित ठोस रूप शैल कहलाता है । ये निम्न प्रकार की होते है :

1. आग्नेय शैलें (Igneous Rocks)
2. परतदार शैलें (Sedimentary Rocks)
3. कायान्तरित शैलें (Metamorphic Rocks)

1. आग्नेय शैलें (Igneous Rocks)

  • पृथ्वी के निर्माण होने के समय तप्त तरल मेग्मा व लावा के ठण्डा होकर जमने से निर्मित शैल को आग्नेय शैल कहा जाता है यह शैले सबसे पहले बनी, अतः इसे प्राथमिक शैलें भी कहा जाता है । पृथ्वी की प्रारम्भिक भूपर्पटी आग्नेय शैलों से बनी है, अतः सभी शैलों का निर्माण आग्नेय शैलों से ही हुआ है । इनमें अन्य जीवावशेष नहीं पाये जाते हैं । भूपर्पटी के सबसे ऊपर 16 किमी की मोटाई में आग्नेय शैल का 95 प्रतिशत भाग होता है।

आग्नेय शैलों की विशेषताएँ –

  • 1. इन शैलों में परतों का अभाव पाया जाता हैं ।
    2. ये शैलें अरन्ध्री होती हैं ।
    3. ये शैलें रवेदार होती हैं ।
    4. इन शैलों में जीवाश्म (Fossils) नहीं पाये जाते हैं ।
    5. ये शैलें अत्यधिक कठोर होती हैं
    6. इन शैलों पर रासायनिक अपक्षय की तुलना में भौतिक अपक्षय का प्रभाव अधिक होता हैं ।
    7. इन शैलों में धत्विक खनिज मिलते हैं ।

शैलों के खनिजों की रचना, रंग, कणों की बनावट, आकार एवं निर्माण स्थल के आधार पर आग्नेय शैलों का वर्गीकरण निम्न वर्गों में किया जाता है । ( सारणी – 6. 1 )

शैल (rocks) एवं शैल के प्रकार

1. निर्माण स्थल के आधार पर आग्नेय शैलों का वर्गीकरण –

(अ) आन्तरिक ( Intrusive) आग्नेय शैल :

  • ये शैलें धरातल के नीचे मैग्मा जमने से बनती है । धरातल के नीचे मैग्मा के धीरे-धीरे ठण्डा होने के कारण इन शैलों में बड़े आकार के रवे बनते हैं गहराई के अनुसार ये दो प्रकार की होती है :
  • (i) पातालीय (Plutonic): मैग्मा के पृथ्वी के भीतर बहुत अधिक गहराई पर ठण्डा होकर जमने से ये शैलें बनती हैं। बहुत अधिक गहराई पर ठण्डा होने की प्रक्रिया धीमी गति से होने के कारण इनमें रवे बड़े आकार के बनते हैं। ग्रेनाईट इसका सर्वोत्तम उदाहरण हैं ।
  • (ii) उपपातालीय (Hypabyssal): मैग्मा के धरातल के कुछ ही नीचे दरारों व सन्धियों में जम जाने से ये शैले बनती हैं। ठण्डा होने में अपेक्षाकृत कम समय लगने के कारण इनमें रवे छोटे आकार के बनते हैं उपपातालीय शैले के रूप में मैग्मा फैकोलिथ, लेकोलिथ, लोपोलिथ डाइक, सिल आदि की आकृतियां ग्रहण करता है – चित्र – 6.1

(ब) बाह्य (Extrucive ) आग्नेय शैल :

  • ये शैलें धरातल के ऊपर लावा के ठण्डा होकर जमने से बनती है। लावा के जल्दी ठण्डा होने से इनमें रवों का आकार बड़ा होता है। ग्रेबो एवं बेसाल्ट बाह्य आग्नेय शैलों के सर्वोत्तम उदाहरण हैं ।

शैल (rocks) एवं शैल के प्रकार

2. रासायनिक संरचना के अनुसार वर्गीकरण

  • (अ) अम्लीय (Acidic) शैलें: इन शैलों में सिलिका की मात्रा 65 प्रतिशत से अधिक होती है। ये कठोर व मजबूत शैले होती हैं। ग्रेनाईट इसका प्रमुख उदाहरण है।
  • (ब) पैठिक (Basic) शैलें: इन शैलों में सिलिका की मात्रा 45 से 55 प्रतिशत के मध्य होती है । ये क्षारीय होती है। बेसाल्ट व ग्रेबो इसके प्रमुख उदाहरण हैं ।
  • ( स ) मध्यवर्ती ( Intermediate) शैलें: इन शैलों में सिलिका की मात्रा अम्लीय व पैठिक शैलों के मध्य होती है, डायोराइट इसका प्रमुख उदाहरण है ।
  • (द) अल्ट्रा पैठिक (Ultra Basic)- इनमें सिलिका की मात्रा 45 प्रतिशत से कम होती है पेरिडोटाइट इसका प्रमुख उदाहरण हैं।
    मैग्मा तीन प्रकार के होते है –
    1. बेसाल्टिक (तापमान : 1000-1200° से.),
    2. एण्डेसाइटिक (तापमान : 800-1000° से.),
    3. रायोलिटिक (तापमान : 650°-800° से.) ।

2. परतदार शैलें (Sedimentary Rocks)

  • पृथ्वी की उत्पत्ति के बाद से ही उस पर अनाच्छादन की शक्तियां कार्यरत रहती हैं, जिसमें अपक्षय व अपरदन के द्वारा शैलें टूटकर उसी स्थान पर या अन्यत्र जमा होती जाती हैं। इन विभिन्न शैलों के द्वारा प्राप्त शैल चूर्ण, जीवावशेष एवं वनस्पतियों के एक के ऊपर एक परतों के रुप में जमा होने से निर्मित शैल को अवसादी शैल कहते हैं। ये शैल भू-पृष्ठ के 75 प्रतिशत भाग । पर विस्तृत हैं।

परतदार शैलें (Sedimentary Rocks) की विशेषताएँ –

  • 1. इन शैलों में अनेक परतें पाई जाती है ।
    2. ये शैलें रंध्र युक्त होती हैं ।
    3. शैलों की परतों के मध्य में जीवावशेष मिलते हैं ।
    4. इन शैलों का अपरदन अपेक्षाकृत तीव्र गति से होता है।
    5. ये शैलें प्रायः मुलायम होती हैं।

अवसादी शैलों का निर्माण अनेक प्रकार के पदार्थ व अवसाद से होता है और निर्माण में अनेक प्रक्रम भाग लेते हैं । अतः अवसादी शैलों का वर्गीकरण निम्न आधार पर किया जा सकता है : ( सारणी – 6.2 )

शैल (rocks) एवं शैल के प्रकार

(1) निर्माण में प्रयुक्त अवसाद के अनुसार आधार पर अवसादी शैलों को निम्न भागों में वर्गीकृत किया जाता है ।

  • (अ) शैल चूर्ण से निर्मित ( Clastic Rocks) — अपक्षय व अपरदन क्रिया से प्राप्त शैल चूर्ण एक स्थान से दूसरे स्थान पर परतों के रुप में जमा होते रहते हैं कालान्तर में ये संगठित होकर अवसादी शैल का रूप धारण कर लेते हैं । बालूका पत्थर, कांग्लोमेरेट, चीका मिट्टी एवं लोयस इनके प्रमुख उदाहरण हैं ।
  • (ब) जैविक तत्वों से निर्मित अवसादी शैलें (Organically Rocks) – जीव-जन्तुओं एवं वनस्पति के अवशेषों की इन शैलों में प्रधानता होती हैं। इन्हें तीन भागों में विभाजित किया जाता है –
    (i) चूना प्रधान शैलें – चूना प्रधान जीव-जन्तुओं के अवशेषों तथा जल से घुले हुए चूने के प्रभाव से ये शैले बनती हैं। डोलोमाईट इसी प्रकार की शैल है ।
    (ii) कार्बन प्रधान शैलें (Carbonaceous Rocks) – उष्ण आर्द्र क्षेत्रों में वनस्पति के अवसादों की परतों के दबने से इस प्रकार की शैलें बनती हैं। कोयलायुक्त शैलें में इसी श्रेणी में सम्मिलित की जाती हौं
  • (स) रासायनिक तत्वों से निर्मित अवसादी चट्टानें (Chemically formed sedimentary Rocks) – बहते जल के मार्ग में घुलनशील शैलों के स्थित होने की दशा में जल घुलनशील पदार्थों को घोलकर अपने साथ परिवहित करके ले जाता है एवं इनका जमाव अन्यत्र करता जाता है, जिससे इन शैलों का निर्माण होता है । खड़िया मिट्टी, शैल खड़ी एवं नमक की शैले इस प्रकार की शैलों के प्रमुख उदाहरण हैं ।

(2) निर्माण में प्रयुक्त साधन के आधार पर –

  • (अ) जल निर्मित शैले (Aqueous Rocks) – इनका निर्माण जलीय भागों में अवसादों के निक्षेपण से होता है। जमाव स्थल के आधार पर ये शैलें तीन प्रकार की होती है। सागरीय शैल, झीलकृत शैल एवं नदीकृत शैल |
  • (ब) वायु निर्मित शैले (Aeolian Rocks) – ये शैलें वायु द्वारा कणों के परिवहन व निक्षेपण से बनती है। लोयस इसका प्रमुख उदाहरण है।
  • (स) हिमानी निर्मित शैले (Glacial Rocks) – ये शैलें हिमानी द्वारा कंकड़, गोलाश्यों के परिवहन व निक्षेपण से बनती हैं । इन्हें हिमोढ़ कहते हैं ।

3. कायान्तरित शैलें (Metamorphic Rocks) –

  • किसी मौलिक शैल में विघटन व वियोजन के बिना उसके गुण और संरचना में मूलभूत परिवर्तन से बनी भिन्न प्रकार की शैले कायान्तरित शैले कहलाती हैं। ये मौलिक शैलें, आग्नेय, अवसादी या कायान्तरित भी हो सकती है । यह कायान्तरण जल, ताप व दाब अथवा तीनों के प्रभाव से हो सकता है ।

कायान्तिरित शैलों की विशेषताऐं

  1. ये गौण शैले (Secondary Rocks) होती है क्योंकि इनका निर्माण अन्य शैलों के कायान्तरण अथवा रूप परिवर्तन से होता है ।
  2. ये मौलिक शैलों की अपेक्षा अधिक संगठित व कठोर होती है ।
  3. इनमें धात्विक खनिजों की प्रधानता होती है । अतः ये शैले आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है ।
  4. ये शैलें अरन्ध्रपूर्ण होती है ।

सामान्य रूप से रूपान्तरण को निम्न भागों में विभाजित किया जा सकता है

1. तापीय रूपान्तरण (Thermal Metamorphism)

  • ज्वालामुखी क्रिया के समय जब शैलों का मैग्मा से सम्पर्क होता है, तब ज्वालामुखी नली के आसपास की शैलों में उच्चताप के कारण कायान्तरण होता है इसे तापीय या संस्पर्शीय रूपान्तरण कहते हैं ।

2. गतिक या क्षैत्रीय कायान्तरण (Dynamic or Regional Metamorphism) –

  • इस प्रकार के रूपान्तरण की क्रिया एक विस्तृत क्षेत्र में घटित होती है, इनमें सम्पीड़न व ताप दोनों का प्रभाव होता है। इस प्रकार का रूपान्तरण प्रायः मोड़दार पर्वतीय क्षेत्रों में होता है ।

3. जलीय रूपान्तरण (Hydro Metamorphism) –

  • ऐसे रूपान्तरणों में जल के साथ रासायनिक पदार्थों के मिलने से घोल के रूप में शैल के खनिज में परिवर्तन आ जाता है ।

4. ताप जलीय रूपान्तरण (Thermo Hydro Metamorphism) –

  • जब शैलों के ऊपर गर्म जल होता है तब दबाव व जल वाष्प से शैलों में इस प्रकार का रूपान्तरण होता है ।

कायान्तरित शैलों का वर्गीकरण

मौलिक शैल जिनके रूपान्तरण से रूपान्तरित शैल बनी इस आधार पर शैलों को निम्नलिखित भागों में बांटा जाता है –

मौलिक शैल रूपान्तरित शैल
आग्नेय शैल

  1. ग्रेनाईट
  2. बेसाल्ट
  3. ग्रेबो
  1. नीस
  2. ऐम्फी बोलाईट
  3. सर्पेण्टाईन
परतदार शैल

  1. बालू पत्थर
  2. चूना पत्थर
  3. शेल
  4. कोयला
  1. क्वार्टजाईट
  2. संगमरमर
  3. स्लेट
  4. ग्रेफाइट, हीरा
कायान्तरित

  1. स्लेट
  2. शिष्ट
पुनः कायान्तरित

  1. शिष्ट
  2. फाइलाइट

महत्वपूर्ण बिन्दु-

1. भूपर्पटी में विभिन्न खनिजों का मिश्रित ठोस रूप शैल कहलाता है ।
2. शैलों के तीन मुख्य प्रकार आग्नेय, परतदार एवं कायान्तरित।
3. पृथ्वी के निर्माण के समय तप्त तरल मैग्मा के ठण्डा होकर जमने से निर्मित शैलों को आग्नेय शैल कहा जाता है ।
4. आग्नेय शैले परत रहित, जीवावशेष रहित, कठोर, रवेदार अरन्ध्री तथा धात्विक खनिजों से युक्त होती है ।
5. परतदार शैलें परतयुक्त, जीवावशेषयुक्त, रन्ध्रयुक्त एव `अपेक्षाकृत मुलायम होती है ।
6. जल, ताप व दाब के प्रभाव से मौलिक शैलों में परिवर्तन से कायान्तरित शैलें भिन्न प्रकार की शैलें कहलाती हैं। ये अधिक संगठित और धात्विक खनिजों से युक्त होती है।

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शैल (rocks) Questions And Answers in Hindi

प्रश्न 1. निम्न में से कौन-सी शैल आग्नेय शैल है?
(अ) नीस
(ब) संगमरमर
(स) हीरा
(द) स्लेट

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उत्तर ⇒ { D }

प्रश्न 2. मौलिक शैल है
(अ) आग्नेय
(ब) परतदार
(स) अवसादी
(द) कायान्तरित

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उत्तर ⇒ { A }

प्रश्न 3. जिन शैलों में जीवावशेष नहीं पाये जाते हैं, वे हैं
(अ) परतदार
(ब) गौण
(स) आग्नेय
(द) कायान्तरित

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उत्तर ⇒ { C }

प्रश्न 4. निम्न में से कौन-सी शैल कायान्तरिक शैल है?
(अ) ग्रेनाइट
(ब) संगमरमर
(स) बेसाल्ट
(द) इनमें से कोई नहीं

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उत्तर ⇒ { B }

प्रश्न 5. निम्न में से कौन-सी शैल परतदार शैल है?
(अ) ग्रेनाईट
(ब) चूना पत्थर
(स) बेसाल्ट
(द) संगमरमर

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उत्तर ⇒ { B }

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