सूर्य का सूर्यातप | Solar Insolation
सूर्य का सूर्यातप | Solar Insolation

सूर्य का सूर्यातप | Solar Insolation

  • वायुमण्डल का हजारों किलोमीटर का आवरण हमारी पृथ्वी को सूर्य की प्रचण्ड किरणों तथा अत्यधिक गर्मी से बचाता है। रात में वायुमण्डल पार्थिव विकिरण को कम्बल की तरह रोककर हमें शीत से बचाता है । पृथ्वी के लिए ताप का मुख्य स्रोत सूर्य है, जिसकी सतह पर 6000°C तापमान रहता है। यह ताप सूर्य सतह से विकिरण द्वारा पृथ्वी पर आता है, जो सूर्य के ताप का अत्यन्त सूक्ष्म भाग होता है। सूर्य पृथ्वी से 15 करोड़ किमी दूर स्थित है। सूर्य के अलावा उष्मा के अन्य स्रोत लगभग नगण्य है। सूर्य एक दहकता हुआ गैसीय पिण्ड है, जिससे लगातार उर्जा का विकिरण होता रहता है। सूर्य के प्रकाश को पृथ्वीतल तक पहुँचने में 8 मिनट 20 सैकण्ड का समय लगता है ।

सूर्यातप (Insolation) –

  • सूर्य से पृथ्वी तक पहुँचने वाले सौर विकिरण को सूर्यातप कहते हैं तथा सूर्य की सतह से चारों ओर विकरित होकर फैलने वाले ताप को सौर विकिरण कहते हैं । पृथ्वी द्वारा सौर विकिरण का ग्रहण किया जाना सूर्यातप या सूर्यताप की प्राप्ति है । क्रिचफील्ड के अनुसार परिभाषा – “सूर्य से पृथ्वी तक पहुँचने वाली विकिरण ऊर्जा को सूर्यातप कहते हैं” ।
  • धरातल पर आने वाले सौर विकिरण को सूर्यातप कहते हैं, किन्तु सारा सूर्यातप पृथ्वी तल तक नहीं पहुँच पाता, उसका कुछ अंश वायुमण्डल द्वारा शोषित हो जाता है। यह ऊर्जा लघु तरंगों के रूप में सूर्य से पृथ्वी तक पहुँचती है। ट्रिवार्था के अनुसार सम्पूर्ण पृथ्वी प्रति मिनट सूर्य से इतनी उर्जा प्राप्त करती है जितनी मानव जाति वर्ष भर में अपने विविध कार्यों के लिए उपयोग करती है। अतः पृथ्वी तल पर प्राप्त होने वाली यही सौर ऊर्जा सम्पूर्ण भौतिक एवं जैविक घटनाओं का संचालन करती है । इस प्रकार पृथ्वी के किसी निश्चित क्षेत्र पर, किसी निश्चित समय में सौर विकिरण का जो अंश प्राप्त किया जाये वह सूर्यताप या सूर्यातप कहलाता है और यह सभी क्षेत्रों में एक समान नहीं है। सूर्यातप का मापन ‘पाइरोहेलियोमीटर’ द्वारा किया जाता है ।

तापमान का वितरणः

  • पृथ्वी तल पर तापमान का वितरण सभी जगह एक समान नहीं पाया जाता। तापमान के वितरण पर अन्य कारकों की अपेक्षा अक्षांश का सर्वाधिक नियंत्रण होता है । प्राचीन यूनानवासियों को इस बात का ज्ञान था कि भूमध्य रेखा पर सर्वाधिक गर्मी पड़ती है और उसके उत्तर या दक्षिण ध्रुवों की तरफ तापमान क्रमशः कम होता जाता है । इसी आधार पर उन्होंने हमारी पृथ्वी को पाँच ताप कटिबंधों में बाँटा । हम प्रायः सूर्यातप एवं तापमान को पयार्यवाची ही समझते हैं, परन्तु इन दोनों के अर्थ भिन्न है, फिर भी सूर्यातप तथा तापमान का गहरा संबंध है, क्योंकि सूर्यातप पर तापमान निर्भर करता है। यहाँ तापमान का आशय वायुमण्डलीय ताप से है, जिसका स्रोत सूर्य है ।

सूर्य का सूर्यातप | Solar Insolation

तापमान का क्षैतिज वितरण:

  • तापमान के क्षैतिज वितरण का अर्थ तापमान के अंक्षाशीय वितरण से है। भूमध्य रेखा से ध्रुवों तक तापमान के वितरण में परिवर्तन आता रहता है । मानचित्र पर तापमान का वितरण समताप रेखाओं द्वारा दर्शाया जाता है । समताप रेखा वह काल्पनिक रेखा है जो मानचित्र पर समान तापमान वाले स्थानों को मिलाती हुए खींची जाती है ।
  • विश्व के अधिकांश भागों में जनवरी तथा जुलाई के महीनों में न्यूनतम अथवा अधिकतम तापमान पाया जाता है। इसलिये तापमान के विश्लेषण के लिए साधारणतः जनवरी तथा जुलाई के माह ही चुने जाते हैं।

जनवरी की समताप रेखायें:

  • जनवरी माह में सूर्य की किरणें दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित मकर रेखा पर लम्बवत पड़ती है जिससे दक्षिणी गोलार्द्ध में ग्रीष्म तथा उत्तरी गोलार्द्ध में शीत ऋतु होती है। अतः दक्षिणी गोलार्द्ध में तापमान अधिक एवं उत्तरी गोलार्द्ध में तापमान कम होता है | इस दौरान सबसे ठण्डे भाग साइबेरिया व ग्रीनलैण्ड में स्थित होते हैं। साइबेरिया के विस्तृत भाग पर 25°C की समताप रेखा खिंची हुई है। दक्षिणी महाद्वीपों पर 30°C की समताप रेखा एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में 10 °C की समताप रेखा अक्षांश के समानान्तर है जबकि 20°C की समताप रेखा महाद्वीप व महासागरों के वितरण के अनुरूप मुड़ी हुई है। उत्तरी गोलार्द्ध में जल व थल के विषम वितरण के कारण समताप रेखाएँ काफी वक्र हो गई है ।

सूर्य का सूर्यातप | Solar Insolation

जुलाई की समताप रेखायें:

  • जुलाई में सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा पर लगभग लम्बवत् चमकती है । अतः उत्तरी गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में शीत ऋतु होती है । जुलाई में 30°C की समताप रेखा उत्तरी अफ्रीका, दक्षिणी-पश्चिमी एवं मध्य एशिया तथा उत्तरी अमेरिका में कोलम्बिया पठार आदि को घेरती है। जनवरी की समताप रेखाओं से तुलना करने पर यह स्पष्ट होता है कि जुलाई में गर्मी का प्रभाव व्यापक क्षेत्रों पर होता है। इस दौरान अन्टार्कटिका पर न्यूनतम तापमान रहता है। दक्षिणी गोलार्द्ध में समताप रेखाएँ प्रायः अक्षांशो के समानान्तर खिंची हुई है।

सूर्य का सूर्यातप | Solar Insolation

तापमान का ऊर्द्धवाधर (लम्बवत्) वितरणः

  • तापमान के लम्बवत् वितरण से हमारा तात्पर्य धरातल से ऊपर की ओर, ऊँचाई में, वायुमण्डल की विभिन्न परतों में तापमान के वितरण से है। वैज्ञानिकों ने तथ्यों के आधार पर यह सिद्ध किया है कि ऊँचाई के बढ़ने से तापमान घटता जाता है । यही कारण है कि मैदानों की अपेक्षा पहाड़ों में ठण्ड अधिक रहती है । प्रति 165 मीटर की ऊँचाई पर 1°C तापमान कम हो जाता है जिसे तापमान की सामान्य ह्यास दर कहते हैं । यह दर प्रत्येक स्थान पर समान नहीं होती, अपितु ऋतु, स्थिति एवं स्थानीय विक्षोभों के अनुसार बदलती रहती है। सामान्य रूप से 6.5°C प्रति किमी की दर से तापमान घटता है। तापमान में गिरावट क्षोभ मण्डल तक ही जारी रहती हे। इसके पश्चात तापमान परिवर्तन अलग-अलग मण्डलों में अलग-अलग होता हैं ।

तापमान का व्युत्क्रमण ( विलोमता ):

  • तापमान की विलोमता के समय वायुमण्डलीय दशा स्थिर होती है। सामान्य परिस्थितियों में ऊँचाई के साथ तापमान घटता है । परन्तु कुछ परिस्थितियों में ऊँचाई के साथ तापमान घटने के स्थान पर बढ़ता है। ऊँचाई के साथ तापमान के बढ़ने को तापमान का व्युत्क्रमण अथवा विलोमता कहते हैं । इसके लिए लम्बी रातें, स्वच्छ आकाश, शान्त वायु, शुष्क वायु एवं हिमाच्छादन इत्यादि भौगोलिक परिस्थितियाँ प्रमुख कारक है। ऐसी परिस्थितियों में धरातल और वायु की निचली परतों से ऊष्मा का विकिरण तेज गति से होता है। परिणामस्वरूप निचली परत की हवा ठण्डी होने के कारण घनी व भारी हो जाती है। ऊपर की हवा जिसमें ऊष्मा का विकिरण धीमी गति से होता है, अपेक्षाकृत गर्म रहती है। ऐसी परिस्थति में तापमान ऊँचाई के साथ घटने के स्थान पर बढ़ने लगता है ।

सूर्य का सूर्यातप | Solar Insolation

  • अन्तरापर्वतीय घाटियों में शीत ऋतु की रातों में ऐसा प्रायः होता है । यही कारण है कि पर्वतीय घाटियों में बस्तियाँ और फलों के बगीचे सबसे नीचे नहीं बल्कि पर्वतीय ढ़ालों से थोड़े ऊपरी भाग में विकसित किये जाते हैं । हिमालय क्षेत्र में पर्यटकों के लिए विश्रामस्थल घाटी से थोड़े ऊपरी ढ़ालों पर स्थित हैं । हिमाचल प्रदेश में सेब के बागान भी घाटियों के ऊपरी ढ़ालों पर ही है ।
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सूर्य का सूर्यातप | Solar Insolation FAQ –

Q. सूर्य से पृथ्वी तक पहुँचने वाली और विकिरण ऊर्जा को क्या कहते है?
Ans. सूर्यातप
Q. यह ऊर्जा सूर्य से पृथ्वी पर किस रूप में पहुँचती है?
Ans. लघु तरंगों के रूप में
Q. वायुमंडल की बाहरी सीमा पर सूर्य से प्रति मिनट प्रति वर्ग सेमी कितनी कलौरी ऊष्मा प्राप्त होती है?
Ans. 1.94 कैलोरी
Q. किस भी सतह को प्राप्त होने वाली सूर्यातप की मात्रा एवं उसी सतह से परावर्तित की जाने वाली सूर्यातप की मात्रा के बीच का अनुपात क्या कहलाता है?
Ans. एल्बिडो
Q. वायुमंडल किन विधियों के कारण गर्म तथा ठंडा होता है?
Ans. विकिरण (Radiation), संचालन (Conduction), सहवन (Convection), अभिहवन (Advection)
Q. किसी पदार्थ को ऊष्मा तरंगों के संचार द्वारा सीधे गर्म होने को क्या कहते है?
Ans. विकिरण
Q. वह प्रिक्रिया कौन-सी है जिससे ऊष्मा बिना किसी माध्यम के शून्य से होकर भी यात्रा कर सकती है?
Ans. विकिरण

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