हरियाणा में सिंचाई के साधन
- हरियाणा मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान राज्य है। इसकी 3689 हजार हेक्टेयर भूमि कषि योग्य है। इस कषि योग्य भूमि को सिंचित करने के लिए 336.50 लाख हेक्टेयर फुट पानी की आवश्यकता है,
- जबकि वर्तमान में सभी स्रोतों से 168.40 लाख हेक्टेयर फुट पानी ही उपलब्ध है। राज्य में सिंचाई विभाग का मुख्यालय पंचकुला मे है।
राज्य में सिंचाई व्यवस्था
- राज्य में सिचाई के मुख्य साधन नहरें, नलकूप, कुएँ तथा तालाब है। ० राज्य में सिंचित भूमि की 48.31% नहरों द्वारा लगभग 50% नलकूपों द्वारा तथा शेष अन्य साधनों द्वारा सिंचाई की जाती है।
- राज्य में ट्यूबवैलों की संख्या लगभग 7.52 लाख है।
- राज्य की मुख्य दो नहरें पश्चिमी यमुना नहर व भाखड़ा नहर है। इन नहरों से अम्बाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल, जीन्द, रोहतक, पानीपत, सोनीपत, हिसार, फत्तेहाबाद, झज्जर आदि जिलों में सिंचाइ की जाती है।
- राज्य में नहरों की मजबूत प्रणाली विकसित की गई है। ईन नहरों की कुल संख्या मुख्य शाखाओं एवं उप-शाखाओं सहित लगभग 1429 है।
राज्य की प्रमुख नहरें
पश्चिमी यमुना नहर
- यह हरियाणा की सबसे पुरानी व प्रमुख नहर है. यह नहर यमुना नदी के पश्चिमी किनारे से तेजवाला नामक स्थान से निकली गई है. इस नहर की अपनी शाखाओ सहित कुल लम्बाई 3,226 किलोमीटर है।
- इसके द्वारा अंबाला, करनाल, सोनीपत, रोहतक, हिसार और सिरसा जिलों तथा दिल्ली और राजस्थान के कुछ भागों की लगभग 5 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की जाती है।
गुडगाँव नहर
- यह हरियाणा राज्य की दूसरी प्रमुख नहर है. यह नहर दिल्ली के निकट ओखला से यमुना नदी पर बाँध बनाकर निकाली गई है.इसके द्वारा गुडगाँव, पलवल और फरीदाबाद की वल्लभगढ़ तहसील की लगभग 3.5 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा रही है.
भाखड़ा नहर
- राज्य की यह प्रमुख नहर नागल शहर के समीप सतलुज से निकली गई है. पंजाब के पटियाला और रूप नगर जिलों की सिंचाई के उपरांत यह नहर टोहाना के निकट हरियाणा में प्रवेश करती है.
- इसके द्वारा सिरसा और हिसार जिलों की लगभग 6 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है. इसकी प्रमुख शाखाएँ फतेहाबाद, रतिया, रोड़ी और बरबाल है.
- हरियाणा और सिरसा जिलों में भी अधिकतम सिंचाई नहरों से होती है. महेंद्रगढ़ और भिवानी के जिलों में सिंचाई के लिए छोटी-छोटी नहरें निकाली गई है.
- इनमें जुई नहर, भिवानी नहर और जवाहरलाल नेहरु नहर.है.प्रदेश के किसान नहरों की सहायता से बड़ी सुगमता से सिंचाई कर लेते है.
हरियाणा की प्रमुख नहर/सिंचाई परियोजना
नांगल उठान सिंचाई परियोजना
- नांगल उठान सिंचाई परियोजना से पहले जिला अंबाला में शायद ही कोई नहरी सिंचाई सुविधा उपलब्ध थी तथा कृषि पूरी तरह से वर्षा पर निर्भर थी.
- नांगल उठानसिंचाई योजना बन जाने से 75 गावों की 45,500 एकड़ __ भूमि को सिंचाई सुविधा उपलब्ध हुई है. इस परियोजना के पूरा हो जाने से पाँच गावों की 4,700 एकड़ भूमि को और सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी.
हथनी कुण्ड बैराज परियोजना
- यमुनानगर जिले में पिछले कई वर्षों से लटका हुआ हथनी कुण्ड बैराज बनकर तैयार हो गया है. हथनी कुण्ड बैराज के निर्माण पर 220 करोड़ रुपये खर्च हुए है. सौ वर्षो से ज्यादा पुराने ताजेवाला हैडवर्क्स के स्थान पर हथनी कुण्ड बैराज का निर्माण कार्य इस लिए भी जरूरी था ताकि पश्चिम और पूर्व __ यमुना नहर द्वारा सिचाई और पीने के पानी की निर्विन आपूर्ति की जा सके तथा हरियाणा, उत्तर प्रदेश व दिल्ली की भीषण बाढ से बचाया जा सके.
JLN उठान सिंचाई परियोजना
- महेंद्रगढ़ जिले की खेती बाड़ी को बढाने के लिए सुखा राहत कार्यक्रम के अंतर्गत इस जिले में जे.एल.एन,उठान सिंचाई परियोजना का कार्य आरम्भ किया गया.
- इस प्रणाली द्वारा 1976 में पहली बार पानी छोड़ा गया लेकिन इस __ परियोजना की आवश्यकता वास्तव में 1987 में पड़े अभूतपूर्व सूखे के दौरान महसूस हुई जिससे खरीफ की फसल को बचाया जा सका.
नखाना की सिंचाई की परियोजना
- यह परियोजना 37,500 फूट लम्बी है. जिसके परिणामस्वरूप क्लौदा, खुर्द कला, भीखेवाला, खरडवाल नेहरा, फूलिया कला गुल्हेड़ा और सुलखेडा गावों को पर्याप्त सिंचाई सुविधाएं प्राप्त हुई है.
अन्य प्रमुख सिंचाई योजनाएं
- जवाहरलाल नेहरु सिंचाई योजना, लोहारू लिफ्ट सिचाई योजना, सांगा उत्थान सिचाई योजना, पश्चिम यमुना नहर योजना, जुई लिफ्ट सिंचाई योजना, सिवानी लिफ्ट सिंचाई योजना, झज्जर उत्थान सिंचाई योजना आदि.
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