पर्वत ( Mountain ) क्या है, इसके प्रकार कौन-कौन है ?
पर्वत (Mountain) in Hindi
- आस-पास के सामान्य धरातल से एकदम ऊँचे भाग, जिनका शिखर संकुचित व ढाल तीव्र हो ऐसे स्थलाकृतिक स्वरूप पर्वत कहलाते हैं –
- फिन्च के अनुसार “पर्वत समुद्रतल से 600 मीटर या अधिक ऊँचे तथा 260 डिग्री से 350 डिग्री के ढाल वाले होते हैं।
- पर्वतों के प्रकार एवं वर्गीकरण – संसार में पाये जाने वाले सभी पर्वत एक जैसे नहीं है । वे अपनी निर्माण प्रक्रिया, ऊँचाई, आयु, अवस्थिति, संरचना एवं बनावट में अनेक प्रकार के होते हैं। ( आरेख सं. 8. 2)
उत्पत्ति के आधार पर पर्वतों का वर्गीकरण —
1. वलित पर्वत (Fold Mountain ) –
- पृथ्वी के भीतर उत्पन्न सम्पीड़नात्मक बल से धरातलीय चट्टानों में वलन या मोड़ पड़ने से इन पर्वतों का निर्माण होता है। सम्पीड़न शक्ति से मुड़कर उठे भाग को अपनति तथा नीचे धंसे भाग को अभिनति कहा जाता है। तीव्रगामी भूगर्भिक हलचलें इन अभिनतियों और अपनतियों के मोड़ों को ऊँचा उठा देती है, एवं कालान्तर में वलित पर्वतों का उत्थान हो जाता है। हिमालय, यूराल एवं एण्डीज पर्वत वलित पर्वतों के उदाहरण हैं। ये संसार के नवीनतम पर्वत हैं एवं इनकी शैलों में जीवाशेष नहीं पाये जाते हैं । (चित्र 8. 2)
2. गुम्बदाकार पर्वत (Dome Shaped Mountain ) –
- पृथ्वी के भीतर उबला तप्त मैग्मा धरातल पर आने की भरसक चेष्टा करता है । जब यह मेग्मा बाहर नहीं आ पाता तो धरातलीय चट्टानें गुम्बदाकार रूप में ऊपर उठ जाती है। उत्तरी अमेरिका के उटाह राज्य में हेनरी और यून्टा पर्वत इसी प्रकार के पर्वत हैं । (चित्र 8.3)
3. संग्रहित पर्वत (Accumulated Mountain) –
हवा, नदी, हिमनद, लहरों एवं ज्वालामुखी के द्वारा बड़े ढेर के रूप में संग्रहित निक्षेपित पदार्थ एवं एकत्रित मलबे से इन पर्वतों का निर्माण होता है। जापान का फ्यूजीयामा, इटली का विसूवियस एवं अफ्रीका का किलीमंजरों ज्वालामुखी संग्रहित पर्वत है । (चित्र 8.4)
4. भ्रंशोत्थ अथवा ब्लॉक पर्वत (Foulted or Block Mountain) –
- जब दो समान्तर दरारों का मध्यवर्ती भाग ऊपर की ओर उठ जाये या मध्य भाग के दोनों ओर के भाग नीचे धँस जाये तो ब्लॉक पर्वत की उत्पत्ति होती है । भ्रंश के द्वारा इनका निर्माण होने के फलस्वरूप इन्हें भ्रंशोत्थित पर्वत भी कहते हैं । (चित्र 8.5)
5. अवशिष्ट पर्वत (Residual Mountain ) —
- अनाच्छादनकारी, कारकों यथा-नदी, पवन, लहर हिमनद आदि के अपरदनात्मक प्रभाव से अछूता कठोर चट्टानी भू-भाग आस-पास के क्षेत्र से ऊँचा उठा रह जाता है तो उसे अवशिष्ट पर्वत कहा जाता है । जब नदी पठारी भू-भाग को काटकर सममतल मैदान में बदल देती है
किन्तु मध्यवर्ती कठोर चट्टानों वाले भाग का कटाव नहीं हो पाता तो वह अवशिष्ट पर्वत का रूप ले लेता है । (चित्र 8.6)
आयु के अनुसार पर्वतों का वर्गीकरण
अब तक चार प्रमुख पर्वत निर्माणकारी हलचलें घटित हुई हैं। हलचलों के मध्य एक लम्बा शांतकाल रहा है। शांतकाल के दौरान सम्पीड़नात्मक बल संग्रहित हुआ। जिसके फलस्वरूप निम्नलिखित पर्वत निर्माणकारी हलचलें घटित हुई ।
1. आर्कियन पर्वत –
- आज से 40 करोड़ वर्ष पूर्व कैम्ब्रियन काल में आर्कियन पर्वत निर्माणकारी हलचलें घटित हुई । इस समय यूरोप में फेनोंस्कैण्डीनेविया तथा भारत में अरावली पर्वत का निर्माण हुआ ।
2. केलेडोनियन पर्वत –
- लगभग 32 करोड़ वर्ष पूर्व घटित हलचलों के दौरान अमेरिका में अप्लेशियन, यूरोप में स्कॉटिश अपलैण्ड एवं आयरलैण्ड के पर्वतों का निर्माण हुआ ।
3. हर्सिनियन पर्वत –
- लगभग 22 करोड़ वर्ष पूर्व घटित इन हलचलों को अल्टाइड, वारिस्कन व आरमोरिकन आदि नामों से भी जाना जाता है। एशिया में थ्यानशान, अल्टाई, खिंगन व नानशान पर्वत, आस्ट्रेलिया में पूर्वी कार्डिलेरा, यूरोप में पेनाइन आदि पर्वत इसी काल में बने ।
4. अल्पाइन पर्वत –
- आज से लगभग 3 करोड़ वर्ष पूर्व इन नवीनतम मोड़दार पर्वतों का निर्माण प्रारम्भ हुआ । जिनमें हिमालय, कुनलुन, कराकोरम, अराकान, एल्बुज, हिन्दुकुश, रॉकीज, एण्डीज, आल्पस, बाल्कन, पैरेनीज आदि पर्वत श्रेणियां उल्लेखनीय हैं ।
ऊँचाई के अनुसार पर्वतों का वर्गीकरण –
प्रो. फिन्च ने यह विभाजन प्रस्तुत किया है –
1. अधिक ऊँचे पर्वत (High Mountain ) –
- पर्वत 6000 फीट या 2000 मीटर से अधिक ऊँवे होते हैं ।
2. साधारण ऊँचाई वाले पर्वत (Rugged Mountain) –
- ये पर्वत सामान्यतया 4500 से 6000 फीट या 1500 से 2000 मीटर ऊँचे होते हैं।
3. कम ऊँचे पर्वत (Rough Mountain) ―
- कम ऊँचे पर्वतों की ऊँचाई 3000-4500 फीट या 1000 से 1500 मीटर के मध्य होती है।
4. निम्न पर्वत (Low Mountain ) –
- ये पर्वत सामान्यतः 2000-3000 फीट या 700 से 1000 मीटर तक ऊँचे होते हैं ।
मानव जीवन पर पर्वतों का प्रभाव
- पर्यटन की दृष्टि से पर्वत सदैव आकर्षण का केन्द्र रहे हैं ।
- मनोरंजन, स्वास्थ्य लाभ एवं साहसिक पर्वतारोहण के लिए पर्वतों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। सुरक्षा एवं कुटनीतिक दृष्टि से भी अनेक बार पर्वतों का महत्वपूर्ण स्थान रहता है। पर्वतों से निकलने वाली नदियाँ यहाँ के लोगों को पेयजल, सिंचाई, मत्स्याखेट तथा जल विद्युत पैदा करने का अवसर प्रदान करती है । पर्वत उस क्षेत्र की जलवायु को प्रभावित करते हैं तथा वर्षां को नियंत्रित करते हैं । पर्वतीय क्षेत्रों के निवासी साहसिक, निर्भिक, परिश्रमी स्वस्थ, और सरल होते हैं ।
- धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से भी मानव जीवन में पर्वतों का उल्लेखनीय स्थान है। शांत व एकांत पर्वतीय कन्दराओं में ऋषि मुनियों की तपोभूमि एवं आध्यात्मिक केन्द्र स्थित है। अनेक तीर्थ स्थल पर्वतों की देन है । बद्रीनाथ, वैष्णोदेवी आदि तीर्थ धामों की यात्रा प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं द्वारा की जाती है ।
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पर्वत (Mountain) in Hindi FAQ –
(1) हिमालय पर्वत श्रृंखला किस प्रकार की पर्वत श्रेणी में आता है?
Ans- d [SSC CGL 2017, SSC CHSL 2013]
(2) विश्व के विशाल वलित (Fold) पर्वतों की रचना आज से लगभग कितने मिलियन वर्ष पूर्व हुई थी-
Ans- d [BPSC (Pre) 2003]
(3) हिमालय की रचना समांतर वलय श्रेणियों में हुई है, जिसमें से प्राचीनतम श्रेणी है-
Ans- c [Jharkhand PSC (Pre) 2008, Jharkhand PSC (Pre) 2006, IAS (Pre) 1994]
(4) हिमालय पर्वत किस प्रकार के पर्वत का उदाहरण है?
Ans- a [SSC CGL 2016]
(5) हिमालय की उत्पत्ति किस भूसन्नति से हुई है?
Ans- a [SSC CHSL 2017]