ऊर्जा का क्षय (Dissipation of energy)
Dissipation of energy in Hindi
- जब ऊर्जा एक स्वरूप से दूसरे स्वरूप में रूपान्तरित होती है तो ऊर्जा का कुछ भाग ऊष्मा, ध्वनि, प्रकाश आदि के रूप में क्षय हो जाता है। ऊर्जा के क्षय होने से हमारा तात्पर्य यही है कि रूपान्तरण या संचरण की प्रक्रिया में ऊर्जा का कुछ भाग एक ऐसे रूप में बदल जाता है जिसकी हमें आवश्यकता नहीं है अथवा जिसे हम उपयोग में नहीं ले पाते हैं । हालांकि कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है किन्तु इस अनुपयोगी क्षय के कारण हम शत प्रतिशत दक्ष निकाय नहीं बना पाते हैं | ऊर्जा का क्षय मुख्य रूप से निम्न प्रकार होता है।
ऊष्मा ऊर्जा (Heat Energy) –
- जब भी कोई कार्य किया जाता है तो घर्षण, हवा द्वारा उत्पन्न प्रतिरोध एवं विभिन्न प्रतिबाधाओं के कारण कार्य करने की क्षमता में कमी आ जाती है। सामान्यत वह वस्तु जिस पर कार्य किया जा रहा है, गरम हो जाती है | ऊर्जा क्षय का अधिकांश भाग ऊष्मा ऊर्जा के रूप में अनुपयोगी हो जाता है। एक तापदीप्त बल्ब में ऊष्मा ऊर्जा के रूप में ऊर्जा का अधिकांश भाग अनुपयोगी हो जाता है।
प्रकाश ऊर्जा (Light energy) –
- विभिन्न प्रकार की दहन प्रक्रियाओं में ऊर्जा का कुछ भाग प्रकाश ऊर्जा के रूप में अनुपयोगी होकर क्षय हो जाता है।
ध्वनि ऊर्जा (Sound energy) –
- टक्कर, घर्षण एवं अन्य प्रक्रियाओं में ऊर्जा का कुछ भाग ध्वनि ऊर्जा के रूप में भी क्षय हो जाता है | घर्षण आदि के कारण अणुओं में होने वाले कंपन दाब तरंग में बदल जाते हैं जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है।
निकाय में ऊर्जा क्षय को समझने के लिये घरों में उपयोग में आने वाली बिजली एक अच्छा उदाहरण है | प्रारम्भ में विद्युत उत्पादन किया जाता है जहां विभिन्न प्रक्रियाओं में कुछ ऊर्जा का क्षय होता है | नाभिकीय संयंत्रों, कोयला संयंत्रों, जल-विद्युत परियोजनाओं, पवन बिजलीघरों व अन्य माध्यमों में विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा ऊष्मा ऊर्जा या यांत्रिक ऊर्जा उत्पन्न की जाती है। इस प्रक्रिया में कुछ ऊर्जा अनुपयोगी होकर क्षय हो जाती है। ऊष्मा ऊर्जा से भाप बनाकर टरबाइन घुमाई जाती है। टरबाइन की इस यांत्रिक ऊर्जा के रूप में प्राप्त गतिज ऊर्जा के द्वारा जनित्र को घुमाया जाता है | इस प्रक्रिया में भी कुछ ऊर्जा क्षय हो जाती है। टरबाइन के द्वारा जनित्र में विद्युत उत्पादन होता है | एक कोयला संयंत्र की दक्षता करीब 40% होती है | जनित्रों द्वारा उत्पन्न विद्युत ऊर्जा विद्युत आवेशों की गतिज ऊर्जा में बदल जाती है | यह विद्युत ऊर्जा सुचालकों की सहायता से हमारे घरों तक पहुँचाई जाती है । इस दौरान उसके संचरण, वितरण एवं भंडारण में भी विद्युत ऊर्जा का क्षय होता है। जब हम घर में लाइट का स्विच चालू करते हैं तो विद्युत धारा बल्ब तक विद्युत ऊर्जा को ले जाती है। विद्युत आवेश बल्ब के फिलामेंट पर पहुँचकर अपनी गतिज ऊर्जा फिलामेन्ट को दे देते हैं । जिससे फिलामेंट में ऊष्मा उत्पन्न होती हैं । एक निश्चित ऊष्मा पर हमें प्रकाश ऊर्जा प्राप्त होती है | इस प्रक्रिया में अधिकांश ऊर्जा ऊष्मा ऊर्जा के रूप में क्षय हो जाती है। कोयले में उपलब्ध कुल रासायनिक ऊर्जा का बहुत थोड़ा हिस्सा ही हम प्रकाश ऊर्जा के रूप में प्राप्त करते हैं ।
इसी प्रकार वाहनों में आन्तरिक दहन इंजन में जब डीजल या पेट्रोल का उपयोग होता है तो इनकी रासायनिक ऊर्जा पहले ऊष्मा ऊर्जा में बदलती है जो पिस्टन पर दबाव बनाती है एवं पिस्टन घूमने लगता है | यह यांत्रिक ऊर्जा वाहन के पहियों को गतिज ऊर्जा प्रदान करती है। इस प्रक्रिया में इंजन की ध्वनि, दहन के दौरान उत्पन्न प्रकाश, पहियों एवं सड़क के बीच घर्षण के कारण उत्पन्न ऊष्मा जैसे कई अनुपयोगी कार्यों में ऊर्जा क्षय होती है। वाहनों में प्रयुक्त होने वाले ईधन की कुल ऊर्जा क्षमता का करीब एक चौथाई दक्षता ही वर्तमान में हम वाहनों द्वारा प्राप्त करते हैं |
{ *सामान्य विज्ञान* } General Science Notes :- यहाँ क्लिक करें ! |
कार्य, शक्ति तथा उर्जा Work, Power and Energy FAQ –
Q. कार्य का मात्रक है
(क) न्यूटन
(ख) जूल
(ग) वाट
(घ) इनमें से कोई नहीं
Click to show/hide
Q. शक्ति का मात्रक है–
(क) न्यूटन
(ख) वाट
(ग) जूल
(घ) न्यूटन-मीटर
Click to show/hide
Q. पृथ्वी की ओर मुक्त रूप से गिरती हुई वस्तु की कुल ऊर्जा का मान
(क) बढ़ता जाता है।
(ख) घटता जाता है।
(ग) स्थिर रहता है।
(घ) शून्य हो जाता है।
Click to show/hide
Q. यदि एक वस्तु का वेग दो गुना कर दिया जाए तो वस्तु की गतिज ऊर्जा कितनी होगी?
(क) एक-चौथाई
(ख) आधी
(ग) दोगुनी।
(घ) चार-गुनी
Click to show/hide
Q. विद्युत ऊर्जा का व्यावसायिक मात्रक है
(क) जूल
(ख) वाट-सेकण्ड
(ग) किलोवाट घण्टा
(घ) किलोवाट प्रति घण्टा
उत्तर ⇒ ???????
प्रश्न 1. कार्य की परिभाषा दीजिये एवं इसका मात्रक लिखिये।।
उत्तर- जब किसी वस्तु पर बल F लगाया जाये तथा इस बल से वस्तु में विस्थापन s हो तो बल द्वारा किया गया कार्य, बल और बल की दिशा में विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।
अतः कार्य (W) = बल (F) x विस्थापन (S)
W = F.S
कार्य का मात्रक MKS पद्धति में जूल है।
प्रश्न 2. ऊर्जा क्या है ? ऊर्जा का मात्रक लिखिये।
उत्तर- किसी वस्तु के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। ऊर्जा एक अदिश राशि है। ऊर्जा का मात्रक जल होता है।
प्रश्न 3. गतिज ऊर्जा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- गतिज ऊर्जा-किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं। जैसे-उड़ता हुआ हवाई जहाज, नदी में बहता हुआ पानी आदि में कार्य करने की क्षमता उनमें विद्यमान गतिज ऊर्जा के कारण है।
प्रश्न 4. स्थितिज ऊर्जा क्या होती है?
उत्तर- वस्तु की स्थिति अथवा अवस्था के कारण वस्तु में विद्यमान ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।
प्रश्न 5. ऊर्जा संरक्षण नियम बताइये।
उत्तर- इस नियम के अनुसार किसी विलगित निकाय की कुल ऊर्जा सदैव स्थिर रहती है। ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है और न ही ऊर्जा को नष्ट किया जा सकता है। ऊर्जा को केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरित किया जा सकता है।