Wildlife Conservation Essay in Hindi
वन्यजीव संरक्षण (Conservation of wild life)
- सामान्य अर्थ में वन्यजीव उन जीव-जन्तुओं के लिए प्रयुक्त होता है जो प्राकृतिक आवास में निवास करते हैं जैसे हाथी, शेर, गैंडा, हिरण आदि | किन्तु व्यापक रुप से ‘वन्य जीव’ प्रकृति में पाए जाने वाले सभी जीवजन्तुओं एवं पेड़-पौधो की जातियों के लिए प्रयुक्त किया जाता है। भारतवर्ष एक ऐसा देश है जो धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, जलवायु, भूमि एवं जैव विविधता से सम्पन्न है । उल्लेखनीय है कि हमारे देश की भूमि का क्षेत्रफल संसार की भूमि के क्षेत्रफल का मात्र 2.4 प्रतिशत है जबकि विश्व की कुल जैव विविधता में से 8.1 प्रतिशत जातियाँ हमारे देश में पायी जाती है । भारत में कुल मिलाकर स्तनधारियों की 500, पक्षियों की 4200, सर्पों की 220, ‘छिपकलियों की 150, कछुओं की 30, मगर एवं घडियाल की 30 ‘उभयचरों की 142, अलवणीय जल की मछलियों की 105, एवं अकशेरुकी जन्तुओं की हजारों जातिया पायी जाती है।
- किन्तु वर्तमान में मानव के द्वारा ऐसे कारण उत्पन्न कर दिए गए हैं, जिससे वन्यजीवों का अस्तित्व समाप्त हो रहा है। मानव के अतिरिक्त कुछ प्राकृतिक कारण भी हैं जिससे वन्य जीव संकटग्रस्त हैं |
वन्य जीवों के विलुप्त होने के कारण :-
1. प्राकृतिक आवासों का नष्ट होना :- वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों के नष्ट होने के अनेक कारण है उनमें प्रमुख कारण प्राकृतिक आपदाऐं जैसे – ज्वालामुखी विस्फोट, भूकंप, सुनामी आदि हैं, अन्य कारण निम्नलिखित है।
- जनंसख्या वृद्धि के कारण मानव की आवश्यकता बढती गई । मनुष्य ने आवास, कृषि, उद्योगों हेतु वन भूमि का उपयोग किया जिससे जीवों के आवास पर संकट उत्पन्न हो गया।
- वृहद जल परियोजनाओं जैसे भाखडा नांगल, टिहरी बांध, व्यास परियोजना आदि से वन भूमि पानी में डूबती गई | जिससे वन्य जीवों के आवास में ह्स होने लगा।
- जंगलों में खनन कार्य, वातावरण प्रदूषण से उत्पन्न अम्लीय वर्षा आदि से भी प्राकृतिक आवास नष्ट हुए।
- समुद्रो में तेल टेंकरो से तेल का रिसाव समुद्री जीवों के आवास को नष्ट कर रहा है।
- ग्रीन हाऊस प्रभाव के कारण पृथ्वी के आसपास वातावरण गर्म होता जा रहा है जिससे जैव विविधता नष्ट हो रही हैं।
2. वन्य जीवों का अवैध शिकार
3. प्रदूषण
4. मानव तथा वन्य जीवों में संघर्ष
उपर्युक्त कारणों के अतिरिक्त वन्य जीवों के विनाश के जो कारण है उनमें प्राकृतिक, आनुवांशिक एवं मानव जनित कारण भी हैं।
भारत में वन्य-जीवन संरक्षण 1952 से 1972 तक राष्ट्रीय वन-नीति के अन्तर्गत होता था | वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए 1972 में वन्य जीवन सुरक्षा अधिनियम बनाया गया जो वर्तमान में कई संशोधनो के साथ लागू है | विश्व व्यापी चेतना के कारण 1948 में प्रकृति संरक्षण के लिए अन्तरराष्ट्रीय संस्था [TUCN (International union for conservation of nature) का गठन हुआ IUCN के द्वारा विलुप्ती & कगार पर पहुँच गई जातियों को एक पुस्तक में संकलित किया गया जिसे लाल आंकड़ा पुस्तक (Red data book) कहा गया | IUCN में निम्न पाँच जातियों को परिभाषित किया जिन्हें संरक्षण प्रदान करना है-
1. विलुप्त जातियाँ:- वे जातियाँ जो संसार से विलुप्त हो गई है तथा जीवित नही है, विलुप्त जातियों की श्रेणी में रखी हुई है। जैसे – डायनोसोर, रायनिया आदि |
2. संकटग्रस्त जातियाँ:- ये वे जातियाँ है जिनके संरक्षण के उपाय नहीं किये गए तो वे निकट भविष्य में समाप्त हो जाऐगी जैसे- गैण्डा, गोडावन, बब्बर शेर, बघेरा आदि |
3. सभेदय जातियाँ:- ये वे जातियाँ है जो शीघ्र ही संकटग्रस्त होने की स्थिति में है ।
4. दुलर्भ जातियाँ:- ये वे जातियाँ है जिनकी संख्या विश्व में बहुत कम है तथा निकट भविष्य में संकटग्रस्त हो सकती है | ये सीमित क्षेत्रो में पायी जाती है । उदाहरण – हिमालयी भालू, विशाल पान्डा आदि |
5. अपर्याप्त ज्ञात जातियाँ:- ये वे जातियां है जो पृथ्वी पर है किन्तु इन के वितरण के बारे में अधिक पता नहीं है।
वन्य जीवन के संरक्षण की दृष्टि से कुछ सुरक्षित क्षेत्र स्थापित किये गए इनमें राष्ट्रीय पार्क, वन्य जीव अभयारण्य, बायोस्पियर रिजर्व, ओरण प्रमुख है |
राष्ट्रीय उद्यान (National park)
- राष्ट्रीय उद्यान वे प्राकृतिक क्षेत्र है जहां पर पर्यावरण के साथ-साथ वन्य जीवों एवं प्राकृतिक अवशेषों का संरक्षण किया जाता है इनमें पालतू पशुओं की चराई पर पूर्ण प्रतिबंध होता है | इनमें प्राइवेट संस्था द्वारा निजी कार्यों के लिए प्रवेश निषेध है| राष्ट्रीय पार्क का कुछ भाग पर्यटन उद्योग को बढावा देने हेतु विकसित किया जा सकता है | इन का नियंत्रण, प्रबंधन एवं नैति निर्धारण केन्द्र सरकार के अधीन होता है।
अभयारण्य (Sanctuary)
- ये भी संरक्षित क्षेत्र है इनमें वन्य जीवों के शिकार एवं आखेट पर पूर्ण प्रतिबंध होता है इनमें निजी संस्थाओं को उसी स्थिति में प्रवेश की अनुमति दी जाती है जब उनके क्रियाकलाप रचनात्मक हो एवं इससे वन्य जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता हो | भारत में स्थित कुछ अभयारण्य निम्नलिखित है नागार्जुन सागर (आन्ध्रप्रदेश), हजारी बाग प्राणी विहार (बिहार), नाल सरोवर प्राणी विहार (गुजरात), मनाली अभ्यारण्य (हिमाचल प्रदेश), चन्द्रप्रभा प्राणी विहार (उतरप्रदेश), केदारनाथ प्राणी विहार (उतरांचल) |
जीवमण्डल निचय या बायोस्फियर रिज॑व (Biosphere reserve)
- ये वे प्राकृतिक क्षेत्र है जो वैज्ञानिक अध्ययन के लिए शांत क्षेत्र घोषित है। अब तक 128 देशों में 669 बायोस्फिर ‘रिजव स्थापित किये जा चुके है जिसमें से भारत में 18 क्षेत्र है । भारत में प्रथम बायोस्फिर रिजर्व 1986 में नीलगिरि मे अस्तित्व में आया।
प्रमुख प्राकृतिक संसाधन FAQ –
प्रश्न 1. खेजड़ली के बलिदान से सबंधित है
(क) बाबा आमटे
(ख) सुन्दरलाल बहुगुणा
(ग) अरुन्धती राय
(घ) अमृता देवी
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प्रश्न 2. भू-जल संकट के कारण हैं
(क) जल-स्रोतों का प्रदूषण
(ख) भू-जल का अतिदोहन
(ग) जल की अधिक मांग
(घ) उपरोक्त सभी
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प्रश्न 3. लाल आंकड़ों की पुस्तक सम्बन्धित है
(क) संकटग्रस्त वन्य जीवों से
(ख) दुर्लभ वन्य जीवों से
(ग) विलुप्त जातियों से
(घ) उपरोक्त सभी
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प्रश्न 4. सरिस्का अभयारण्य स्थित है
(क) अलवर में
(ख) जोधपुर में
(ग) जयपुर में
(घ) अजमेर में
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प्रश्न 5. सर्वाधिक कार्बन की मात्रा उपस्थित होती है
(क) पीट में
(ख) लिग्नाइट में
(ग) एन्थेसाइट में
(घ) बिटुमिनस में
उत्तर ⇒ ???????
प्रश्न 1. संकटापन्न जातियों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- वे जातियाँ जिनके संरक्षण के उपाय नहीं किये गये तो निकट भविष्य में समाप्त हो जायेंगी।
प्रश्न 2. राष्ट्रीय उद्यान क्या है?
उत्तर- राष्ट्रीय उद्यान वे प्राकृतिक क्षेत्र हैं, जहाँ पर पर्यावरण के साथ-साथ वन्य जीवों एवं प्राकृतिक अवशेषों का संरक्षण किया जाता है।
प्रश्न 3. सिंचाई की विधियों के नाम बताइये।
उत्तर- सिंचाई फव्वारा विधि व टपकन विधि से की जाती है।
प्रश्न 4. उड़न गिलहरी किस वन्य जीव अभयारण्य में पायी जाती है?
उत्तर- सीतामाता तथा प्रतापगढ़ अभयारण्य
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