भारत पर पारसिक (ईरानी) व यूनानी आक्रमण | ExamSector
भारत पर पारसिक (ईरानी) व यूनानी आक्रमण

भारत पर पारसिक (ईरानी) व यूनानी आक्रमण

डेरियस-I (Darius I: 522-486 ई. पू.):

  • यह प्रथम ईरानी आक्रान्ता था।

सिकन्दर महान् (यूनानी आक्रान्ता) (356 ई.पू. – 323 ई.पू.)-

  • सिकन्दर मकदूनिया (मैसिडोनिया) के क्षत्रप फिलिप द्वितीय (359-336 ई. पू.) का पुत्र था।  भारत विजय के लिए 327 ई. में उसने भारत में प्रवेश किया।
  • सिकन्दर के आक्रमण के समय पूर्वी गान्धार (राजधानी तक्षशिला) पर आम्भि का शासन था।
  • आम्भि ने सिकन्दर से युद्ध के स्थान पर उसकी अधीनता स्वीकार कर ली।

हाइडेस्पेस का युद्ध :

  • यह युद्ध झेलम और चिनाब के मध्यवर्ती प्रदेश के राजा पोरस (पुरु) और सिकन्दर के मध्य हुआ, जिसमें भीषण युद्ध के पश्चात् सिकन्दर की विजय हुई।
  • भारत से लौटते समय यूनान पहुँचने से पहले ही 323 ई. पू. में बेबीलोनिया में उसकी मृत्यु हो गई।
  • गन्धार कला शैली यूनानी कला के प्रभाव से ही विकसित हुई थी।

सिकन्दर महान का जीवन परिचय 

जन्म 356 ई.पू.
पिता का नाम  फिलिप (मकदूनिया का शासक)
गुरु  अरस्तू
सेनापति  सेल्यूकस
  • भारत विजय अभियान के तहत सिकन्दर ने 326 ई.पू. में बल्ख (बैक्ट्रिया) को जीतने के। बाद काबुल होते हुए हिन्दूकुश पर्वत को पार किया।
  • तक्षशिला के शासक आम्भी ने आत्म-समर्पण के साथ उसका स्वागत करते हुए उसे आगे के अभियान में सहयोग का वचन दिया।
  • 326 ई.पू. में सिकन्दर को झेलम नदी के तट पर पौरव राज पोरस के साथ ‘वितस्ता का युद्ध करना पड़ा। इस युद्ध में पोरस की पराजय हुई। इस युद्ध को ‘हाइडेस्पीज का युद्ध’ नाम से भी जाना जाता है।
  • आगे के अभियान के लिए सिकन्दर के सैनिकों ने व्यास नदी पार करने से इनकार कर दिया।
  • सिकन्दर ने निकैया (विजयनगर) तथा बुकाफेला (घोड़े के नाम पर) नामक दो नगरों की स्थापना की।
  • सिकन्दर विजित भारतीय प्रदेशों को अपने सेनापति फिलिप को सौंपकर वापस लौट गया। लगभग 323 ई. में बेबीलोन में उसका निधन हो गया।
  • भारत में यूनानी प्रभाव वन्श ‘क्षत्रप प्रणाली’ और ‘उलूक शैली’ के सिक्कों का प्रचलन शुरू हुआ।

Read Also —-

Biology Notes 

Chemistry Notes 

Computer Notes 

Physics Notes


 

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Leave A Comment For Any Doubt And Question :-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *