मुगल वंश | शाहजहां ( 1628-1658 ई. )
मुगल वंश | शाहजहां ( 1628-1658 ई. )
- 1592 में लाहौर में शाहजहां का जन्म हुआ था।
- इसकी माता का नाम जोधाबाई (जगतगुसाई) था।
- 1612 में इसका विवाह आसफ खाँ की पुत्री अर्जुमन्ट बानो बेगम से हुआ जिसे शाहजहां ने मुमताज महल के उपाधि दी।
- जहांगीर की मृत्यु के समय शाहजहां दक्षिण भारत में था
- शाहजहां अकबर और जहांगीर की तुलना में धार्मिक रूप से कट्टर था।
- शाहजहां ने नए मंदिरों के निर्माण पर रोक लगा दिया
- इसने पुनः तीर्थ यात्रा कर लगाया।
- इसने ईसाई धर्म परिवर्तन पर रोक लगाई।
राजनीतिक घटना —
(1) बुन्देलों का विद्रोह
- इसके समय में 1628 में ओरछा के शासक जुझारसिंह ने विद्रोह किया। अंततः 1635 में इस विद्रोह का अंत हुआ और जुझारसिंह की हत्या कर दी गई।
(2) पुर्तगालियों का दमन
- 1632 में शाहजहां ने बंगाल के सूबेदार कासिम खाँ को हुगली के पुर्तगालियों का दमन करने का आदेश दिया।
- कासिम खाँ ने हुगली पर आक्रमण करके अनेकों पुर्तगालियों की हत्या की और हजारों बंदी बना लिये गए।
शाहजहां काल के प्रमुख अभियान
दक्षिण अभियान
- 1630 में शाहजहां ने अहमदनगर अभियान किया।
- इस तरह शाहजहां ने दक्षिण में स्थाई रूप से मुगल सत्ता स्थापित किया और औरंगजेब को दक्षिण का सूबेदार नियुक्त किया।
कन्धार विजय
- 1638 में यहां के प्रशासक अलीमर्दान खाँ को शाहजहां ने अपने पक्ष में कर लिया।
- इसने कन्धार शाहजहां को सौंप दिया।
- शाहजहां के पुत्रों के मध्य उत्तराधिकार का युद्ध
- 1657 में शाहजहां बीमार पड़ा एवं दक्षिण भारत में इसके मृत्यु की अफवाह उड़ गई परिणामस्वरूप मुराद एवं शाहशुजा ने अपने को सम्राट घोषित किया।
- औरंगजेब ने धैर्य से काम लिया और मुराद को अपनी तरफ मिलाकर दारा शिकोह के विरुद्ध युद्ध किया।
शाहजहाँ के समय में होने वाले विद्रोह
1.बुंदेलों का विद्रोह | 1628 से 1635 तक |
2.खान-ए-जहाँ लोदी का विद्रोह | 1629 से 1633 तक |
3. पुर्तगालियों का दमन | 1632 ई. में |
शाहजहाँ के पुत्रों के मध्य उत्तराधिकार का युद्ध
1.बहादुरपुर का युद्ध | 1658 में | शाहशुजा एवं दारा की शाही सेना। |
2.धरमत का युद्ध | 1658 में | औरंगजेब एवं मुराद की संयुक्त सेना तथा दारा की शाही सेना। |
3.सामूगढ़ का युद्ध | 1658 | औरंगजेब एवं मुराद की संयुक्त सेना एवं दारा के बीच। |
4.खजुवा का युद्ध | 1659 | औरंगजेब एवं शाहशुजा के बीच |
5.देवराई का युद्ध | 1659 | औरंगजेब एवं दारा के बीच |
महत्वपूर्ण तथ्य–
- शाहजहाँ का वास्तविक नाम खुर्रम था जिसका अर्थ है ‘आनंददायक।
- शाहजहाँ ने तख्न-ए-ताऊस (मयूर सिंहासन) का निर्माण कराया। इस सिंहासन का प्रारुपकर्ता जेरोनियो-विरोनियो नामक एक यूरोपीय था।
- शाहजहाँ ने कवीन्द्राचार्य के अनुरोध पर इलाहाबाद एवं बनारस में तीर्थयात्रा कर समाप्त कर दिया था।
- शाहजहाँ ने दाराशिकोह को “शाह बुलंद इकबाल’ की सर्वोच्च उपाधि दी थी।
- दाराशिकोह कादिरी सिलसिले के सूफी संत मुल्लाशाह बदख्शी का शिष्य था।
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