मराठा काल | शिवाजी (1627-80 ई.) | ExamSector
मराठा काल | शिवाजी (1627-80 ई.)

मराठा काल | शिवाजी (1627-80 ई.)

शिवाजी (1627-80 ई.)

  • शिवाजी का जन्म 1627 में शिवनेर के दुर्ग में हुआ था।
  • इनके पिता शाहजी भोसले बीजापुर के सुल्तान के यहाँ प्रथम श्रेणी के सरदार थे।
  • शाहजी के पास पूना एवं बंगलौर की जागीर थी।
  • शिवाजी की माता का नाम जीजाबाई था। शाहजी और जीजाबाई में कुछ मन-मुटाव होने के कारण बंगलौर रहते थे और जीजाबाई पूना रहती थीं।
  • शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास थे। शिवाजी के जीवन में इनका सर्वाधिक प्रभाव पड़ा।

शिवाजी का राज्याभिषेक

  • शिवाजी ने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनायी।
  • 6 जून 1674 को इनका राज्याभिषेक हुआ। राज्याभिषेक काशी के ब्राह्मण विशेश्वरभट्ट (गागाभट्ट) ने वैदिक विधि विधान से सम्पन्न कराया। राज्याभिषेक के 11 दिन बाद जीजाबाई का निधन हो गया। अतः 24 सितम्बर 1674 को शिवाजी ने अपना दूसरा राज्याभिषेक तान्त्रिक विधि विधान से कराया।
  • यह राज्याभिषेक निश्चलपुरी गोसांई ने कराया।
  • 1680 में रायगढ़ में शिवाजी की मृत्यु हो गयी।

शिवाजी के अभियान

  • शिवाजी ने अपने अभियानों की शुरुआत बीजापुर के विरुद्ध 1646 में की थी।
  • 1646 में इन्होंने सर्वप्रथम बीजापुर के सुल्तान से तोरण का किला विजित किया और इसी वर्ष इन्होंने मुरूम्बगढ़ का किला जीता।
  • 1647 में इन्होंने कोंडाना (सिंहगढ़) एवं चाकन का किला जीता।
  • 1657 में शिवाजी का पहली बार मुगलों से संघर्ष हुआ। इसमें मराठा सेना को पीछे हटना पड़ा।
  • अफजल खां बीजापुर का सेनापति था जो शिवाजी को समाप्त करने के उद्देश्य से प्रतापगढ़ के जंगल में अकेले सन्धि का प्रस्ताव रखा था और यहाँ पर शिवाजी ने बघनखे की सहायता से शिवाजी ने अफजल खां का वध किया।
  • 1664 में शिवाजी ने सरत की प्रथम लट की। इस लूट से इन्हें लगभग 1 करोड़ रुपये की सम्पत्ति प्राप्त हुई।
  • 1665 में औरंगजेब ने शिवाजी का दमन के लिए राजा जयसिंह को नियुक्त किया।
  • राजा जयसिंह ने शिवाजी के अनेक क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया और अन्ततः 15 जून 1665 को राजा जयसिंह और शिवाजी के बीच पुरन्दर की सन्धि हुयी।
  • इस सन्धि के द्वारा शिवाजी ने मुगलों की अधीनता स्वीकार कर ली और अपने 35 किलों में से 23 किले मुगलों को दे दिए तथा शिवाजी के पुत्र सम्भाजी को 5 हजार का मनसबदार नियुक्त किया गया।
  • जयसिंह के कहने पर शिवाजी 1666 में औरंगजेब से मिलने आगरा आए। शिवाजी के गैर अनुशासनिक व्यवहार से औरंगजेब ने इन्हें बन्दी बना कर नजरबन्द कर दिया। अन्ततः शिवाजी आगरा से भागने में सफल हुए।
  • 1667 में शिवाजी ने औरंगजेब की अधीनता स्वीकार कर ली।
  • औरंगजेब ने शिवाजी को राजा की उपाधि दी।

शिवाजी का प्रशासन

  • शिवाजी का राजस्व सिद्धान्त प्राचीन हिन्द सिद्धान्तों पर आधारित था। क्षत्रपति इनकी उपाधि थी। इनकी प्रशासनिक भाषा मराठी थी।

सदस्य

  1.  पेशवा : प्रशासनिक कार्य करना इसका मुख्य कार्य था। प्रत्येक राजकीय आज्ञाओं में सम्राट के हस्ताक्षरों के नीचे पेशवा के हस्ताक्षर व मोहर आवश्यक थी।
  2.  अमात्य/पंत/मजमुआदार : यह राज्य का वित्त मंत्री था।
  3.  न्यायाधीश :-यह राजा के बाद मुख्य न्यायाधीश था।
  4.  पंडितराव : यह धार्मिक मामलों में राजा का मुख्य सलाहकार था। यह राज्य की तरफ से ब्राह्मणों. मन्दिरों को अनुदान देता था।

भू-राजस्व व्यवस्था

  • राजकीय आय का मुख्य श्रोत भूमि कर था।
  • प्रारम्भ में शिवाजी ने 1/3 भाग भू-राजस्व वसूल किया। बाद में जब इन्होंने आन्तरिक करों को समाप्त कर दिया तब 2/5 भाग भू-राजस्व वसूल किया। राजकीय आय का दूसरा श्रोत चौथ था। शिवाजी यह कर पड़ोसी शत्र राज्यों से वसल करते थे। यह उस राज्य की
    आय का 1/4 होता था।
  • इसके अतिरिक्त शिवाजी सरदेशमुखी नामक कर पड़ोसी शत्रु राज्यों से वसूल करते थे। यह राज्य की आय का 1/10 होता था।

शिवाजी के उत्तराधिकारी

संभाजी (1680-89)

  • संभाजी उत्तर भारत के एक ब्राह्मण कवि कलश को अपना सलाहकार नियुक्त किया। मुगल सम्राट औरंगजेब से इनका संघर्ष हुआ। 1689 में
  • औरंगजेब ने संभाजी तथा कवि कलश को बन्दी बना लिया और दोनों की हत्या कर दी।

राजाराम (1689-1700)

  • राजाराम ने अपनी राजधानी दक्षिण में जिंजी को बनाया। इन्होंने निरन्तर मुगलों से संघर्ष किया और आंशिक सफलता प्राप्त की।

शिवाजी II (1700-1707)

  • यह राजाराम के अल्प वयस्क पुत्र थे। इनकी माता ताराबाई इनकी संरक्षिका थी।
  • ताराबाई मुगलों से मराठा राज्य छीनने में सफल रहीं।
  • 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद शाहू आजम की ____ कैद में था। इसने शाहू को रिहा कर दिया।
  • 1707 में खेद के मैदान में ताराबाई पराजित हुई और कोल्हापुर चली गयीं और शिवाजी-II के नाम से यही से शासन करने लगीं।

शाहू छत्रपति (1708-49)

  • शाहू ने सतारा को अपनी राजधानी बनाई।
  • शाहू के समय में मराठे भारत की प्रथम श्रेणी की शक्ति में स्थान पा सके। इसके लिए शाहू के पेशवा ही उत्तरदायी थे।

मराठा छत्रपति–एक दृष्टि में

1.शिवाजी 1674 – 1680 ई.
2.शंभाजी 1680 – 1689 ई.
3.राजाराम 1689 – 1700 ई.
4.शिवाजी-1 1700 – 1707 ई.
5.शाहू-1 1708 – 1749 ई.
6.रामराजा  1749 – 1777 ई.
7.शाहू-II  1777 – 1808 ई.
8.प्रताप सिंह  1808 – 1839 ई.
9.शाहजी 1839 – 1848 ई.

मराठा पेशवा-एक दृष्टि में

1.बालाजी विश्वनाथ 1713 – 1720 ई.
2.बाजीराव 1720 – 1740 ई.
3.बालाजी बाजीराव 1740 – 1761 ई.
4.माधव राव  1761 – 1772 ई.
5.नारायण राव 1772 – 1774 ई.
6.माधवराव नारायण 1774 – 1795 ई.
7.बाजीराव-II 1795 – 1818 ई.

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Polity Notes

Physics Notes

 

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