मराठा काल | पेशवा काल
मराठा साम्राज्य | पेशवा काल
पेशवा काल
बालाजी विश्वनाथ (1713-20)
- यह शाहू के पहले पेशवा थे। इन्होंने मराठों की शक्ति को महाराष्ट्र में सुदृढ़ किया। इनकी मुख्य उपलब्धि 1719 में मुगलों से की गयी सन्धि थी। यह सन्धि मुगल दक्षिण के मुगल सुबेदार हुसैल अली ने मुगल सम्राट की ओर से शाहू के साथ की थी।
बाजीराव प्रथम (1720-40)
- यह बालाजी विश्वनाथ के पुत्र थे। इसी समय से पेशवा का पद वंशानुगत हो गया।
- यह पहले मराठे हैं जिन्होंने उत्तर भारत में साम्राज्य विस्तार किया। इन्होंने मुगलों को पराजित कर मालवा, गुजरात और बुन्देलखण्ड को जीतकर मराठा साम्राज्य में सम्मिलित किया।
- इन्हीं के समय में मराठों के अनेक राजवंशों की स्थापना । हुई जैसे
- रानोजी सिंधिया ने मालवा के एक हिस्से में सिंधिया वंश की स्थापना की। प्रारम्भ में इनकी राजधानी उज्जैन थी बाद में ग्वालियर थी।
- इसी समय मल्हारराव होल्कर मालवा के दूसरे भाग में होल्कर वंश की स्थापना की। इनकी राजधानी इन्दौर थी।
- यह मस्तानी नामक मुस्लिक महिला से प्रेम करते थे।
बालाजी बाजीराव (1740-61)
- इन्हीं के समय में शाहू जी की 1749 में मृत्यु हुई। इसके बाद छत्रपति के सारे अधिकार पेशवा में निहित हो गये।
- इनके समय की सबसे महत्वपूर्ण घटना पानीपत का तृतीय युद्ध था। 1761 में यह युद्ध अहमदशाह अब्दाली एक मराठों के बीच लड़ा गया।
- मराठा सेना का नेतृत्व सदाशिवराव भाऊ एवं विशवासराव ने किया। इसमें मराठे पराजित हुए।
- बालाजी बाजीराव को नाना साहब के नाम से भी जान जाता था।
- 1750 ई. में संगोला समझौता द्वारा छत्रपति के सारे अधिकार पेशवा में निहित हो गये।
- अब छत्रपति नाममात्र का शासक होता था और सतारा बन्दी जीवन व्यतीत करता था।
पानीपत का तृतीय युद्ध
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