क्रिकेट में डीआरएस का फ़ुल फ़ॉर्म है, डिसीज़न रिव्यू सिस्टम. यह एक तकनीकी नवाचार है जिससे मैच अधिकारियों को सटीक फ़ैसले लेने में मदद मिलती है. डीआरएस की मदद से मानवीय त्रुटियों को कम किया जा सकता है और खेल में सटीकता, पारदर्शिता, और निष्पक्षता बढ़ाई जा सकती है. डीआरएस के तहत, अगर किसी टीम या खिलाड़ी को लगता है कि अंपायर का फ़ैसला ग़लत है, तो वह फ़ील्डिंग के दौरान कप्तान और बल्लेबाज़ी के दौरान स्ट्राइकर छोर पर खड़ा बल्लेबाज़ हाथ से टी का निशान बनाकर रिव्यू ले सकता है. इसके बाद, ऑन-फ़ील्ड अंपायर तीसरे अंपायर से सलाह ले सकते हैं और तीसरा अंपायर ऑन-फ़ील्ड अंपायरों के फ़ैसले पर विचार कर सकता है.
क्रिकेट में DRS का फुल फॉर्म “Decision Review System” होता है। हिंदी में इसे “निर्णय समीक्षा प्रणाली” कहा जाता है। यह प्रणाली खिलाड़ियों को अंपायर के निर्णयों की समीक्षा करने का मौका देती है।
DRS Full Form in Cricket
- DRS (Decision Review System)
- English: Decision Review System
Hindi: निर्णय समीक्षा प्रणाली
Q1: DRS का उपयोग क्रिकेट में क्यों किया जाता है?
Ans: DRS का उपयोग अंपायर के निर्णयों की सटीकता बढ़ाने के लिए किया जाता है, जिससे खिलाड़ियों को अंपायर के फैसलों की समीक्षा करने और अगर वे असंतुष्ट हैं, तो उस फैसले को चुनौती देने का मौका मिलता है।
Q2: DRS में कौन-कौन सी तकनीकें शामिल होती हैं?
Ans: DRS में कई तकनीकें शामिल होती हैं, जैसे हॉकआई (Hawk-Eye), अल्ट्राएज (UltraEdge) या स्निकोमीटर (Snickometer), हॉट स्पॉट (Hot Spot), और बॉल ट्रैकिंग (Ball Tracking)।
Q3: DRS का उपयोग कैसे किया जाता है?
Ans: अगर किसी खिलाड़ी को अंपायर का निर्णय गलत लगता है, तो वे DRS का उपयोग करके उस निर्णय की समीक्षा कर सकते हैं। इसके लिए खिलाड़ी को अपनी टीम के कप्तान के माध्यम से रिव्यू की अपील करनी होती है। तीसरे अंपायर द्वारा तकनीकी सहायता से निर्णय की समीक्षा की जाती है।
Q4: कितनी बार DRS का उपयोग किया जा सकता है?
Ans: टेस्ट मैचों में, प्रत्येक टीम को प्रति पारी दो असफल रिव्यू मिलते हैं। वनडे और टी20 मैचों में, प्रत्येक टीम को एक असफल रिव्यू मिलता है।
Q5: DRS के माध्यम से किन फैसलों की समीक्षा की जा सकती है?
Ans: DRS का उपयोग आउट/नॉट आउट, एल्बीडब्ल्यू (LBW), कैच, और अन्य निर्णयों की समीक्षा के लिए किया जा सकता है।