राजस्थान की महिला संत
राजस्थान की महिला संत ( Rajasthan Ke Pramukh mahila Sant )
Rajasthan Ke Pramukh mahila Sant
नाम | जन्म | विशेष विवरण |
संत राना बाई | हरनावा (नागौर) | गुरु-संत चतुरदास, प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ला 13 को मेला भरता है। |
रानी रूपां दे | — | गुरु-राव भाटी समाधि-मजल (बाड़मेर) पति-राव मल्लीनाथ |
रानी रत्नावली | — | आमेर नरेश मानसिंह के छोटे भाई भानगढ़ (अलवर) के माधोसिंह की पत्नी। कृष्ण भक्त संत महिला। |
रानी अनूप कंवरी | किशनगढ़ (अजमेर) | किशनगढ़ नरेश कल्याणसिंह की बुआ।
निम्बार्क पीठाधीश, ‘ब्रजशरण देवाचार्य’ की समकालीन । ब्रज मिश्रित राजस्थानी में कृष्ण शृंगार, राधाकृष्ण लीला तथा आत्म निवेदन प्रधान पदों की रचयिता। |
रानी पार्वती सोलंकनी | कोलूमण्ड (जोधपुर) | हथूडी (पाली) के राव सीहा राठौड़ की कृष्ण भक्त रानी। |
सुमती झाली | — | राणा कुम्भा की महारानी जिन्होंने संत रैदास को अपना गुरु माना। |
बाला बाई ‘अपूर्वदे’ | बीकानेर | बीकानेर नरेश राव लूणकरण की पुत्री जिनका विवाह आमेर नरेश पृथ्वीराज कच्छवाह से हुआ। गुरू-कृष्णदास ‘पयहारी’ आमेर महल में बालाबाई की साल स्थित है। |
रानी करमेत्ती बाई | खण्डेला (सीकर) | खंडेला के पुरोहित परशुराम कांथड़िया की पुत्री जो कृष्ण भक्ति में लीन रही।
इनकी याद में खंडेला ठाकुर ने ‘ठाकुर बिहारी मंदिर’ बनवाया। |
ज्ञानमती बाई | — | दादूपंथी संत चरणदास की शिष्या। |
कर्मठी बाई | — | अकबर के समकालिक गोस्वामी हितहरिवंश की प्रमुख शिष्या। |
जनखुशाला बाई | — | चरणदास के शिष्य हल्दिया अखेराम की शिष्या।
कृतियाँ–’साधु महिमा’ व ‘बंधु बिलास’ |
ताज बेगम | फतेहपुर (सीकर) | नवाब फदनखाँ की पुत्री जो कृष्णोपासक थी। |
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