रेशम (Silk), रेशम कीट का जीवन चक्र , सेरीकल्चर
रेशम (Silk), रेशम कीट का जीवन चक्र , सेरीकल्चर
रेशम (Silk)-
- रेशम प्राकृतिक रेशा है, जो रेशम के कीट से प्राप्त होता है।
रेशम कीट पालन या सेरीकल्चर-
- रेशम प्राप्त करने के लिए रेशम के कीटों को पालना रेशम कीट पालन या सेरीकल्चर कहलाता है। रेशम कीट शहतूत के पौधे पर रहता है और इसकी पत्तियाँ खाता है।
रेशम कीट का जीवन चक्र-
- मादा कीट शहतूत के पौधों पर न अंडे देती है। इन अंडों से इल्लियाँ या केटरपिलर (लार्वा) निकलते हैं। ये इल्लियाँ शहतूत की पत्तियों को खाकर वृद्धि करती हैं। इनमें विशेष ग्रन्थि होती है जिसे रेशम ग्रन्थि कहते हैं। यह ग्रन्थि एक पदार्थ स्रावित करती है। इल्लियाँ इस पदार्थ से धागे सदृश संरचना बनाती हैं और अपने चारों ओर लपेट लेती हैं।
- इल्ली के चारों ओर रेशम का धागा लिपट जाने से गोल संरचना बन जाती है जिसे कृमिकोष या कोकून कहते हैं। कृमिकोष में इल्लियाँ प्यूपा अवस्था में बदल जाती हैं। और प्यूपा रेशम कीट बनकर अपना जीवन चक्र पूर्ण करता है। रेशम कीट के जीवन चक की कोकून अवस्था को वयस्क कीट में परिवर्तित होने से पहले कोकूनों को धूप में या गरम पानी में अथवा भाप में या जाता है। इससे रेशम के रेशे प्राप्त होते हैं। रेशम के रूप में उपयोगी धागा बनाने की इस प्रक्रिया को रेशम की रीलिंग कहते हैं। फिर इन रेशों की कताई की जाती है जिससे रेशम के धागे प्राप्त होते हैं।
- हमारे देश का 90 प्रतिशत रेशम उत्पादन कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडु से प्राप्त होता है। चीन सर्वाधिक रेशम उत्पन्न करने वाला देश है।
इने भी जरूर पढ़े :-
Read Also This