राजस्थान के प्रमुख उद्योग | ExamSector
राजस्थान के प्रमुख उद्योग

राजस्थान के प्रमुख उद्योग  ( Major Industries of Rajasthan )

Rajasthan ke Pramukh Udyog

सूती वस्त्र उद्योग

  • सती वस्त्र उद्योग राज्य का सबसे प्राचीन एवं संगठित उद्याग है। 1949 के आस-पास राज्य में सात सती वस्त्र उद्योग थे । वर्तमान में 23 मीलें स्थापित हो चुकी हैं।
  • राज्य में प्रथम सूती वस्त्र मिल निजी क्षेत्र की द कृष्णा मिल्स लि. (1889) में दामोदर दास राठी एवं श्याम जी कृष्ण वर्मा द्वारा ब्यावर (अजमेर) में स्थापित की गई, जो अब राज्य सरकार के अधीन है। इसके बाद दूसरी सूती वस्त्र मिल एडवर्ड मिल्स (1906) ब्यावर (अजमेर) में स्थापित की गई।
  • वर्तमान में 17 निजी, 3 सार्वजनिक तथा 3 सहकारी क्षेत्र की इकाइयाँ कार्यरत हैं।

राज्य की निजी क्षेत्र की प्रमुख सूती वस्त्र मिलें निम्न हैं

  • महालक्ष्मी मिल्स (ब्यावर)
    मेवाड़ टेक्सटाईल (भीलवाड़ा)
    महाराजा उम्मेद मिल्स (पाली)
    सार्दुल टेक्सटाईल (श्रीगंगानगर)
  • राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र में ब्यावर तथा विजयनगर में मिलें स्थापित की गई हैं। जबकि सहकारी क्षेत्र में गुलाबपुरा (भीलवाडा गंगापुर (भीलवाड़ा) तथा हनुमानगढ़ में सूती वस्त्र मिलें स्थापित है।
  • 1 अप्रैल, 1993 को तीनों सहकारी क्षेत्र की मिलों को मिलाकर SPINFED बना दिया गया है। वर्तमान समय में भीलवाड़ा को सूती वस्त्र उद्योग की अधिकता के कारण राजस्थान का मेनचेस्टर कहा जाता है।

चीनी उद्योग

राज्य के गन्ना उत्पादन में प्रथम स्थान गंगानगर तथा द्वितीय स्थान बूंदी जिले का है, जबकि तीसरा स्थान राजसमन्द का है। राज्य में चीनी की तीन वृहद इकाइयाँ कार्यरत हैं

  1.  द मेवाड़ शुगर मिल्स लि.-निजी क्षेत्र की भोपालसागर (चित्तौड़गढ़) में राज्य की पहली चीनी मिल है। इसकी स्थापना 1932 में की गई थी।
  2.  गंगानगर शुगर मिल्स लि.-1937 में स्थापित यह राज्य की प्रथम सार्वजनिक शुगर मिल है। इसमें गन्ना एव चुकन्दर से चीनी बनाई जाती है। इसके अधीन एक शराब एवं स्प्रिट बनाने का कारखाना भी है।
  3. रायपाटन सहकारी शुगर मिल्स लि.-1970 में स्थापित राज्य की एकमात्र सहकारी मिल है, जो कि वर्तमान में बंद पड़ी है।

ऊन उद्योग

  • राज्य में ऊन का उत्पादन देश के ऊन उत्पादन का 40% होता है।
  • राजस्थान में उत्तर एवं पश्चिम में स्थित शुष्क व अर्द्धशष्क जिलो में ऊन उत्पादन होता है।

ऊन से सम्बन्धित संस्थाएँ एवं फैक्ट्रियाँ निम्न हैं

  1. स्टेट वूलन मिल-बीकानेर
  2. जोधपुर ऊन फैक्ट्री-जोधपुर
  3. विदेशी आयात-निर्यात संस्था-कोटा
  4. वर्टेड स्पिनिंग मिल्स-चूरू तथा लाडनूं (नागौर)
  5. एशिया की सबसे बड़ी ऊन मण्डी-बीकानेर
  6. अखिल भारतीय ऊन विकास बोर्ड-जोधपुर
  7. गलीचा प्रशिक्षण केन्द्र-बीकानेर
  8. ऊनी कपड़ा सबसे अधिक-भीलवाड़ा

काँच उद्योग

  • काँच उद्योग के लिए मुख्यत: बालू मिट्टी की आवश्यकता होती है।
  • जयपुर, बीकानेर, बूंदी तथा धौलपुर आदि में उत्तम श्रेणी के बालू पत्थर पाए जाते हैं। राज्य में काँच उद्योग मुख्यतः धौलपुर में केन्द्रित हैं।

कागज उद्योग

  • राज्य में कागज बनाने का कारखाना सर्वप्रथम सांगानेर (जयपुर) में मानसिंह प्रथम द्वारा लगाया गया था।
  • घोसुण्डा (चित्तौड़) तथा सांगानेर (जयपुर) में हाथ से कागज बनाया जाता है।
  • स्ट्राबोर्ड बनाने का कारखाना कोटा में है।
  • कोटपूतली में कृष्णा पेपर मिल दिल्ली द्वारा कारखाना लगाया जा रहा है।
  • उदयपुर, बाँसवाड़ा तथा चित्तौड़गढ़ में बाँस की प्रचुरता के कारण कागज उद्योग पनप सकता है।

सीमेण्ट उद्योग

  • राज्य में प्रथम सीमेन्ट कारखाना 1913 में ACC द्वारा लाखेरी (बूंदी) में स्थापित किया गया था।
  • स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात राज्य का प्रथम कारखाना सवाई माधोपुर में स्थापित किया गया था।
  • उत्पादन क्षमता की दृष्टि से जे.के. सीमेण्ट निम्बाहेड़ा का कारखाना सबसे बड़ा है।
  • राज्य में सफेद सीमेन्ट का कारखाना गोटन (नागौर) में है।
  • वर्तमान में मांगरोल (चित्तौड़गढ़) में भी सफेद सीमेन्ट का नया कारखाना स्थापित हुआ है।
  • जोधपुर के खारिया खंगार में भी सफेद सीमेण्ट का कारखाना स्थापित किया गया है।

रेशम उद्योग

  • भारत में रेशम कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडु तथा जम्मू-कश्मीर में होता है।
  • भारत में सबसे ज्यादा रेशम कीट जम्मू-कश्मीर में पाए जाते हैं।
  • राजस्थान में रेशम उत्पादन के लिए टसर कृषि की जाती है।

रेशम की खेती के प्रकार-

  1. मुरबेरी
  2.  एरी
  3. टसर
  4. मूंगा
  • टसर खेती को राजस्थान में टसर खेती कोटा तथा उदयपुर में होती है।

इने भी जरूर पढ़े –

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Leave A Comment For Any Doubt And Question :-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *