राजस्थान के प्रमुख राजवंश ( राजपूत राजवंश )
राजस्थान के प्रमुख राजवंश
Rajasthan Ke Pramukh Rajvansh ( Rajput Rajvansh )
1. राजपूत राजवंश
राजपूतों की उत्पत्ति
- सम्राट हर्षवर्धन के मृत्यूपरान्त भारत में नये राजवंशों का उदय हुआ, जिसमें सांभर में चौहान, बुंदेलखण्ड में चन्देल, गुजरात में चालुक्य (सोलंकी), बंगाल में पाल वंश व तत्पश्चात सेनवंश प्रमुख हैं, ये सभी राजपूत कहलाये तथा 7वीं से 12वीं शताब्दी तक का काल भारतीय इतिहास में ‘राजपूत काल’ कहलाया।
- ‘राजपूत’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘राजपुत्र’ से हुई है जिसका प्रयोग प्राचीनकाल में शासक वर्ग के लिए होता था लेकिन बाद में इसका प्रयोग जाति या वंश विशेष के लिए होने लगा।
राजपूतों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में भिन्न-भिन्न मत प्रचलित है।–
(1) वैदिक क्षत्रियों की सन्तान–
- मनुस्मृति में क्षत्रियों की उत्पत्ति ब्रह्मा’ से तथा ऋग्वेद में ब्रह्मा की बाँहों से मानी जाती है, जिनका कार्य निर्बलों की रक्षा बताया गया है।
- श्री गौरीशंकर हीराचंद ओझा व श्री सी.एम. वैद्य ने राजपूतों को ‘वैदिक आर्यों की सन्तान बताया है।
(2) अग्निकुण्ड से उत्पत्ति
- चन्द्रबरदाई कृत ‘पृथ्वीराज रासो’ के अनुसार वशिष्ठ मुनि ने आबू के यज्ञकुण्ड से परमार, चालुक्य, प्रतिहार तथा चौहान योद्धाओं को यज्ञ की रक्षा हेतु उत्पन्न किया।
(3) ब्राह्मणों से उत्पत्ति
- डॉ. भण्डारकर ने राजपूतों की उत्पत्ति किसी विदेशी ब्राह्मण वंश से बताई है। प्राचीन ग्रंथ ‘पिंगल सूत्र’ में भी राजपूतों की उत्पत्ति ब्राह्मणों से मानी गई है।
- डॉ. गोपीनाथ शर्मा ने मेवाड़ के गुहिलोतों को मार ब्राह्मण गुहेदत्त का वंशज बताते हुए इस मत का समर्थन किया।
(4) सूर्य व चन्द्रवंशी
- 10वीं शताब्दी में चारण साहित्यकारों तथा तत्पश्चात् चित्तौड़ के शिलालेख (1274 ई.) व अंकलेश्वर के शिलालेख (1285 ई.) में राजपूतों को सूर्यवंशी व चंद्रवंशी माना गया है।
- आबू में तेजपाल मंदिर के शिलालेख (1230 ई.) में राजा धूमपाल को व हर्षनाथ मंदिर (सीकर) से प्राप्त शिलालेख में चौहानों को सूर्यवंशी बताया गया है।
(5) पाश्चात्य विद्वानों का मत
- कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार राजपूत विदेशी जातियों शक अथवा सिथियन के वंशज हैं।
- वी.ए. स्मिथ ने राजपूतों को ‘हूणों की संतान’ बताया !
- कर्नल जेम्स टॉड ने अग्निकुण्ड से उत्पत्ति की कहानी को स्वीकार करते हुए बताया कि जब विदेशी आक्रमणकारी शासक बन गये तो उन्हें अग्नि संस्कार द्वारा पवित्र कर जाति व्यवस्था के अन्तर्गत लिया गया।
- पाश्चात्य विद्वान विलियम क्रुक के अनुसार राजपूतों के कई वंशों का उद्भव ‘शक’ व ‘कुषाण’ आक्रमण के समय हुआ।
(6) चट्टोपाध्याय का मत (मिश्रित मूल का सिद्धान्त)
- सर्वाधिक मान्य इस मत के समर्थक डी.पी. चट्टोपाध्याय के अनुसार राजपूतों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में कुछ भी कहना कठिन है लेकिन फिर भी राजपूतों की उत्पत्ति वैदिक कालीन क्षत्रियों से मानना सर्वाधिक संगत है।
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