Air Pressure Belts in Hindi
वायुदाब की पेटियाँ (Air Pressure Belts)

वायुदाब की पेटियाँ (Air Pressure Belts)

Air Pressure Belts in Hindi

वायुदाब तथा पवनें –

  • वायुदाब एवं पवन संचार का घनिष्ठ संबंध है । वायुदाब में अन्तर ही पवनों की उत्पत्ति का कारण होता है । वायुदाब का अन्तर वर्षा एवं तापमान को भी प्रभावित करता है । पवनों द्वारा निम्न अक्षांशों और उच्च अशांक्षों के मध्य ऊष्मा का स्थानान्तरण होता है, जिससे अक्षांशीय ताप संतुलन बनाये रखने में सहायता मिलती है। पवनों के द्वारा ही महासागरों से महाद्वीपों को आर्द्रता पहुँचाई जाती है, जिससे वर्षा संभव होती है ।

वायुदाब की पेटियाँ (Air Pressure Belts)

वायुदाब पेटियों के निर्धारण का प्रमुख आधार तापमान तथा पृथ्वी को एक ही प्रकार का धरातल (स्थल या जल) मानकर ये पेटियाँ निश्चित की गई है। अतः ये पेटियाँ अत्यधिक साधारणीकृत है । भूमण्डल पर वायुदाब के कारकों की भिन्नता के कारण वायुदाब का विषम वितरण होना स्वाभाविक है । वायुदाब को सात पेटियों में प्रदर्शित किया गया है। पृथ्वी तल पर निम्नलिखित वायुदाब पेटियाँ प्रत्येक गोलार्द्ध में पायी जाती है (चित्र 13.3 ) ।
1. भूमध्य रेखीय निम्नदाब पेटी (डोलड्रम)
2. उपोष्ण कटिबंधीय उच्चदाब पेटी
3. उपध्रुवीय निम्नदाब पेटी
4. ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी

1. भूमध्य रेखीय निम्नदाब पेटी:

इस पेटी का विस्तार भूमध्य रेखा के 5°उत्तर से 5° दक्षिण अक्षांशों तक विस्तृत है। यहाँ वर्ष भर सूर्य की सीधी किरणें पड़ने के कारण तापमान सदैव ऊँचा तथा वायुदाब कम रहता है। यहाँ वायुमण्डल में जलवाष्प की अधिकता रहती है तथा वायु का घनत्व कम रहता है । भूमध्य रेखा पर भू – घूर्णन का वेग सर्वाधिक होता है, जिससे यहां अपकेन्द्रीय बल सर्वाधिक होता है।
इस पेटी में धरातलीय क्षैतिज पवनें नहीं चलती अपितु ॥ अधिक तापमान के कारण वायु हल्की होकर ऊपर उठती है और संवहनीय धाराओं का जन्म होता है । इसलिए इस कटिबंध को भूमध्य रेखीय ‘शान्त कटिबंध’ या डोलड्रम पेटी भी कहते हैं। यह तापजन्य पेटी है।

2. उपोष्ण कटिबंधीय उच्चदाब पेटीः

  • विषुवत रेखा के दोनों और 30° से 35° अक्षांशों के मध्य ये पेटियाँ स्थित है। यहाँ पर प्रायः वर्ष भर उच्च तापमान, उच्च वायुदाब एवं मेघरहित आकाश पाये जाते हैं ।
  • इस पेटी की मुख्य विशेषताओं में एक यह भी है कि विश्व के सभी उष्ण मरूप्रदेश इसी पेटी में महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों पर स्थित है । वायुमण्डल के ऊपरी भाग में घर्षण का अभाव होने से उत्तरी व दक्षिणी गोलार्द्धा में ये हवायें क्रमशः अपने दायीं तथा बायीं ओर मुड़ जाती है। इन उच्चदाब के क्षेत्रों को ‘अश्व अक्षांश’ भी कहते हैं । यह गतिजन्य पेटी है ।

3. उपध्रुवीय निम्नदाब पेटी:

  • यह पेटी 60° से 65 ° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य में स्थित है। इन आक्षांशो में निम्न तापमान पाया जाता है लेकिन यहाँ उच्चदाब के बजाय निम्न वायुदाब पाया जाता है जिसका कारण पृथ्वी की घूर्णन गति है।
  • इन क्षेत्रों में गर्म जल धारायें चलने के कारण तापक्रम अधिक होने से वायुभार कम पाया जाता है । यह भी गतिजन्य पेटी है ।

4. धुव्रीय उच्च वायुदाब पेटी:

  • ध्रुवों के निकट निम्न तापमान के कारण सदैव उच्चदाब रहता है। दोनों गोलाद्धों में स्थित ये दोनों पेटियाँ ताप जनित है । यहाँ पर तापमान वर्ष भर कम रहने के कारण ध्रुवों तथा उनके निकटवर्ती क्षेत्रों का धरातल सदैव हिमाच्छादित रहता है । इसलिये धरातल के निकट की वायु अत्यधिक शीतल व भारी रहती है। इसी कारण से यहाँ धरातलीय दाब संबंधी आँकड़े प्रचुर मात्रा में प्राप्त नहीं किये जा सकते।

वायुदाब का वितरण :

  • मानचित्रों पर वायुदाब को समदाब रेखाओं द्वारा दर्शाया जाता है। तापमान की भाँति वायुदाब के लिए भी वर्ष के दो महिने (जनवरी तथा जुलाई) चुने जाते हैं ।

जनवरी में वायुदाब की स्थितिः

  • चित्र 13.1 में जनवरी में वायुदाब की स्थिति दर्शाई गई है। इस समय सूर्य दक्षिण गोलार्द्ध में मकर रेखा पर लगभग लम्बवत चमकता है। इस कारण वहाँ तापमान अधिक तथा वायुभार कम होता है । निम्न वायुदाब क्षेत्र दक्षिणी अमेरिका, दक्षिणी अफ्रीका तथा आस्ट्रेलिया के आन्तरिक भागों में है । उत्तरी गोलार्द्ध पूर्णतः विकसित उपोष्ण उच्च वायुदाब क्षेत्र महाद्वीपों पर पाये जाते हैं ।

वायुदाब की पेटियाँ (Air Pressure Belts)

  • जुलाई में वायुदाब की स्थितिः जुलाई में सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा पर लगभग लम्बवत चमकता है। यह खिसकाव एशिया में सर्वाधिक होता है । उत्तरी गोलार्द्ध में स्थल के अधिक गर्म हो जाने के कारण वहाँ पर निम्न वायुदाब का क्षेत्र विकसित हो जाता है तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में उच्च वायुदाब की पेटी विकसित होती है (चित्र 13.2 ) ।

वायुदाब की पेटियाँ (Air Pressure Belts)

वायुदाब की पेटियों का ऋतुवत् परिवर्तन

  • वायुदाब की पेटियों का उपर्युक्त वितरण सदैव एक सा नहीं रहता है। सूर्य के उत्तरायण एवम् दक्षिणायन की स्थितियाँ, स्थल एवम् जल के स्वभाव में अन्तर आदि कारकों के कारण वायुदाब में दैनिक तथा वार्षिक परिवर्तन होते रहते हैं। गर्मियों में जब सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध में होता है तो ये पेटियाँ औसत स्थिति से 5° उत्तर की ओर एवम् सर्दियों में जब सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में सीधा चमकता है तो ये पेटियाँ औसत स्थिति से 5° दक्षिण की ओर खिसक जाती हैं । इनकी आदर्श स्थिति केवल 21 मार्च तथा 23 सितम्बर को होती है, जब सूर्य विषुवत् रेखा पर लम्बवत् होता है । वायुदाब की पेटियों के खिसकाव के समय विषुवत् रेखीय पेटी 5° अक्षांश के स्थान पर 0°-10° अक्षांशों के मध्य ऋतु के अनुसार उत्तरी व दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित हो जाती है। इसी प्रकार उपोष्ण पेटी 30° से 35° अक्षांशों के स्थान पर 30° से 40° अक्षांशों के मध्य, जबकि उपध्रुवीय पेटी 60° से 65° अक्षांशों के स्थान पर 60° से 70° अक्षांशों के मध्य पाई जाती है। ध्रुवीय प्रदेशों में विशेषकर उत्तरी ध्रुवीय प्रदेश में महाद्वीपीय विस्तार के कारण इसका अधिक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यहाँ ग्रीष्मकाल में ध्रुवीय पेटी बहुत संकरी हो जाती है । दक्षिणी ध्रुवीय प्रदेश में भूखण्ड के संकरे होने व महासागरीय विस्तार के कारण इनमें विशेष परिवर्तन नहीं मिलता है (चित्र 13.3 ) ।

वायुमण्डलीय दाब का ऊर्ध्वाधर वितरण (Vertical Distribution of Atmospheric Pressure)

  • पास्कल (Pascal, 1643) ने सर्वप्रथम बताया था कि वायुमण्डल में ऊँचाई के साथ वायुदाब कम होता है । वायुमण्डल की निचली परतों का घनत्व अधिक होता है, क्योंकि यहाँ ऊपर की वायु का दबाव पड़ता है । इसके परिणामस्वरूप वायुमण्डल की निचली परतों की हवा का घनत्व और दाब दोनों अधिक होते हैं। इसके विपरीत, ऊपरी परतों की वायु कम दबी हुई होती है, अतः उसके घनत्व और दाब दोनों कम होते हैं । इसीलिए ऊँचाई के साथ वायुदाब हमेशा घटता जाता है, लेकिन इसके घटने की दर हमेशा एक समान नहीं होती है। यह वायु के घनत्व, तापमान, जलवाष्प की मात्रा तथा पृथ्वी की गुरूत्वाकर्षण शक्ति पर निर्भर होती है। इन सभी कारकों के परिवर्तनशील होने के कारण ऊँचाई और वायुदाब के बीच कोई सीधा आनुपातिक सम्बन्ध नहीं होता है । फिर भी सामान्य रूप से क्षोभमण्डल में वायुदाब घटने की औसत दर प्रति 300 मीटर की ऊँचाई पर लगभग 34 मिलीबार होती है। अधिक ऊँचाई पर गैसें तेजी से विरल और हल्की होती जाती हैं। परिणामस्वरूप वायुदाब अत्यधिक कम हो जाता है। इसीलिए मनुष्य ऊँची पर्वत चोटियों पर चढते समय ऑक्सीजन के सिलेण्डर एवम् विशेष सूट का उपयोग करता है।

वायुदाब की पेटियाँ (Air Pressure Belts)

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वायुदाब की पेटियाँ (Air Pressure Belts) FAQ –

Q 1. पूरे वर्ष एक ही दिशा में प्रवाहित होने वाली पवन क्या कहलाती है?
Ans – [ b ]
Q 2. उपोष्ण उच्च दाब से विषुवत रेखीय निम्न दाब दाब की ओर चलने वाली पवनें क्या कहलाती है?
Ans – [ a ]
Q 3. व्यापारिक पवनें कहाँ से चलती हैं?
Ans – [ c ] (SSC 2004)
Q 4. व्यापारिक हवाएँ किन अक्षांशों से किन अक्षांशों की ओर बहती है?
Ans – [ c ]
Q 5. उच्च दाब क्षेत्र से भूमध्य सागर की ओर चलने वाली पवनें होती है—
Ans – [ b ] (UPPCS 1992)

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