राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं ( Part :- 1 ) | ExamSector
राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं ( Part :- 1 )

राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं एंव पुरास्थल Part = 1

1. कालीबंगा

सभ्यता का नाम —  कालीबंगा
स्थान/जिला —  हनुमानगढ़

विशेष विवरण

  • खोज-श्री अमलानंद घोष (1952)
  • उत्खनन–श्री बी.बी. लाल व बी.के. थापर
  • प्राचीन सरस्वती (वर्तमान घग्घर) नदी के किनारे बसी राजस्थान की सबसे प्राचीन सभ्यता।
  • उत्खनन में छोटे टीले से पूर्व हड़प्पाकालीन सभ्यता (2400 ई.पू.) तथा दूसरे टीले से हड़प्पाकालीन सभ्यता के अवशेष मिले।
  • प्राप्त अवशेष—जुता हुआ खेत, एक ही साथ दो फसल उगाना, एक कब्रगाह एवं चौकोर व गोल हवन कुण्ड (अग्निकुण्ड) के अवशेष प्राप्त हुए।
  • नगरीय सभ्यता।
  • कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ ‘काली चूड़ियाँ’।

2. आहड़

सभ्यता का नाम — आहड़ 

स्थान/जिला —  उदयपुर 

स्थान/जिला —

  • खोज-श्री अक्षय कीर्ति व्यास (1953)
  • उत्खनन-श्री आर.सी. अग्रवाल व एच.एम. साँकलिया।
  • आहड़ (बेड़च) नदी के किनारे स्थित ताँबे की वस्तुएँ बनाने व काले-पीले मृदभाण्ड संस्कृति का प्रमुख केन्द्र।
  • उत्खनन में छः ताँबे की मुद्राएँ एवं तीन मुहरें प्राप्त हुईं।
  • अन्य नाम–ताम्रवती नगरी, आघाटपुर (आहाट दुर्ग), धूलकोट (स्थानीय लोग) छः ताँबे की मुद्राएँ और मोहर प्राप्त हुई। एक मुद्रा पर एक ओर एक त्रिशूल और दूसरी ओर अपोलो अंकित है जिसके हाथ में तीर और पीछे तरकश है, मुख पर यूनानी भाषा में लेख अंकित है।
  • यहाँ के निवासी शवों को आभूषणों सहित गाड़ते थे।
  • डॉ. गोपीनाथ शर्मा के अनुसार इसका समृद्धिकाल 1900 ई.पू. से 1200 ई.पू. तक माना गया।
  • यहाँ ताँबा गलाने की भट्टी’ मिली है जिससे सिद्ध होता है कि यहाँ का प्रमुख उद्योग ताँबे गलाना व उपकरण बनाना था।

3. गणेश्वर

सभ्यता का नाम — गणेश्वर
स्थान/जिला —  नीम का थाना ( सीकर )

विशेष विवरण

  • उत्खनन-आर.सी. अग्रवाल एवं विजयकुमार के नेतृत्व में (1977-78 ई ।
  • कान्तली नदी के किनारे स्थित ताम्रयुगीन सभ्यता (2800 ई.पू.) भारत में ताम्रयुगीन सभ्यता की जननी मानी जाती है।
  • ताँबे के उपकरण, बाढ़ से बचने के लिए पत्थर का बाँध, चित्रकारी से यक्त नही एवं मछली पकड़ने के काँटे प्राप्त हुए हैं।
  • यहाँ से ताँबे का निर्यात होता था।
  • इसकी खोज राजस्थान विश्वविद्यालय के पुरातत्त्व विभाग के सहयोग से की गई।
  • अन्य ताम्रयुगीन स्थल-पिण्ड पाड़लिया (चित्तौड़), झाड़ोला (उदयपुर), कुराडा (नागौर), सावणिया व पूगल (बीकानेर), ऐलाना (जालोर), बूढ़ा पुष्कर (अजमेर) कोल-माहोली (सवाई माधोपुर) किरडोल (जयपुर)।

4. गिलूण्ड

सभ्यता का नाम — गिलूण्ड
स्थान/जिला —  राजसमंद

विशेष विवरण

  • बनास नदी के किनारे स्थित ताम्रयुगीन सभ्यता।

5. बागौर

सभ्यता का नाम — बागौर
स्थान/जिला — भीलवाड़ा

विशेष विवरण

  • उत्खनन-डॉ. वीरेंद्रनाथ मिश्र व डॉ. एल.एस. लैशनि के नेतृत्व में पूना विश्वविद्यालय एवं राज्य सरकार के पुरातत्व विभाग के सहयोग से।
  • कोठारी नदी के किनारे स्थित 3000 ई.पू. की सभ्यता (उत्तर पाषाणकालीन संस्कृति) के अवशेष।
  • यहाँ के निवासी युद्ध, शिकार व कृषि प्रेमी एवं माँसाहारी थे।
  • उत्खनन में बोतल के आकार के बर्तन एवं हाथ व कान के शीशे के गहने प्राप्त हुए है।

6. बालाथल

सभ्यता का नाम — बालाथल
स्थान/जिला — वल्लभ नगर ( उदयपुर )

विशेष विवरण

  • उत्खनन-वी.एन. मिश्र के नेतृत्व में (1993)
  • यह सभ्यता 3000 ई.पू. से 2500 ई.पू. तक मौजद थी तथा ताम्रयुगीन सभ्यता में बेहतर थी।
  • उत्खनन में एक बड़ा भवन, दुर्ग जैसी संरचना, साण्ड व कुत्ते की मूर्तियों के तथा ताँबे के आभूषण (कर्णफूल एवं लटकन) मिले हैं।

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