जीव जगत का वर्गीकरण | द्विजगत पद्धति | तीन जगत पद्धति | पाँच जगत प्रणाली
Animal kingdom in Hindi
वर्गीकरण के प्रकार एवं विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा दिये गये वर्गीकरणों का संक्षिप्त इतिहास (Types of Classification and Brief History of Classifications Given by Different Scientists):
जीवविज्ञान के अन्तर्गत समय-समय पर वर्गीकरण पद्धतियों में आवश्यकतानुसार परिवर्तन होते रहे हैं। विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा दिये गये मुख्य वर्गीकरण पद्धतियों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार से है –
(i) द्विजगत पद्धति (Two kingdom system):
- वर्गीकरण की यह पद्धति सबसे प्राचीन है। इसे 18वीं शताब्दी में केरोलस लिनियस ने दिया था। इन्होंने जीवों को दो जगत में विभक्त किया-(अ) प्लाण्टी (Plantae) या पादप जगत, एवं (ब) ऐनिमेलिया (Animalia) या जन्तु जगत।
(ii) त्रिजगत पद्धति (Three kingdom system):
- जर्मन जीवविज्ञानी अर्नेस्ट हेकेल (Ernst Haeckel) ने त्रिजगत या तीन जगत पद्धति प्रस्तुत की जिसमें एक तटस्थ जीव ”प्रोटिस्टा” (Protista) का तीसरा जगत बनाया जो न तो पादप है न ही जन्तु है। अतः इस पद्धति अनुसार प्रोटिस्टा, प्लाण्टी व ऐनिमेलिया तीन जगत थे।
(iii) चतुर्जगत पद्धति (Four kingdom system):
- इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के आविष्कार पश्चात् यह स्पष्ट हो गया कि जिन जीवों की कोशिकाओं में स्पष्ट केन्द्रक का अभाव होता है, उन्हें प्रोकैरियोट (Prokaryote) तथा जिन जीवों की कोशिकाओं में स्पष्ट केन्द्रक पाया जाता है, उन्हें यूकैरियोट्स (Eukaryotes) कहते हैं। एच.एफ. कॉपलेण्ड (H.F. Copeland) ने इस पद्धति को दिया था। जिसमें जीवाणुओं तथा नीलहरित शैवालों के लिए एक नया जगत “मोनेरा” (Monera) बनाया गया। अतः इस पद्धति के चार जगत-मोनेरा, प्रोटिस्टा, प्लाण्टी एवं ऐनिमेलिया है।
(iv) पंच जगत पद्धति (Five Kingdom system):
- आर.एच. व्हिटेकर (R.H. Whittaker, 1969) ने वर्गीकरण की पाँच-जगत प्रणाली प्रस्तुत की। इस प्रणाली में जीवों को वर्गीकृत करने का मुख्य आधार, कोशिका संरचना की जटिलता (प्रोकैरियोटी एवं यूकैरियोटी कोशिकाएँ), पोषण विधि, जीवन-चक्र, शारीरिक संगठन की जटिलता (एककोशीय व बहुकोशीय) तथा जातिवृत्तीय सम्बन्ध रखा गया। तालिका 2.1 में आगे इन सभी जगतों के विभिन्न लक्षणों का एक तुलनात्मक विवरण दिया गया है –
- किसी भी जाति की उत्पत्ति से लेकर आज तक की उसकी विकास यात्रा (evolutionary trends) को जातिवृत्त (phylogeny) कहा जाता है।
- रसायन वर्गिकी के अन्तर्गत पौधों में पाये जाने वाले विभिन्न महत्त्वपूर्ण रासायनिक पदार्थों एवं पौधों के द्वारा अभिव्यक्त समग्र रासायनिक लक्षणों का अध्ययन किया जाता है।
- पादप वर्गीकरण पद्धति जिसमें पौधों के विभिन्न मानदंडों के अनुरूप मात्रात्मक (Quantitative) लक्षणों को कम्प्यूटर की सहायता से संख्यात्मक (numerical) एवं सांख्यिकी (statistical) आधार पर विश्लेषित करके उनकी आपसी समानताओं का तुलनात्मक अध्ययन किया जाकर, इसका उपयोग वर्गिकी के लिये किया जावे, इसे संख्यात्मक वर्गिको कहते हैं।
Biology question and answer in hindi
प्रश्न 1. जीवों के वर्गीकरण के वैज्ञानिक मापदण्डों का उपयोग सर्वप्रथम किस वैज्ञानिक ने किया –
(अ) केरोलस लिनियस
(ब) अरस्तू
(स) डार्विन
(द) व्हिटेकर
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प्रश्न 2. द्विजगत पद्धति के अनुसार जीवों को वर्गीकृत किया गया –
(अ) मोनेरा व प्रोटिस्टा में
(ब) प्रोटिस्टा व प्लांटी में
(स) प्लांटी व ऐनिमेलिया
(द) प्रोटिस्टा व ऐनिमेलिया में
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प्रश्न 3. पंचजगत वर्गीकरण पद्धति का प्रतिपादन निम्नलिखित में से किसने किया –
(अ) केरोलस लिनियस
(ब) व्हिटेकर
(स) हेकेल
(द) कोपलेण्ड
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प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कौनसा लक्षण मोनेरा जगत के जनन विधि से सम्बन्धित है –
(अ) संयुग्मन
(ब) युग्मक संलयन
(स) युग्मक संलयन एवं संयुग्मन
(द) निषेचन
उत्तर :- ?????
इस प्रश्न का सही उत्तर क्या होगा? हमें अपना जवाब कमेंट सेक्शन में जरूर दें।
प्रश्न 1. द्विजगत पद्धति का प्रतिपादन किसने किया ?
उत्तर: — द्विजगत पद्धति का प्रतिपादन केरोलस लिनियस ने किया था।
प्रश्न 2. त्रिजगत वर्गीकरण पद्धति क्या है ?
उत्तर: इस पद्धति में तीन जगत-प्रोटिस्टा, प्लाण्टी एवं ऐनिमेलिया हैं।
प्रश्न 3. पंचजगत पद्धति में सम्मिलित जगतों के नाम लिखो।
उत्तर: इस पद्धति में मोनेरा, प्रोटिस्टा, फंजाई, प्लाण्टी एवं ऐनिमेलिया हैं।
प्रश्न 4. वर्गीकरण क्या है ?
उत्तर: पादप व जन्तुओं का उनकी पहचान तथा पारस्परिक सम्बन्धों व वर्गिकी समूहं के आधार पर वैज्ञानिक व्यवस्थापन वर्गीकरण कहलाता है।
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