प्रतिजन व प्रतिरक्षी (Antigen and antibody)
Antigen and Antibody Notes in Hindi
- प्रतिजन वह बाहरी रोगाणु अथवा पदार्थ है जो शरीर में प्रविष्ट होने के पश्चात् बी – लसिका कोशिका ( B – lymphocyte) को प्रतिरक्षी उत्पादक प्लाज्मा कोशिका (Plasma cell) में रूपान्तरित कर प्रतिरक्षी उत्पादन हेतु प्रेरित करता है तथा विशिष्ट रूप से उस ही प्रतिरक्षी से अभिक्रिया करता है ।
- प्रतिरक्षी वह प्रोटीन होता है जो देह में उपस्थित बी – लसिका कोशिकाओं द्वारा किसी प्रतिजन से अनुक्रिया के कारण निर्मित होता है तथा उस विशेष प्रतिजन से विशिष्ट रूप से संयोजित हो सकता है। यह संयोजन प्रतिजन की संरचनात्मक विशिष्टता पर निर्भर है तथा प्रतिरक्षा तंत्र की सफलता हेतु आधार भूत आवश्यकता है।
प्रतिजन (Antigen ) –
- साधारण रूप से ये वे बाहरी रोगाणु अथवा पदार्थ होते हैं। जिनका आण्विक भार 6000 डॉल्टन (Dalton) अथवा उससे ज्यादा होता है । ये विभिन्न रासायनिक संगठनों के हो सकते हैं जैसे- प्रोटीन, पॉलीसैकेराइड, लिपिड या न्यूक्लिक अम्ल। कभी-कभी शरीर के अंदर के पदार्थ तथा कोशिकाएँ (जैसे विषाणु संक्रमित या कैंसर ग्रसित कोशिकाएँ) भी प्रतिजन के तौर पर कार्य करती हैं ।
- शरीर में प्रविष्ट होने के पश्चात् प्रतिजन का सामना सर्वप्रथम स्वाभाविक प्रतिरक्षी विधियों से होता है। तत्पश्चात् प्रतिजन विशिष्ट प्रतिरक्षा विधि को सक्रिय करता है।
- प्रतिजन विशिष्ट प्रतिरक्षी से संयोजित हो प्रतिजन – प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया करते है । सामान्यतः प्रोटीन के अलावा अन्य रसायनिक पदार्थ प्रतिरक्षी के साथ क्रिया तो कर सकते हैं परन्तु ये प्रतिरक्षी निर्माण में अधिक सक्रिय नहीं होते ।
- प्रतिजन सम्पूर्ण अणु के रूप में प्रतिरक्षी से प्रतिक्रिया नहीं करता वरन् इसके कुछ विशिष्ट अंश ही प्रतिरक्षी से जुड़ते है । इन अंशों को एण्टीजनी निर्धारक या (Antigenic determinant or epitope) कहा जाता है। प्रोटीन में करीब 6-8 ऐमीनो अम्लों की एक श्रृंखला एण्टीजनी निर्धारक के रूप में कार्य करती है। एक प्रोटीन में कई एण्टीजनी निर्धारक हो सकते हैं। इनकी संख्या को एण्टीजन की संयोजकता (valency) कहा जाता है। अधिकांश जीवाणुओं में एण्टीजनी संयोजकता 100 या अधिक होती है।
विशिष्ट प्रतिरक्षा में प्रतिजन के विनाश की कार्यविधि चार चरणों में संपादित होती है।
1. अन्तर्निहित प्रतिजन तथा बाह्य प्रतिजन में विभेद करना ।
2. बाह्य प्रतिजन के ऊपर व्याप्त एण्टीजनी निर्धारकों की संरचना के अनुसार बी- लसीका कोशिकाओं (B- lymphocyte cell) द्वारा प्लाज्मा कोशिकाओं (Plasma cells) का निर्माण |
3. प्लाज्मा कोशिकाओं द्वारा विशिष्ट प्रतिरक्षियों का निर्माण ।
4. प्रतिजन–प्रतिरक्षी [Antigen (Ag) – Antibody (Ab)] प्रतिक्रिया तथा कोशिका – माध्यित प्रतिरक्षा (Cell mediated immuntiy, CMI) द्वारा प्रतिजन का विनाश |
प्रतिरक्षी (Antibody) –
- प्रतिरक्षी को इम्यूनोग्लोबिन ( संक्षिप्त में Ig) भी कहा जाता है। ये प्लाज्मा कोशिकाओं द्वारा निर्मित गामा ग्लोबुलिन (y-globulin) प्रोटीन हैं जो प्राणियों के रक्त तथा अन्य तरल पदार्थों में पाए जाते है । प्रतिरक्षी, प्रतिजन को पहचानने तथा निष्प्रभावी करने हेतु प्रतिजन से क्रिया करते हैं। प्रतिरक्षी का वह भाग जो प्रतिजन से क्रिया करता है पैराटोप (Paratope) कहलाता है।
प्रतिरक्षी की संरचना (Structure of antibody)
- प्रतिरक्षी का आकार अंग्रेजी के ‘Y’ अक्षर की तरह होता है । यह चार संरचनात्मक इकाईयों से मिलकर बनी होती है । इनमें दो भारी व बड़ी [H] तथा दो हल्की व छोटी [L] पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएँ होती हैं। एक भारी व एक हल्की श्रृंखला मिलकर HL द्विलक (HL dimer) बनाती हैं। दो द्विलक मिलकर एक प्रतिरक्षी का निर्माण करते हैं । दूसरे शब्दों में कहें तो एक प्रतिरक्षी अणु दो समरूपी अर्धांशों से मिलकर बना होता है। दोनों अर्धाश आपस में डाइसल्फाइड बंध से संयोजित होते है। प्रत्येक अर्धांश एक H व एक L पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला से मिलकर बना होता हैं। हर अंर्धाश में पाए जाने वाली H तथा L शृंखलाओं को भी डाइसल्फाइड बंध परस्पर संयोजित करता है। प्रत्येक भारी श्रृंखला 440 अमीनों अम्लों से तथा प्रत्येक हल्की श्रृंखला 220 अमीनों अम्लों से बनी होती है। भारी पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला पर कार्बोहाइड्रेट श्रृंखला जुड़ी होती है । प्रत्येक भारी व हल्की श्रृंखला दो भागों में विभक्त होती है – (a) अस्थिर भाग (Variable portion ) यह भाग प्रतिजन से क्रिया करता है तथा श्रृंखला के NH, अंश की तरफ पाया जाता है। इसे Fab भाग भी कहते है । (b) स्थिर भाग (Constant portion ) यह भाग श्रृंखला के COOH अंश की तरफ होता है तथा Fe भाग कहलाता है। अधिकतर प्रतिरक्षियों के ‘Y’ स्वरूप में दोनों भुजाओं के उद्गम स्थल लचीले होते है तथा कब्जे अथवा हिन्ज (Hinge) कहलाते हैं ।
( चित्र 4.1 ) । लचीले होने के कारण हिन्ज प्रतिरक्षी के अस्थिर भाग को प्रतिजन के छोट बडे अणु समाहित कर अभिक्रिया करने में मदद करता है ।
प्रतिरक्षियों के प्रकार (Types of antibodies) –
- प्रतिरक्षियों में पाँच प्रकार की भारी पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएँ पाई जाती है। इन्हें यूनानी भाषा के अक्षरों o (Alpha ), Y (Gamma), § (Delta), & (Epsilon) तथा (mu) द्वारा दर्शाया जाता है। भारी श्रृंखला के आधार पर प्रतिरक्षी पाँच प्रकार के होते है (सारणी 4.1 ) । IgA एक द्विलक (Dimeric) तथा IgM एक पंचलक (Pentameric) संरचना है । अन्य सभी प्रतिरक्षी एकलक या मोनोमेरिक (Monomeric) होती हैं | IgG देह की प्रमुख संवहनीय प्रतिरक्षी है तथा रक्त एवं अन्य द्रव्यों में उपस्थित होती है । IgG एकमात्र प्रतिरक्षी है जो आवँल (Placenta) को पार कर भ्रूण तक पहुँच सकती है। सीरम में पायी जाने वाली प्रतिरक्षियों में IgG की सांद्रता सर्वाधिक होती है । IgM प्रतिजन की अनुक्रिया से उत्पादित प्रथम प्रकार की प्रतिरक्षी है। IgG का उत्पादन IgM के उत्पादन के पश्चात होता है। IgA माँ के दूध में पाया जाने वाला अकेला प्रतिरक्षी है। यह नवजात शिशु की प्रतिरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है । IgE प्रतिरक्षी प्राथमिक रूप से बेसोफिल तथा मास्ट कोशिका पर क्रिया करता है तथा प्रत्युर्जता या ऐलर्जी (Allergy) क्रियाओं में हिस्सा लेती है ।
प्रतिरक्षा एंव रक्त समूह (Immunity and Blood Groups) Questions and Answers in Hindi
1. प्रतिरक्षा में प्रयुक्त होने वाली कोशिकाएं…………..में नहीं पाई जाती हैं।
(क) अस्थिमज्जा
(ख) यकृत
(ग) आमाशय
(घ) लसीका पर्व
Click to show/hide
2. प्लाविका कोशिका निम्न में से किस कोशिका का रूपांतरित स्वरूप है?
(क) बी लसीका कोशिका
(ख) टी लसीका कोशिका
(ग) न्यूट्रोफिल
(घ) क व ग दोनों
Click to show/hide
3. एण्टीजनी निर्धारक निम्न में से किस में पाए जाते हैं ?
(क) प्रतिजन
(ख) IgG प्रतिरक्षी
(ग) IgM प्रतिरक्षी
(घ) प्लाविका कोशिका
Click to show/hide
4. प्रथम उत्पादित प्रतिरक्षी है
(क) IgG
(ख) IgM
(ग) IgD
(घ) IgE
Click to show/hide
5. माँ के दूध में पाए जाने वाली प्रतिरक्षी कौनसी है?
(क) IgG
(ख) IgM
(ग) IgD
(घ) IgA
Click to show/hide
6. रक्त में निम्न में से कौनसी कोशिकाएं नहीं पाई जातीं ?
(क) लाल रक्त कोशिकाएं
(ख) श्वेत रक्त कोशिकाएं
(ग) बी लसीका कोशिकाएं
(घ) उपकला कोशिकाएं
Click to show/hide
7. रक्त का विभिन्न समूहों में वर्गीकरण किसने किया?
(क) लुइस पाश्चर
(ख) कार्ल लैण्डस्टीनर
(ग) रार्बट कोच
(घ) एडवर्ड जेनर
Click to show/hide
8. सर्वदाता रक्त समूह है
(क) A
(ख) AB
(ग) O
(घ) B
Click to show/hide
9. गर्भ रक्ताणुकोरकता (Erythroblastosis fetalis) का प्रमुख कारण है
(क) शिशु में रक्ताधान
(ख) आर एच बेजोड़ता।
(ग) ए बी ओ बेजोड़ता
(घ) क व ग दोनों
Click to show/hide
10. समजीवी आधान में किसका उपयोग होता है?
(क) व्यक्ति के स्वयं के संग्रहित रक्त का
(ख) अन्य व्यक्ति के संग्रहित रक्त का
(ग) भेड़ के संग्रहित रक्त का
(घ) क व ख दोनों
उत्तर ⇒ ????
Read Also :-
- { *सामान्य विज्ञान* } General Science Notes
- प्रतिरक्षा ( Immunity ) Notes in Hindi
- प्रतिजन व प्रतिरक्षी (Antigen and antibody)
- एंटीजन और एंटीबॉडी के बीच अंतर
- रक्त | रक्त समुह | रक्त समुह के प्रकार
- आर एच कारक क्या है : Rh Factor in Hindi
- रक्ताधान (Blood Transfusion )
- रुधिर वर्ग का अनुवांशिक महत्व
- अंगदान व देहदान (Organ donation and body donation)