Bhaarat par arabon ka aakraman ( भारत पर अरबों का आक्रमण )
भारत पर अरबों का आक्रमण- ( Bhaarat par arabon ka aakraman )
अरबों ने सिंध पर आक्रमण करना प्रारंभ किया। भारत पर अरबों के आक्रमण के कई कारण हैं जो निम्नलिखित हैं-
- भारत की धनाढयता – भारत एक सम्पन्न देश था। इस पर अरबों की ललचायी दृष्टि थी। अरब भारत पर आक्रमण कर यहां से धन लूटना चाह रहे थे।
- साम्राज्य विस्तार – अरबों ने सीरिया, उत्तरी अफ्रिका, स्पेन तथा ईरान को जीत लिया था । इन क्षेत्रों को जीत लेने के बाद उनका मन और बढा तथा अब वे अपने साम्राज्य विस्तार के लिए आगे से आगे बढ रहे थे तथा भारत भी उनकी इस नीति का भाग बन गया।
- इस्लाम का प्रसार
- तात्कारिक कारण – देवल क्षेत्र के समुद्री डाकुओं ने अरबी जहांजों को लूट लिया था। खलिफा उमर के अरब गर्वनर अल हज्जाज ने दाहिर से मुआवजा मांगा। दाहिर द्वारा हर्जाना देने से मना किया गया।
712 ई. में अल हज्जाज ने अपने दामाद एवं सेनापति मुहम्मद बिन कासिम को सिंध पर आक्रमण करने के लिए भेजा। इससे पूर्व हज्जाज ने अबदुल्ला और बर्दूल के नेतृत्व में भी अभियान भेजा था, जिसे दाहिर ने असफल कर दिया।
कासिम ने सिंध के बौद्धों की सहायता से सबसे पहले देवल(दक्षिणि सिंध का क्षेत्र) क्षेत्र को जीत लिया। इसके बाद मुहम्मद बिन कासिम ने ब्राह्मणवाद, आलोर,सिक्का, मुल्तान क्षेत्र जीते । इसी बीच दाहिर मारा गया तथा सिंध पर अरबों का अधिकार हो गया।
भारत पर अरबों के आक्रमण से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य —
- अरबों के भारत आक्रमण के विषय में पर्याप्त सूचना 9वीं शताब्दी के बिलादूरी कृत ‘किताब-फुतूल-अल बलदान’ में मिलती है।
- 1216 ई. में ‘चचनामा’ जो फारसी भाषा में लिखी गई है। उसमें भी अरबों के आक्रमण के विषय में पर्याप्त जानकारी मिलती है।
- 712 ई. में मुहम्मद बिन कासिम ने सिन्ध पर सफल आक्रमण किया। उस समय वहाँ का शासक दाहिर था।
- अरबों द्वारा भारत पर किया गया यह पहला सफल आक्रमण था। अरबों ने भारतीय जनजीवन को काफी प्रभावित किया और स्वयं भी प्रभावित हुए।
- अरबों ने चिकित्सा, दर्शनशास्त्र, नक्षत्र विज्ञान, गणित और शासन प्रबन्ध की शिक्षा भारतीयों से ली।
- मंसूर के समय (753-774 ई.) में अरब विद्वान भारत से बगदाद अपने साथ दो पुस्तकें ले गये—ब्रह्मपुत्र का ब्रह्म सिद्धान्त तथा खण्डखाद्य।
- पंचन्त्र का अनुवाद अरबी भाषा में कलिलावादिम्ना नाम से हुआ जिनका उल्लेख अलबरूनी ने किया था। अलबरूनी 11वीं शाताब्दी में भारत आया था।
- गजनी राजवंश का संस्थापक सुबुक्तगीन था।
- भारत पर अरबवासियों के आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन-दौलत लूटना तथा इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार करना था।
- अरबों ने सिन्ध में ऊँट पालन, खजूर की खेती तथा दिरहम’ नामक सिक्के का प्रचलन करवाया। महममूब गजनबी ने एक तरफ संस्कृत मुद्रालेख के साथ चाँदी के सिक्के जारी किए।
अरब आक्रमण का महत्त्व-
- अरबों की सिंध विजय का राजनीतिक क्षेत्र पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पङा। लेकिन सांस्कृतिक दृष्टि से इसके व्यापक प्रभाव दिखाई देते हैं जैसे- भारतीयों का दर्शन, ज्ञान, विज्ञान, चिकित्सा एवं गणित से अरब क्षेत्र प्रभावित हुआ।अरबों ने भारतीय जन- जीवन को प्रभावित किया तथा स्वयं भी यहाँ के जन – जीवन से प्रभावित हुए।
- ब्रह्मगुप्त की पुस्तकों का अलफजारी ने अरबी में अनुवाद किया। सूफी धार्मिक संप्रदाय का उद्भव स्थल सिंध ही था जहाँ अरब लोग रहते थे। सूफीमत पर बौद्ध धर्म का प्रभाव देखा जा सकता है। दशमलव प्रणाली अरबों ने 9 वी. शता.में भारत से ही ग्रहण की थी।
- यह भारतीय ज्ञान अरबों के माध्यम से यूरोपीय देशों तक पहुँचा इसी के परिणामस्वरूप यूरोप में पुनर्जागरण हुआ।
- भारत के कुछ प्रमुख विद्वान जैसे – मल, मनक, धनक, सिंदबाद आदि अरब क्षेत्र में उँच्चे पदों पर स्थापित हुये। मनक नामक चिकित्सक ने खलिफा हारुन की सफलता पूर्वक चिकित्सा की थी।
- अरबों के कारण ही भारत की व्यापारिक गतिविधियां समुद्री मार्गों से पश्चिमि तथा अफ्रिकी प्रदेशों में फैली।
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