राजस्थान की प्रमुख महिला विकास योजनाएँ
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(1) महिला विकास कार्यक्रम
- महिलाओं के समग्र विकास हेतु सभी जिलों में संचालित इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन जिला स्तर पर जिला महिला विकास अभिकरण के माध्यम से किया जा रहा है। महिला विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता साथिन महिलाओं को विकास की मूलधारा से जोड़ने के साथ ही समाज में महिलाओं के प्रति सकारात्मक सोच एवं जागरूकता पैदा करती है।
(2) पाँच सूत्रीय महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम
- 2011 तक निम्न लक्ष्य प्राप्त करने के उद्देश्य से राज्य में 5 सूत्रीय महिला सशक्तीकरण कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है जो निम्न है
- कक्षा 10 तक बालिकाओं का शत-प्रतिशत ठहराव ।
- बालिकाओं में बाल विवाह की पूर्ण समाप्ति।
- प्रत्येक महिला को संस्थागत प्रसव की सुविधा उपलब्ध करवाना।
- सकल जन्म दर को 21 प्रति हजार की जनसंख्या तक लाना।
- महिलाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना।
(3) शिशु पालना गृह
- ग्रामीण कामकाजी महिलाओं के 5 वर्ष तक के बच्चों को दैनिक देखभाल की सुविधा उपलब्ध करवाने तथा बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सुधार हेतु शिशु पालना गृह संचालित किए जा रहे हैं। वर्तमान में 18 जिलों में 263 शिशु पालना गृह संचालित किये जा रहे हैं।
(4) महिलाओं की आयवृद्धि व रोजगार की योजना (नोराड़)
- केन्द्र सरकार द्वारा 1997-98 से महिलाओं को प्रशिक्षण के माध्यम से स्वरोजगार प्रदान करने की योजना।
(5) महिला स्वयंसिद्धा योजना
- वर्ष 2006-07 में विधवा, निराश्रित और जरूरतमंद महिलाओं (आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्गों की महिलाओं) को प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वावलम्बी बनाने हेतु प्रारम्भ की गई योजना।
(6) बालिका समृद्धि योजना–
- 2 अक्टूबर, 1997 से प्रारम्भ इस शत-प्रतिशत केन्द्रीय सहायता प्राप्त योजना में बी.पी.एल. चयनित परिवार में 15 अगस्त, 1997 को या उसके बाद पैदा होने वाली बालिकाओं के लिए, प्रत्येक के नाम से 500 रु. बैंक खाते में बालिका एवं राज्य सरकार द्वारा पदनामित अधिकारी/ आयुक्त के संयुक्त नाम से जमा कराए जाएंगे, जो उन्हें वयस्क होने पर मिलेंगे। साथ ही बालिका के शिक्षा प्रारम्भ करने पर कक्षा 10 तक 300 रुपये से 1000 रुपये तक प्रतिवर्ष की छात्रवृत्ति दी जायेगी।
- उद्देश्य-बालिकाओं के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना, बालिकाओं की स्कूल में प्रवेश दर में वृद्धि करने के साथ-साथ बालिका हत्या की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करना।
(7) स्वयं सहायता समूह योजना
- ग्रामीण गरीब महिलाओं द्वारा आसानी से की गई छोटी-छोटी बचतों से उन्हीं की सहायता करने के उद्देश्य से प्रारम्भ यह कार्यक्रम वर्ष 1997-98 से राज्य के सभी 33 जिलों में निरन्तर संचालित किया जा रहा है।
- इस योजनान्तर्गत 10 से 15 महिलाओं के समूहों का गठन किया जाता है। समूह की महिलाएँ नियमित बचत से राशि का आपसी लेन-देन करने के साथ-साथ स्वरोजगार गतिविधियों से भी जुड़ी रहती हैं।
- स्वयं सहायता समूह के उत्पादों की पहचान बनाने हेतु इन्हें ‘अमृता ब्रांड’ का नाम दिया गया है। महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों के विपणन हेतु ‘अमता सोसायटी’ का पंजीकरण करवाया गया है।
(8) लाडली योजना
- किशोरियों के सामाजिक विकास को गति देने और उनकी कुशलताओं को विकसित करने की दृष्टि से इस योजना को लागू किया गया।
(9) राष्ट्रीय पोषाहार मिशन-पायलट योजना (किशोरी बालिकाओं हेतु पोषाहार कार्यक्रम (NPAG):
- योजना आयोग द्वारा राज्य के बाँसवाड़ा व दूंगरपुर जिलों में 30 किग्रा से कम वजन वाली 15 वर्ष से कम आयु की किशोरियों तथा 35 किग्रा से कम वजन वाली 15 वर्ष से अधिक तथा 19 वर्ष की आयु तक की किशोरी बालिकाओं के लिए यह परियोजना वर्ष 2003-04 से चलाई जा रही है।
(10) पुत्री विवाह योजना
- इस योजना के तहत गरीब विधवाओं की 18 वर्ष की आयु की 2 पुत्रियों के विवाह पर सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग द्वारा 10,000/- की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। पात्रता-विधवा महिला जिसके घर में कोई कमाने वाला वयस्क सदस्य नहीं हो तथा आय 12,000/- वार्षिक से अधिक न हो एवं उसने पुनर्विवाह नहीं किया हो इस योजना के लिए पात्र है।
(11) महिला सामर्थ्य योजना
- इस योजनान्तर्गत विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्ता व निराश्रित महिलाओं को विभिन्न व्यवसायों में प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार हेतु आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
(12) विधवा पुनर्विवाह उपहार योजना
- अप्रैल, 2007 से प्रारम्भ की गई इस योजना में विधवा महिलाओं के शादी करने पर उसे शादी के मौके पर राज्य सरकार की ओर से 15000 रुपये का उपहार दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
(13) सहयोग योजना
- प्रारम्भ-2005-06
- उद्देश्य-अनुसूचित जाति के BPL परिवारों की अधिकतम दो पुत्रियों के विवाह पर 5000 रुपये की सहायता प्रदान करना। वर्ष 2007-08 में समस्त बी.पी.एल. परिवारों को भी शामिल किया गया, इसके अन्तर्गत परिवारों की 21 वर्ष व उससे अधिक आयु की कन्याओं के विवाह पर 5000 रुपये के स्थान पर 10,000 रुपये की सहायता प्रदान करने की कार्यवाही की गई है।
- पात्रता-राजस्थान का मूल निवासी जो BPL परिवार की सूची में सूचीबद्ध होना चाहिए।
(14) निर्मल घाट योजना
- महिलाओं की निजता बनाये रखने व स्नान को सुविधाजनक बनाने के लिए नदियों व अन्य तालाबों के साथ घाट बनाने की योजना जिसकी शुरुआत 2007-08 से की गई।
(15) महिलाओं के प्रशिक्षण एवं रोजगार हेतु सहायता (स्टेप):
- उद्देश्य-– महिलाओं की उत्पादकता में वृद्धि करके और उन्हें आय-उत्पादन कार्यकलाप शुरू करने के योग्य बनाकर आत्मनिर्भर और स्वायत्त बनाना।
- पात्रता-सीमान्त, सम्पत्तिविहीन ग्रामीण तथा शहरी निर्धन महिलाएँ इस योजना के अन्तर्गत पात्र होंगी।
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