साइक्लोस्टोमेटा के प्रमुख लक्षण | ExamSector
साइक्लोस्टोमेटा के प्रमुख लक्षण

साइक्लोस्टोमेटा के प्रमुख लक्षण

cyclostomata ke pramukh lakshan

साइक्लोस्टोमेटा के प्रमुख लक्षण-

  •  इस वर्ग के प्राणी कुछ मछलियों के बाह्य परजीवी होते हैं।
  • शरीर लम्बा होता है, जिसमें श्वसन के लिए 6-15 जोड़ी क्लोम छिद्र होते हैं।
  • साइक्लोस्टोम में बिना जबड़ों का चूषक ( sucker ) तथा वृत्ताकार मुख होता है।
  • शल्क तथा युग्मित पख का अभाव होता है।
  • कपाल तथा मेरुदण्ड उपस्थित होता है।
  • परिसंचरण तन्त्र बन्द प्रकार का होता है।
  • साइक्लोस्टोम समुद्री होते हैं, किन्तु प्रजनन के लिए अलवणीय जल में प्रवास करते हैं। जनन के कुछ दिन बाद वे मर जाते हैं।
  • इसके लार्वा कायान्तरण (Metamorphosis) के बाद समुद्र में लौट जाते हैं।
    उदाहरण – पेट्रोमाइजोन (लैम्प्रे), मिक्सीन (हैगफिश)।

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1. मछलियों के हृदय में कोष्ठों की संख्या होती है –
(A) 4
(B) 3
(C) 2
(D) 1

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उत्तर ⇒ { (C) 2 }

2. केंकड़ा में कौन-सी सममिति पायी जाती है ?
(A) अरीय सममिति
(B) द्विपार्श्व सममिति
(C) असममिति
(D) गोलीय सममिति

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उत्तर ⇒ { (B) द्विपार्श्व सममिति }

3. किस जन्तु में शरीर खण्डीय नहीं होता है ?
(A) ऐस्केरिस व तारा मछली
(B) मिलीपीड
(C) फीताकृमि
(D) केंचुआ

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उत्तर ⇒ { (A) ऐस्केरिस व तारा मछली }

4. अगुहीय प्राणी किस संघ का लक्षण है ?
(A) आर्थोपोडा
(B) प्लेटीहेल्मिन्थीज
(C) ऐनेलिडा
(D) मोलस्का

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उत्तर ⇒ { (B) प्लेटीहेल्मिन्थीज }

5. सतही खण्डीभवन पाया जाता है –
(A) केंचुए में
(B) कॉकरोच में
(C) टीनिया सोलियम में
(D) ऑक्टोपस में

उत्तर  :- ?????

इस प्रश्न का सही उत्तर क्या होगा? हमें अपना जवाब कमेंट सेक्शन में जरूर दें।

प्रश्न 1. वर्गीकरण के आधारभूत लक्षण लिखिए।
उत्तर: वर्गीकरण के आधारभूत लक्षण निम्न हैं – कोशिका व्यवस्था, शारीरिक सममिति, शरीर योजना, प्रगुहा की प्रकृति, पाचन तन्त्र, परिसंचरण तन्त्र, जनन तन्त्र की रचना एवं पृष्ठीय रज्जु की उपस्थिति आदि।

प्रश्न 2. अरीय सममिति किसे कहते हैं ?
उत्तर: जब किसी भी केन्द्रीय अक्ष से गुजरने वाली रेखा प्राणी के शरीर को दो समरूप भागों में विभाजित करती है तो इसे अरीय सममिति (radial symmetry) कहते हैं।

प्रश्न 3. खुला रुधिर परिसंचरण किसे कहते हैं?
उत्तर: खुले परिसंचरण तन्त्र में रुधिर खुले स्थानों (open spaces a sinuses) में बहता है, रुधिर वाहिकाओं में नहीं। शरीर के अंग व ऊतक रक्त (हीमोलिम्फ) में डूबे रहते हैं। पर्याप्त दाब व बहाव का नियन्त्रण सम्भव नहीं होता।

प्रश्न 4. बन्द रुधिर परिसंचरण किसे कहते हैं?
उत्तर: जब रुधिर का परिसंचरण बन्द नलिकाओं ( धमनियों, शिराओं व केशिकाओं) में होकर बहता है तो उसे बन्द परिसंचरण (closed circulation) कहते हैं।

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