डेयरी सहकारिता एवं डेयरी विकास
डेयरी सहकारिता एवं डेयरी विकास ( Dairy in Rajasthan )
राजस्थान के पशुपालकों को दुग्ध का उचित मूल्य दिलाने एवं उपभोक्ताओं को शुद्ध व स्वास्थ्यवर्द्धक दुग्ध उत्पाद उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से डेयरी सहकारिता की त्रिस्तरीय व्यवस्था लागू है।
राजस्थान के डेयरी विकास कार्यक्रम गुजरात की ‘आनन्द सहकारी डेयरी संघ’ की ‘अमूल पद्धति’ पर आधार पर क्रियान्वित किया जा रहे हैं, जिसका त्रिस्तरीय संस्थागत ढाँचा निम्नानुसार है
- (i) शीर्ष स्तर-राजस्थान राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन (RCDF- Rajasthan Cooperative Dairy Federation)
- मुख्यालय-जयपुर
- स्थापना-1977
- उद्देश्य-– राज्य में दुग्ध विकास कार्यक्रमों का संचालन करने के साथ ही उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर शुद्ध व स्वास्थ्यवर्द्धक दुग्ध उत्पाद उपलब्ध कराना एवं पशुपालकों को दूध का उचित मूल्य दिलाना।
- (ii) जिला स्तर–जिला दुग्ध उत्पादक संघ उद्देश्य (कार्य)-प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों से दुग्ध संकलन एवं दुग्ध उत्पादों का विपणन करना !
- RCD से सम्बद्ध 21 ‘जिला दुग्ध उत्पादक संघ’ कार्यरत हैं।
- (iii)प्राथमिक स्तर प्राथमिक सहकारी दुग्ध उत्पादक समितियाँ -ये समितियाँ दुग्ध उत्पादकों से दूध एकत्रित करके जिला दुग्ध उत्पादन संघ को उपलब्ध करवाने का कार्य करती है। ऐसी 11095 (2008-09) समितियाँ राज्य में कार्यरत हैं।
- RCDF के अंतर्गत कार्यरत संस्थाएँ एवं केन्द्र
- दुग्ध उत्पादक सयंत्र-17
- दुग्ध अवशीतन केन्द्र-17
- दुग्ध पाउडर उत्पादक सयंत्र-6 (रानीवाड़ा, अजमेर, अलवर, जयपुर, हनुमानगढ़, बीकानेर)
- पशु आहार केन्द्र-4 लालगढ़ (बीकानेर), नदबई (भरतपुर), तबीजी (अजमेर) एवं जोधपुर।
- बीज उत्पादक फॉर्म-रोजड़ी, पाल, बस्सी।
- ट्रेटापैक दुग्ध सयंत्र-जयपुर।
- यूरिया मोलासिस ब्रिक प्लांट-2 (अजमेर व जोधपुर)
- फ्रोजन सीमन बैंक-बस्सी ISO मानक प्राप्त प्रयोगशाला उत्पादन जहाँ पर कृत्रिम गर्भाधान हेतु देशी व विदेशी नस्ल के सांडों से हिमीकृत वीर्य संचित रहता है।
डेयरी से सम्बन्धित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
जनश्री बीमा योजना
- राजस्थान सहकारी डेयरी फेडरेशन की प्रदेश के दुग्ध उत्पादकों की सामाजिक सुरक्षा एवं उनके बच्चों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने की योजना, जो भारतीय जीवन बीमा निगम के सहयोग से संचालित की जा रही है।
- इस योजना के अंतर्गत 100 रुपये वार्षिक प्रीमियम में से 12.5% राशि आर.सी.डी.एफ., 12.5% जिला दुग्ध उत्पादक संघ, 30% प्राथमिक दुग्ध उत्पादक समिति एवं शेष 45% प्रीमियम राशि बीमित दुग्ध उत्पादक द्वारा वहन की जाती है।
- इस योजना के अन्तर्गत बीमित दुग्ध उत्पादक की दुर्घटना में मृत्यु या स्थायी अपंगता पर 75,000 रुपये तथा अस्थायी अपंगता पर 37,500 रुपये और स्वाभाविक मृत्यु पर 30,000 रुपये की बीमा राशि दी जाती है।
- इसी बीमा योजना के अंतर्गत ‘छात्र शिक्षा सहयोग विधि योजना’ में बीमित दुग्ध उत्पादकों के कक्षा 9 से 12 में अध्ययनरत अधिकतम 2 बच्चों को 1200 रुपये प्रति छात्र प्रतिवर्ष की दर से अध्ययन हेतु दिया जाता है।
महिला डेयरी परियोजना
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार की स्टेप योजना के अंतर्गत 20 जिलों में महिला डेयरी परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस परियोजना के अन्तर्गत सबसे पहली महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति भोजूसर गाँव (बीकानेर) में प्रारम्भ की गई।
सरस सामूहिक आरोग्य बीमा योजना
- RCDF द्वारा ICICI-Lombard Company के सहयोग से संचालित इस योजना के अंतर्गत दुग्ध उत्पादक, उसकी पत्नी व दो बच्चों का स्वास्थ्य बीमा कराया जाता है जिसमें साधारण बीमारी में एक लाख रुपये की सीमा तक के चिकित्सकीय खर्चे एवं असाधारण बीमारी की स्थिति में 2 लाख रुपये के चिकित्सकीय खर्चे का पुनर्भरण किया जाता है।
- मेट्रो डेयरी परियोजना-बस्सी (जयपुर) में निर्माणाधीन है।
जर्म प्लाज्म केन्द्र
- प्रथम जर्म प्लाज्म केन्द्र बस्सी (जयपुर)
- द्वितीय जर्म प्लाज्म केन्द्र नारवा खिचियान (जोधपुर)
- विदेशी पशु प्रजनन फॉर्म–बस्सी (जयपुर)
- जर्सी नस्ल के उन्नत सांडों का उत्पादन।
- दुग्ध विज्ञान (डेयरी) महाविद्यालय, उदयपुर
- महाराणा प्रताप कृषि व तकनीकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित राज्य का एकमात्र डेयरी महाविद्यालय 1978 में स्थापित किया गया।
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