नेत्र दृष्टि दोष तथा उनका निवारण (Defects in eye vision and their corrections) | ExamSector
नेत्र दृष्टि दोष तथा उनका निवारण (Defects in eye vision and their corrections)

Defect of eye Vision and their Correction

नेत्र दृष्टि दोष तथा उनका निवारण

  • नेत्र हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। हम अपने चारों तरफ की दुनिया को नेत्रों से देखकर अनुभव करते हैं | जब किसी व्यक्ति को साफ दिखाई देने में दिक्कत आने लगती है तो वह व्यक्ति नेत्र चिकित्सक की सहायता से नेत्र दृष्टि दोषों का निराकरण करवाता है। नेत्र दृष्टि दोषों के बारे में जानने से पहले हम नेत्र की संरचना को समझेंगे |

नेत्र की संरचना

  • मानव नेत्र की कार्यप्रणाली एक अत्याधुनिक ऑटोफोकस कैमरे की तरह होती है। नेत्र लगभग 2.5 cm व्यास का एक गोलाकार अंग है जिसके प्रमुख भाग चित्र 9.34 में दिखाए गये हैं।
Defect of eye Vision and their Correction

1. श्वेत पटल (Sclera) –

  • नेत्र के चारों ओर एक श्वेत सुरक्षा कवच बना होता है जो अपारदर्शक होता है। इसे श्वेत पटल कहते है |

2. कॉर्निया (Cornea) –

  • नेत्र के सामने श्वेत पटल के मध्य में थोड़ा उभरा हुआ भाग पारदर्शी होता है | प्रकाश की किरणें इसी भाग से अपवर्तित होकर नेत्र में प्रवेश करती हैं |

3.परितारिका (Iris) –

  • यह कॉर्निया के पीछे एक अपारदर्शी मांसपेशिय रेशों की संरचना है जिसके बीच में छिद्र होता है | इसका रंग अधिकांशत: काला होता है |

4.पुतली (Pupil) –

  • परितारिका के बीच वाले छिद्र को पुतली कहते है। परितारिका की मांसपेशियों के संकोचन व विस्तारण से आवश्यकतानुसार पुतली का आकार कम या ज्यादा होता रहता है | तीव्र प्रकाश में इसका आकार छोटा हो जाता है एवं कम प्रकाश में इसका आकार बढ़ जाता है।
    यही कारण है कि जब हम तीव्र प्रकाश से A प्रकाश में जाते हैं तो कुछ समय तक नेत्र ठीक से देख नहीं पाते हैं | थोड़ी देर में पुतली का आकार बढ़ जाता है एवं हमें दिखाई देने लगता है।

5. नेत्र लेंस (Eye lens) –

  • परितारिका के पीछे एक ‘लचीले पारदर्शक पदार्थ का लेंस होता है जो माँसपेशियों की सहायता से अपने स्थान पर रहता है। कॉर्निया से अपवर्तित किरणों को रेटिना पर फोकसित करने के लिये माँसपेशियों के दबाव से इस लेंस की वक्रता त्रिज्या में थोड़ा परिवर्तन होता है। इससे बनने वाला प्रतिबिम्ब छोटा, उलटा व वास्तविक होता है।

6. जलीय द्रव (Aqueous humour) –

  • नेत्र लेंस व कॉर्निया के बीच एक पारदर्शक पतला द्रव भरा रहता है जिसे जलीय द्रव कहते हैं। यह इस भाग में उचित दबाव बनाए रखता है ताकि आँख लगभग गोल बनी रहे। साथ ही यह कॉर्निया व अन्य भागों को पोषण भी देता रहता है।

7. रक्त पटल (Choroid) –

  • नेत्र के श्वेत पटल के नीचे एक झिल्ली नुमा संरचना होती है जो रेटिना को ऑक्सीजन एवं पोषण प्रदान करती है | साथ ही आंख में आने वाले प्रकाश का अवशोषण करके भीतरी दीवारों से प्रकाश के परावर्तन को अवरूद्ध करती है।

8. दृष्टिपटल (Retina) –

  • रक्त पटल के नीचे एक पारदर्शक झिल्ली होती हैं जिसे दृष्टिपटल कहते है | वस्तु से आने वाली प्रकाश किरणें कॉर्निया एवं नेत्र लेंस से अपवर्तित होकर रेटिना पर फोकसित होती हैं | रेटिना में अनेक प्रकाश सुग्राही कोशिकाएं होती है जो प्रकाश मिलते ही सक्रिय हो जाती हैं एवं विद्युत सिग्नल उत्पन्न करती हैं | रेटिना से उत्पन्न प्रतिबिम्ब के विद्युत सिग्नल प्रकाश नाड़ी द्वारा मस्तिष्क को प्रेषित होते हैं । मस्तिष्क इस उल्टे प्रतिबिम्ब का उचित संयोजन करके उसे हमें सीधा दिखाता हैं ।

9.काचाभ द्रव (Vitreous humour) –

  • नेत्र लेंस व रेटिना के बीच एक पारदर्शक द्रव भरा होता है जिसे काचाभ द्रव कहते है।
  • नेत्र जब सामान्य अवस्था में होता है तो अनन्त दूरी पर रखी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना पर स्पष्ट बन जाता है। जब वस्तु नेत्र के पास होती है तो नेत्र लेंस की मांसपेशियां स्वत: एक तनाव उत्पन्न करती हैं जिससे नेत्र लेंस बीच में से मोटा हो जाता है। इससे नेत्र लेंस की फोकस दूरी कम हो जाती है एवं पास की वस्तु का प्रतिबिम्ब पुनः रेटिना पर बन जाता है | लेंस की फोकस दूरी में होने वाले इस परिवर्तन की क्षमता को नेत्र की संमजन क्षमता कहा जाता है।
  • यदि हम बहुत निकट से किसी वस्तु को स्पष्ट देखना चाहें तो हमें स्पष्ट प्रतिबिम्ब देखने में कठिनाई का अनुभव होता है। वस्तु की नेत्र से वह न्यूनतम दूरी जहां से वस्तु को स्पष्ट देख सकते हैं नेत्र का निकट बिन्दु कहलाता है। सामान्य व्यक्ति के लिए यह दूरी 25 cm होती है | इसी प्रकार नेत्र से वह अधिकतम दूरी, जहाँ तक वस्तु को स्पष्ट देखा जा सकता है, नेत्र का दूर बिन्दु कहलाता है। सामान्य नेत्रों की यह दूरी अनन्त होती है |निकट बिन्दु से दूर बिन्दु के बीच की दूरी दृष्टि-परास कहलाती है।

दृष्टि दोष एवं उनका निराकरण

  • उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों में संमजन क्षमता कम होने से, चोट लगने से, नेत्रों पर अत्यधिक तनाव आदि अनेक कारणों से नेत्रों की संमजन क्षमता में कमी आ जाती है या उनकी ये क्षमता खत्म हो जाती है अथवा नेत्र लेंस की पारदर्शिता खत्म हो जाती है| नेत्र में दृष्टि सम्बन्धी निम्न दोष प्रमुखता से होते हैं

निकट दृष्टि दोष (Myopia or short sightedness)

  • निकट दृष्टि दोष में व्यक्ति को निकट की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं किन्तु दूर की वस्तुएँ धुंधली दिखाई देने लगती हैं। इस दृष्टि दोष का मुख्य कारण नेत्र लेंस की वक्रता का बढ़ जाना € | इस दोष से पीड़ित व्यक्ति के नेत्र में दूर रखी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना से पहले ही बन जाता है। जबकि कुछ दूरी पर रखी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनता हैं । एक प्रकार से उस व्यक्ति का दूर बिन्दु अनन्त पर न होकर पास आ जाता हैं ।
  • इस दोष के निवारण के लिये उचित क्षमता का अवतल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता है। अवतल लेंस अनन्त पर स्थित वस्तु से आने वाली समान्तर किरणों को इतना अपसारित करता है ताकि वे किरणें उस बिन्दु से आती हुई प्रतीत हो जो दोष युक्त नेत्रों के स्पष्ट देखने का दूर बिन्दु है। वर्तमान में लेजर तकनीक का उपयोग करके भी इस दोष का निवारण किया जाता है।
Defect of eye Vision and their Correction

दीर्घ/दूर दृष्टि दोष (Hypermetropia or long sightedness)

  • दीर्घ दृष्टि दोष में व्यक्ति को दूर की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परन्तु पास की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। इस दोष में व्यक्ति को सामान्य निकट बिन्दु (25 लाए) से वस्तुएँ धुंघली दिखती हैं, लेकिन जैसे-जैसे वस्तु को 25 cm से दूर ले जाते हैं वस्तु स्पष्ट होती जाती हैं | एक प्रकार से दीर्घ दृष्टि दोष में व्यक्ति का निकट बिन्दु दूर हो जाता है|
  • दीर्घ दृष्टि दोष के निवारण के लिये उचित क्षमता का उत्तल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता है। यह लेंस पास की वस्तु का आभासी प्रतिबिम्ब उतना दूर बनता है जितना की दृष्टि दोष युक्त नेत्र का निकट बिन्दु है। इससे पुनः नेत्र को निकट की वस्तुएं स्पष्ट दिखाई देने लगती है|
नेत्र दृष्टि दोष तथा उनका निवारण
नेत्र दृष्टि दोष तथा उनका निवारण

जरा दूरदर्शिता (Presbyopia)

  • आयु बढ़ने के साथ नेत्र लेंस एवं मांसपेशियों का लचीलापन कम होने से नेत्र की संमजन क्षमता कम हो जाती है। इस कारण उन्हें दीर्घ दृष्टि दोष हो जाता है एवं वे पास की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाते हैं। कई बार उम्र के साथ व्यक्तियों को दूर की वस्तुएं भी धुंधली दिखाई देने लगती है । इस तरह के दोषों में व्यक्ति को दूर व पास दोनों ही वस्तुओं को स्पष्ट देखने में दिक्कत आने लगती है। इनका निवारण करने के लिये द्वि-फोकसी (Bifocal) लेंस प्रयुक्त किये जाते है। इन लेंसों का ऊपरी भाग अवतल एवं नीचे का भाग उत्तल होता है |

दृष्टि वैषम्य दोष (Astigmatism)

  • दृष्टि-वैषम्य दोष या अविन्दुकता दोष कॉर्निया की गोलाई में अनियमितता के कारण होता है। इसमें व्यक्ति को समान दूरी पर रखी उर्ध्वधर व क्षैतिज रेखाएं एक साथ स्पष्ट दिखाई नहीं देती है । बेलनाकार लेंस का उपयोग करके इस दोष का निवारण किया जाता है।

मोतियाबिन्द (Cataract)

  • व्यक्ति की आयु बढ़ने के साथ नेत्र लेंस की पारदर्शिता खत्म होने लगती है एवं उसका लचीलापन कम होने लगता है |
  • इस कारण यह प्रकाश का परावर्तन करने लगता है एवं वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है । इस दोष को मोतियाबिन्द कहते हैं (चित्र 9.37) इस दोष को दूर करने के लिए नेत्र लेंस को हटाना पड़ता है | पूर्व में शल्य चिकित्सा द्वारा मोतियाबिन्द को निकाल दिया जाता था | नेत्र लेंस को निकाल देने से व्यक्ति को मोटा व गहरे रंग का चश्मा लगाना पड़ता था। आधुनिक विधि में मोतियाबिन्द युक्त नेत्र लेंस को हटाकर एक कृत्रिम लेंस लगा दिया जाता है जिसे इन्ट्रा आक्युलर लेंस (Intraocular lens) कहते है।

Defect of eye Vision and their Correction

नेत्र दृष्टि दोष तथा उनका निवारण

{ *सामान्य विज्ञान* } General Science Notes  :- यहाँ क्लिक करें ! 

Defect of eye Vision and their Correction FAQ –

1. निम्न में से कौनसे दर्पण में वृहद दृष्टि क्षेत्र दिखेगा
(क) समतल दर्पण
(ख) उत्तल दर्पण
(ग) अवतल दर्पण
(घ) परवलियक दर्पण

Click to show/hide

उत्तर ⇒ { (ख) उत्तल दर्पण }

2. प्रकाश का वेग सर्वाधिक होगा
(क) पानी में
(ख) कांच में
(ग) निर्वात में
(घ) ग्लिसरीन में

Click to show/hide

उत्तर ⇒ { (ग) निर्वात में }

3. किस प्रभाव के कारण टंकी के पेंदे पर रखा सिक्का थोड़ा ऊपर उठा हुआ दिखाई देता है
(क) अपवर्तन
(ख) परावर्तन
(ग) पूर्ण आन्तरिक परावर्तन
(घ) इनमें से कोई नहीं

Click to show/hide

उत्तर ⇒ { (क) अपवर्तन }

4. यदि एक दर्पण की फोकस दूरी + 60 सेमी. है तो यह दर्पण होगा
(क) अवतल दर्पण
(ख) परवलिय दर्पण
(ग) समतल दर्पण
(घ) उत्तल दर्पण

Click to show/hide

उत्तर ⇒ { (घ) उत्तल दर्पण }

5. एक समतल दर्पण की फोकस दूरी होगी
(क) 0
(ख) 1
(ग) अनन्त
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर ⇒ ???????

प्रश्न 1. जब कोई वस्तु प्रकाश के सभी रंगों को अवशोषित कर लेती है तो वह वस्तु हमें किस रंग की दिखाई देगी?
उत्तर- वह वस्तु हमें काली दिखाई पड़ती है।

प्रश्न 2. यदि हम समतल दर्पण में हमारा पूर्ण प्रतिबिम्ब देखना चाहें तो दर्पण की न्यूनतम लम्बाई कितनी होनी चाहिये ?
उत्तर- किसी व्यक्ति का पूरा प्रतिबिम्ब देखने के लिए उस व्यक्ति की लम्बाई की आधी लम्बाई का समतल दर्पण चाहिए।

प्रश्न 3. उत्तल दर्पण के कोई दो उपयोग लिखिये।
उत्तर-

  • उत्तल दर्पण में बड़ी वस्तुओं के छोटे प्रतिबिम्ब प्राप्त करके सजावट के लिए उपयोग में लेते हैं।
  • इनका उपयोग सामान्यतः वाहनों के पश्च दृश्य (wing) दर्पणों के रूप में किया जाता है।

प्रश्न 4. अवतल दर्पण के कोई दो उपयोग लिखिये।
उत्तर-

  • बड़ी फोकस दूरी का अवतल दर्पण हजामत बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है, जिससे व्यक्ति के चेहरे का आभासी, बड़ा और सीधा प्रतिबिम्ब बनता है।
  • अवतल दर्पण परावर्तक दूरदर्शी में काम में लेते हैं। इससे दूरदर्शी की विभेदन क्षमता में वृद्धि होती है।

प्रश्न 5. दर्पण सूत्र लिखिये।
उत्तर- ध्रुव से बिम्ब की दूरी u, ध्रुव से प्रतिबिम्ब की दूरी v एवं ध्रुव से फोकस दूरी f ये तीनों राशियाँ एक समीकरण द्वारा सम्बद्ध हैं जिसे दर्पण सूत्र कहा जाता है।

light question in hindi

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Leave A Comment For Any Doubt And Question :-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *