Electric current generator in Hindi
- यह एक ऐसी युक्ति है जिसमें चुम्बकीय क्षेत्र में रखी कुण्डली को यांत्रिक ऊर्जा देकर घूर्णन करवाकर विद्युत ऊर्जा प्राप्त की जाती है यह विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर आधारित है | धारा जनित्र दो प्रकार के होते हैं-
(a) प्रत्यावर्ती धारा जनित्र (A.C. generator)
- अपने घरों में उपकरण जैसे बल्ब, पंखा, इस्त्री, टोस्टर, फ्रिज इत्यादि प्रत्यावर्ती स्रोत से चलते हैं। शादी विवाह में मेरिज हॉल या मेरिज गार्डन में आपने देखा होगा जब बिजली बन्द हो जाती है तो लाईट डेकोरेशन को चालित करने के लिए हॉल या गार्डन के बाहर डीजल से चलने वाली एक युक्ति होती है जिसे प्रत्यावर्ती धारा जनित्र कहते हैं ।
- वास्तव में प्रत्यावर्ती धारा जनित्र एक ऐसी युक्ति है जो यांत्रिक ऊर्जा को प्रत्यावर्ती विद्युत ऊर्जा में बदलता है।
- प्रत्यावर्ती धारा जनित्र के निम्न चार भाग होते है
(a) क्षेत्र चुम्बक (b) आर्मेचर या कुण्डली (c) सर्पीवलय (d) ब्रुश - (a) क्षेत्र चुम्बक (Field magnet) इसे एक अति शक्तिशाली नाल के आकार का चुम्बक NS होता है जिसे क्षेत्र चुम्बक कहते है|
- (b) आर्मेचर या कुण्डली (Armature or coil) यह कच्चे लोहे के ढांचे पर लिपटी विद्युत रोधी तांबे की कुण्डली PQRS होती है|
- (c) सर्पीवलय (Slip ring) कुण्डली के सिरे A or B को अलग-अलग पृथक्कित धात्विक वलयों S1 व S2 जोड़ दिये जाते हैं । ये वलय कुण्डली के घूमने से उसके साथ-साथ घूमते है।
- (d) ब्रुश (Brushes) ये कार्बन या किसी धातु की पत्तियों से बने दो ब्रुश होते है जिनका एक सिरा तो वलयों को स्पर्श करता है तथा शेष दूसरों सिरों को बाहरी परिपथ से संयोजित कर दिया जाता है।
![विद्युतधारा जनित्र (Electric current generator in Hindi) 1 Electric current generator in Hindi](https://www.examsector.com/wp-content/uploads/2023/09/photo_2023-08-24_10-46-26-1.jpg)
- भारत में प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति 50 हर्ट्ज है अतः प्रत्यावर्ती धारा जनित्र से 50 ह्द्ज आवृत्ति वाली धारा उत्पन्न करने के लिए कुण्डली को एक सेकण्ड में 50 बार घुमाया जाता है।
Electric current generator in Hindi
कार्यविधि (Working)
- जब आर्मेचर को यांत्रिक ऊर्जा देकर घुमाया जाता है तो कुण्डली ABCD से पारित चुम्बकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता है जिससे कुण्डली के सिरों के बीच प्रेरित धारा बहती है
- जब कुण्डली को दक्षिणावर्त घुमाते है कुण्डली का तल बार-बार चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर व लम्बवत् होता है | चूंकि प्रथम आधे चक्र में फ्लक्स की मात्रा घटती है, इस प्रकार प्रथम आधे घूर्णन में धारा की दिशा बाह्य परिपथ में दक्षिणावर्त होती है और अगले आधे घूर्णन में वामावर्त होती है । अर्थात् प्रथम आधे चक्र में बाह्य परिपथ में धारा B1 से B2 की और शेष आधे चक्र में B2 से B1 की ओर बहती है। इस प्रकार आर्मेचर के पूर्ण घूर्णन में निश्चिश्त कालान्तर के बाद धारा की दिशा बदलती है तथा इस दौरान धारा का मान भी नियमित रूप से बदलता है ऐसी धारा प्रत्यावर्ती धारा कहलाती है |
- प्रत्यावर्ती धारा जनित्र से उत्पन्न धारा का मान कुण्डली में फेरों की संख्या, कुण्डली के क्षेत्रफल, घूर्णन वेग व चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता पर निर्भर करता है।
(b) दिष्ट धारा जनित्र (Direct current generator)
- यह एक ऐसी युक्ति है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलती है | विद्युत ऊर्जा से प्राप्त विद्युत धारा की दिशा समय के साथ नियत रहती है
- बनावट (Construnetion) – इसकी बनावट भी प्रत्यावर्ती धारा जनित्र जैसी ही होती है अन्तर केवल इतना है दो सर्पीवलय के स्थान पर विभकक््त वलय दिक परिवर्तक का उपयोग किया जाता है।
Electric current generator in Hindi
![विद्युतधारा जनित्र (Electric current generator in Hindi) 2 Electric current generator in Hindi](https://www.examsector.com/wp-content/uploads/2023/09/photo_2023-08-24_10-46-28.jpg)
- इसमें धातु की एक वलय लेते है जिसके दो बराबर भाग C1 व C2 करते है जिन्हे कम्यूटेटर कहते है| आर्मेचर का एक सिरा कम्यूटेटर C1 के एक भाग से तथा दूसरा सिरा कम्यूटेटर C2 के दूसरे भाग से जुड़ा होता है C1 व C2 दो कार्बन ब्रुशों B1 व B2 को स्पर्श करते है|
कार्य प्रणाली (Working)
- जब आर्मेचर को चुम्बकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है तब कुण्डली से पारित चुम्बकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होने से उसमें प्रेरित धारा बहती है उसमें बुश B1 व B2 की स्थितियां इस प्रकार समायोजित की जाती हैं कि कुण्डली में धारा की दिशा परिवर्तित होती है तो ठीक उसी समय इन ब्रुशों का सम्बन्ध कम्यूटेटर के एक भाग से हटकर दूसरे भाग से हो जाता है और बाह्य परिपथ में धारा की दिशा समय के साथ नियत रहती है |
- माना कि प्रथम आधे चक्र में प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होती है कि कुण्डली C1 से जुड़ा सिरा धनात्मक व C2 से जुड़ा सिरा ऋणात्मक होता है इस स्थिति में ब्रुश छ, धनात्मक व ब्रुश B2 ऋणात्मक होते हैं अगले आधे चक्र में कुण्डली में धारा की दिशा जैसे ही बदलती है C1 ऋणात्मक व C2 धनात्मक हो जाते है लेकिन कुण्डली के घूमने के कारण C1 घूमकर C2 के स्थान पर (B2 सम्पर्क में) तथा C2 घूमकर C1 के स्थान पर (B1 के सम्पर्क में) आ जाते है अतः B1 सदैव धनात्मक व B2 ऋणात्मक रहता है इस प्रकार एक पूर्ण चक्र में बाह्य परिपथ में धारा की दिश B1 से B2 ओर बहती है।
Electric current generator in Hindi FAQ –
प्रश्न 1. 5 वोल्ट की बैटरी से यदि किसी चालक में 2 ऐम्पीयर की धारा प्रवाहित की जाती है तो चालक का प्रतिरोध होगा
(अ) 3 ओम
(ब) 2.5 ओम
(स) 10 ओम
(द) 2 ओम
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प्रश्न 2. प्रतिरोधकता निम्न में से किस पर निर्भर करती है?
(अ) चालक की लम्बाई पर
(ब) चालक के अनुप्रस्थ काट पर
(स) चालक के पदार्थ पर
(द) इसमें से किसी पर नहीं
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प्रश्न 3. वोल्ट किसका मात्रक है –
(अ) थारा
(ब) विभवान्तर
(स) आवेश
(द) कार्य
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प्रश्न 4. विभिन्न मान के प्रतिरोधों को समान्तर क्रम में जोड़कर उन्हें विद्युत स्रोत से जोड़ने पर प्रत्येक प्रतिरोध तार में
(अ) धारा और विभवान्तर का मान भिन्न-भिन्न होगा
(ख) धारा और विभवान्तर का भान समान होगा
(ग) धारा भिन्न-भिन्न होगा परन्तु विभवान्तर एक समान होगी
(घ) धारा समान होगी परन्तु विभवान्तर भिन्न-भिन्न होगा
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प्रश्न 5. भारत में प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति है –
(अ) 45 हर्ट्ज
(ब) 50 ह
(स) 55 हर्ट्ज
(घ) 60 हर्ट्स
उत्तर ⇒ ??????
प्रश्न 1. विद्युत धारा की परिभाषा दीजिये।
उत्तर: किसी चालक में विद्युत आवेग के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं।
I = Q/t जहाँ I = विद्युत धारा
Q = t सेकण्ड में किसी परिपथ में प्रवाहित होने वाला आवेश।
प्रश्न 2. विद्युत विभव किसे कहते हैं ?
उत्तर: विद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पर विभव वह कार्य है जो इकाई धन आवेश को अनंत से उस बिन्दु तक लाने में किया जाता है।
प्रश्न 3. 1 ओम प्रतिरोध किसे कहते हैं ?
उत्तर: यदि किसी चालक तार में 1 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित करने पर उसके सिरों के मध्य 1 वोल्ट विभवान्तर उत्पन्न होता है तो उस चालक तार का प्रतिरोध 1 ओम होगा।
प्रश्न 4. प्रतिरोधकता की परिभाषा दीजिये।
उत्तर: प्रतिरोधकता – इकाई लम्बाई व इकाई अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल वाले तार का प्रतिरोध ही विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता कहलाती है। इसका मात्रक ओम मीटर (Ωm) होता है।
प्रश्न 5. विद्युत शक्ति किसे कहते हैं ?
उत्तर: विद्युत ऊर्जा जिस दर से क्षय अथवा व्यय होती है, उसे विद्युत शक्ति कहते हैं।