Exercise, yoga, gymnastic (व्यायाम)
Exercise, yoga, gymnastic (व्यायाम) in Hindi
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका ExamSector.Com में। दोस्तों इस पोस्ट के मध्यम से में आपको Exercise, yoga, gymnastic (व्यायाम) के बारे बताऊंगा। Exercise, yoga, gymnastic (व्यायाम) का हमारे शरीर को क्या फ़ायद है और रोजाना Exercise, yoga, gymnastic (व्यायाम) करने सहते अच्छी बनी रहती है। तथा हमारे को रोजाना Exercise, yoga, gymnastic (व्यायाम) करना चाहीए।
Exercise (व्यायाम) का रक्त संचार पर प्रभाव
- व्यायाम के समय अधिक शक्ति की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, ऑक्सीजन तथा पौष्टिक पदार्थों की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने हेतु व्यायाम करने वाले भागों में रक्त की पूर्ति की मात्रा को बढ़ाना पड़ता है। शरीर इस मांग को दो प्रकार से पूरा करने का प्रयत्न करता है :
(i) हृदय गति अथवा नाड़ी की गति को बढ़ाकर जिससे रक्त की अधिक मात्रा प्रवाह के लिए भेजी जा सके।
(ii) ऐसे स्थानों से जहां रक्त की आवश्यकता कम हो अथवा टाली जा सके, कार्यरत मांसपेशियों को, जिन्हें ऑक्सीजन की अधिक आवश्यकता होती है, भेजना।
- इसलिए यह देखा जाता है कि व्यायाम के समय हदय अथवा नाड़ी गति बढ़ जाती है तथा यह एक मिनट में 180 तक कठोर व्यायाम की स्थिति में पहुंच सकती है। इसके अतिरिक्त मांसपेशियों में होने वाले रासायनिक परिवर्तनों के कारण का त्याज्य पदार्थ रक्त में छोड़ दिए जाते हैं। रक्त इन त्याज्य पदार्थों को शरीर से बाहर ले जाने हेतु फेफड़ों तथा गुर्दो, आदि तक पहुंचा देता है। व्यायाम की गति तेज होने के कारण शरीर का | तापमान भी बढ़ जाता है। ऊष्मा का यह उत्पादन कुछ तो शक्ति के रूप में कार्य करने में उपयोग में आता है, शेष शरीर का तापमान बढ़ाता है। व्यायाम के समय रक्त शरीर का तापमान सामान्य रखने में सहायता करता है।
नित्य व्यायाम के प्रभाव
लम्बी अवधि तक नियमित व्यायाम करते रहने से हमारे रक्त प्रवाह संस्थान पर कुछ विशेष प्रभाव पड़ते हैं जो इस प्रकार हैं :
- नित्य व्यायाम का हमारे हृदय पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि व्यायाम का सीधा प्रभाव हृदय पर पड़ता है इस कारण हृदय की मांसपेशियां सशक्त हो जाती हैं तथा वैन्ट्रिकल की हर संकुचन के समय प्रवाह के लिए अधिक रक्त पंप कर सकती हैं। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि उनकी स्ट्रोक वॉल्यूम (Stroke Volume) बढ़ जाती है।
- हृदय की मांसपेशियों के सशक्त होने के कारण कई बार हृदय का नाप कुछ बढ़ जाता है जिसे हम खिलाड़ी का हृदय (Athletic Heart) कहते हैं। इस प्रकार के हृदय को रोग ग्रस्त हृदय नहीं समझना चाहिए जो किसी रोग के कारण, कुछ बड़ा हो जाता है।
- नित्य व्यायाम के फलस्वरूप शरीर में नई कोशिकाओं का निर्माण होता है जिससे रक्त संचार में सुधार आता है। केशिकाओं की संख्या में बढ़ोत्तरी का पता हमारे शरीर का रंगत में सुधार से चलता है। इससे हमारी त्वचा में लाली आ जाती है।
- नित्य व्यायाम अथवा प्रशिक्षण के फलस्वरूप व्यायाम के समय हृदय की गति में वृद्धि, एक नित्य व्यायाम न करने वाले व्यक्ति के मुकाबले में, कम होती है। इस उपलब्धि से एक प्रशिक्षित व्यक्ति ऊंचे स्तर के परिणाम प्राप्त कर सकता है।
- नियमित व्यायाम करने से मनुष्य में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या भी बढ़ जाती है। इससे उसके शरीर में ऑक्सीजन की अधिक मात्रा ले जाने की शक्ति आ जाती है। इसके फलस्वरूप व्यायाम के समय अधिक बोझ का अनुभव नहीं होता।
- नित्य व्यायाम करने वाले व्यायाम रोकने के पश्चात् सामान्य स्थिति में शीघ्र ही आ जाते हैं।
- मांसेपशियों में त्याज्य पदार्थों तथा लैक्टिक ऐसिड को सहन करने की शक्ति बढ़ जाती है। इस प्रकार दर्द अथवा अकड़न, आदि का अनुभव नहीं होता।
- व्यक्ति अथवा खिलाड़ी में सुस्त केशिकाएं खुल जाती हैं विशेषतौर पर फेफड़ों में, जिससे गतिविधियों में कुशलता आती है।
- नित्य व्यायाम के फलस्वरूप रक्त कोलेस्ट्रोल की मात्रा में कमी आने के कारण रक्तचाप में वृद्धि तथा हृदय गतिरोध की सम्भावना कम हो जाती है। कोलेस्ट्रोल का धमनियों में जमाव रक्त प्रवाह में गतिरोध करता है तथा हृदय गतिरोध का मुख्य कारण होता है। अतः हृदय रोगियों को भी हल्के व्यायाम करने की सलाह दी जाती है जिससे वसा की मात्रा पर नियन्त्रण रहे।
- नित्य व्यायाम करने से रक्त में शर्करा की मात्रा सही रहती है तथा मधुमेह रोग से बचा जा सकता है।
Exercise (व्यायाम) का शवसन तंत्र पर प्रभाव
व्यायाम के समय व्यायाम की क्रियाओं को चालू रखने के लिए ऑक्सीजन की अधिक आवश्यकता के कारण श्वास गति बढ़ जाती है। गति के साथ-साथ श्वास गहरे भी हो जाते हैं। जिससे अधिक वायु अन्दर ले जाई जा सके। वायु कोष्ठिकाओं में गैसों के आदान-प्रदान में बढ़ोत्तरी होती है तथा कार्बन डाइऑक्साइड के अधिक तापमान के कारण बाहर निकलने वाली वायु गरम हो जाती है।
नित्य व्यायाम के प्रभाव
- नित्य व्यायाम अथवा प्रशिक्षण के फलस्वरूप टाइडल घनफल (Tidal Volume) बढ़ जाती है। यह पसलियों के साथ जुड़ी हुई मांसपेशियों के सशक्त हो जाने से होता है।
- फेफड़ों की सम्पूर्ण क्षमता (Vital Capacity) बढ़ जाती है। यह बढ़ोत्तरी सम्भवतः बड़ों में न हो, परन्तु बढ़ते बच्चों में अवश्य होती है।
- किसी एक कार्य के लिए श्वास गति में तीव्रता प्राप्त व्यक्ति में कम होती है। इससे प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति को अप्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति की तुलना में अधिक श्रम वाला कार्य करने की शक्ति प्राप्त हो जाती है।
- किसी एक कार्य के लिए श्वास का अल्प घनफल कम हो जाता है। यह वायु कोष्ठिकाओं में गैसों के आदान-प्रदान में सुधार आने के कारण होता है।
- कठोर कार्य करने के पश्चात् श्वास क्रिया को सामान्य होने से कम समय लगता है।
- नित्य व्यायाम करने वाले व्यक्ति में कार्य करने पर श्वास में घुटन (Second wind) की स्थिति नहीं आती।
इने भी जरूर पढ़े –
- Reasoning Notes And Test
- सभी राज्यों का परिचय हिंदी में।
- राजस्थान सामान्य ज्ञान ( Rajasthan Gk )
- Solved Previous Year Papers
- History Notes In Hindi