Gupta Empire History in Hindi
गुप्त साम्राज्य ( Gupta Empire )
- गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है।
- गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त था।
- कुशाणों के बाद गुप्त साम्राज्य अति महत्वपूर्ण साम्राज्य था।
- गुप्त साम्राज्य का पहला प्रसिद्ध सम्राट घटोत्कच का पुत्र चन्द्रगुप्त था।
चन्द्रगुप्त प्रथम (319 – 335 ई.):
- गुप्त वंश का प्रतापी शासक चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्त-सम्वत् की स्थापना 319-20 ई. में की थी।
समुद्रगुप्त (335 – 380 ई.):
- वन्सेंट स्मिथ ने इन्हें ‘भारतीय नेपोलियन’ कहा है।
- हरिषेण समुद्रगुप्त का मंत्री एवं दरबारी कवि था जिसने ‘प्रयाग प्रशस्ति’ लिखी।
चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य (380 – 412 ई.):
- यह गुप्त वंश का पराक्रमी शासक था।
- मेहरौली लौह स्तम्भ लेख कुतुबमीनार के समीप स्थित है, जिसमें चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य का वर्णन है।
- चन्द्रगुप्त वैष्णव धर्मावलम्बी था। चीनी यात्री फाह्यान चन्द्रगुप्त द्वितीय के काल में ही भारत आया।
- फाह्यान भारत में लगभग 6 वर्ष (405-411 ई.) तक उसने भारत यात्रा का वृत्तान्त अपनी पुस्तिका ‘फा-को-कि’ में लिखा है।
स्कन्दगुप्त (450 – 467 ई.):
- यह गुप्त वंश का अन्तिम योग्य सम्राट था। इसके शासनकाल में हूणों ने भारत पर आक्रमण किए। हूण मध्य एशिया की जाति थी। इनमें तोरमाण और मिहिरकुल प्रमुख आक्रान्ता थे।
गुप्त साम्राज्य के महत्त्वपूर्ण तथ्य:
- अजन्ता की गुफाओं के चित्र गुप्त काल की चित्रकला के सर्वोत्तम उदाहरण हैं।
- आर्यभट्ट इस युग के प्रख्यात ज्योतिषी थे। इन्होंने ‘आर्य भट्टीयम’ नामक ग्रन्थ की रचना की।
- वराहमिहिर की वृहत्त संहिता, ब्रह्मगुप्त का ब्रह्म सिद्धान्त भी इसी युग में रचे गए।
- धन्वन्तरि तथा सुश्रुत इस युग के प्रख्यात वैद्य थे। ‘नवनीतकम’ इस युग की प्रसिद्ध चिकित्सा पुस्तक है।
- दीपवंश, महावंश, कालिदास का कुमारसंभवम, मेघदूत, अभिज्ञानशाकुन्तलम, मालविकाग्निमित्रम, विशाखदत्त का मुद्राराक्षस, भट्टी का रावण वध, शूद्रक का मृच्छकटिकम, सुबन्धु की वासवदत्ता, दण्डी का दसकुमारचरित इसी युग में लिखे गए।
- भर्तृहरि द्वारा लिखित ‘नीतिशतक’, ‘भंगारशतक’ एवं ‘वैराग्यशतक’ गुप्तकाल के प्रसिद्ध ग्रन्थ हैं।
- महर्षि वात्सायन द्वारा लिखित ‘कामसूत्र’ गुप्तकाल का कामशास्त्र सम्बन्धी प्रसिद्ध ग्रन्थ है।
गुप्त शासन की अवनति
- ईसा की 5वीं शताब्दि के अन्त व छठवीं शताब्दि में उत्तरी भारत में गुप्त शासन की अवनति से बहुत छोटे स्वतंत्र राज्यों में वृद्धि हुई व विदेशी हूणों के आक्रमणों को भी आकर्षित किया। हूणों का नेता तोरामोरा था। वह गुप्त साम्राज्य के बड़े हिस्सों को हड़पने में सफल रहा। उसका पुत्र मिहिराकुल बहुत निर्दय व बर्बर तथा सबसे बुरा ज्ञात तानाशाह था। दो स्थानीय शक्तिशाली राजकुमारों मालवा के यशोधर्मन और मगध के बालादित्य ने उसकी शक्ति को कुचला तथा भारत में उसके साम्राज्य को समाप्त किया।
Read Also —
Read Also This