जिम्नोस्पर्म का आर्थिक महत्व
जिम्नोस्पर्म का आर्थिक महत्व (Gymnosperm Ki Aarthik Mahatva)
Gymnosperm Ki Aarthik Mahatva
- साइकस (Cycas) के तनों से मण्ड (Starch) निकालकर खाने वाला साबूदाना (sago) का निर्माण किया जाता है।
- साइकस के बीज अण्डमान द्वीप के जनजातियों द्वारा खाए जाते हैं।
- पाइनस से प्राप्त होने वाला चिलगोजा भी खाने के काम आता है।
- चीड़ (Pine), सिकोया (Sequoia), देवदार (Deodar), फर (Fur), स्प्रूस (Spruce) आदि की लकड़ी महत्वपूर्ण फर्नीचर बनाने के काम आते हैं।
- चीड़ (Pine) के पेड़ से तारपीन का तेल (Terpentine Oil), देवदार (Deodar) के पेड़ से सेड्रस तेल (Cedrus oil) तथा जूनीपेरस की लकड़ी से सेडकाष्ठ तेल प्राप्त किया जाता है।
- टेनिन का उपयोग चमड़ा एवं स्याही बनाने में होता है।
- कुछ शंकु पौधों से रेजिन (Resin) प्राप्त किया जाता है।
- इफेड्रा (Ephedra) के रस से इफेड्रिन (Ephedrine) नामक एल्केलॉयड (Alkaloid) प्राप्त किया जाता है। इफेडिन का उपयोग दमा (Asthma) तथा खाँसी के रोगों में दवा के रूप में होता है।
- कोनिफर (Conifer) के मुलायम रेशेदार काष्ठ से लुग्दी (Pulp) बनाकर फिर कागज (Paper) बनाया जाता है।
- बहुत से जिम्नोस्पर्म को बगीचों, पार्क तथा घर की छतों पर सुन्दरता की दृष्टि से लगाया जाता है।
- साइकस की पत्तियों से रस्सी तथा झाडू बनायी जाती है।
नोट :–
- > चिलगोजा को जिम्नोस्पर्म का मेवा कहा जाता है।
- > साइकस को सागो पाम (Sago palm) कहा जाता है।
- > साइकस ताड़ जैसे (Palm like) मरुद्भिदी पौधा है, जिसमें तना लम्बा, मोटा तथा अशाखित होता है। इनके सिरों पर अनेक हरी पत्तियाँ गोलाकार ढंग से एक मुकुट जैसी रचना बनाती हैं।
- > कवक युक्त पाइनस की जड़ को माइकोराइजल जड़ें (Mycorrhizal roots) कहते हैं।
- > शैवाल युक्त साइकस की जड़ को कोरेलॉयड (Corralloid) जड़ कहते हैं।
- > सबसे मोटा तना टेक्सोडियम मेक्सिकेनम (Texodiummexicanum) नामक जिम्नोस्पर्म का होता है।
- > सबसे अधिक संख्या में गुणसूत्र ओफियोग्लोसम (Ophioglossum) नामक फर्न में होते हैं।
- > साइकस (Cycas) को जीवित जीवाश्म (Living fossils) कहा जाता है।
- > जिम्नोस्पर्म को बाह्य आकृति और आंतरिक संरचना के आधार पर साइकैडी (Cheadar) तथा कोनीफेरी (Coniferae) नामक दो समूहों में बाँटा गया है।
(i) साइकेडी जैसे—साइकस (Cycas)
(ii) कोनिफेरी जैसे—पाइनस (Pinus), सीड्रस (Cedrus), गिंकगो (Ginkgo) आदि।
Gymnosperm Ki Aarthik Mahatva FAQs-
जिम्नोस्पर्म की मुख्य विशेषता क्या है?
अनावृतबीजी या विवृतबीज (gymnosperm, जिम्नोस्पर्म, अर्थ: नग्न बीज) ऐसे पौधों वृक्षों को कहा जाता है जिनके बीज फूलों में और फलों में बंद होने की बजाए छोटी टहनियों या शंकुओं में खुली (‘नग्न’) अवस्था में होते हैं।
जिम्नोस्पर्म के सामान्य लक्षण क्या है?
- जिम्नोस्पर्म (अनावृतबीजी) शब्द ग्रीक शब्द जिम्नोस से आया है जिसका अर्थ है “नग्न” और स्पर्म का अर्थ है “बीज”।
- जिम्नोस्पर्म अपुष्पी, बीज वाले पादप हैं ।
- इनमें अंडाणु होते हैं जो अंडाशय की भित्ति से ढके नहीं होते हैं।
- इस प्रकार, निषेचन के बाद नग्न बीज बनते हैं।
- जिम्नोस्पर्म में अगुणित भ्रूणपोष बनता है।
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