राजस्थान के इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत ( Part :- 4 ) | ExamSector
राजस्थान के इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत ( Part :- 4 )

राजस्थान के इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत Part = 4

राजस्थान के इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत को मुख्यत पॉँच भागों में विभाजित किया है।
1. पुरालेखीय स्रोत
2. पुरातात्विक स्रोत
3. ऐतिहासिक साहित्य
4. स्थापत्य एंव चित्रकला
5. आधुनिक ऐतिहासिक ग्रंथ एंव इतिहासकार

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4. आधुनिक ऐतिहासिक ग्रन्थ व इतिहासकार

कर्नल जेम्स टॉड –

  • इस्लिंगटन (इंग्लैण्ड) में जन्मे कर्नल जेम्स टॉड ने 1817 से 1822 तक पश्चिमी राजपूत राज्यों में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के पॉलिटिकल एजेन्ट के रूप में कार्य करते हुए ‘एनाल्स एण्ड एण्टीक्यूटीज ऑफ राजस्थान’ नामक पुस्तक लिखी, जिसके दो भाग हैं
  • प्रथम भाग-1829 ई. में प्रकाशित इस भाग में राजपूताने की भौगोलिक स्थिति, मेवाड़ का इतिहास, राजपूतों की वंशावली व सामन्ती व्यवस्था का उल्लेख मिलता है।
  • द्वितीय भाग-1832 ई. में प्रकाशित इस भाग में मारवाड़, जैसलमेर, आमेर, बीकानेर एवं हाड़ौती के इतिहास की जानकारी मिलती है। कर्नल जेम्स टॉड की अन्य पुस्तक ‘ट्रेवल इन वेस्टर्न इण्डिया’ (1839) है जो कर्नल टॉड की मृत्यु के बाद प्रकाशित हुई। A ‘एनाल्स एण्ड एन्टीक्वीटीज ऑफ राजस्थान’ का मूल नाम ‘हिस्ट्री ऑफ सेण्ट्रल एण्ड वेस्टर्न स्टेट ऑफ इंडिया’ है।
  • कर्नल टॉड ने सर्वप्रथम राजस्थान की सामन्तवादी व्यवस्था पर विस्तार से लिखा।

सूर्यमल्ल मिश्रण

  • बूंदी के शासक महाराव रामसिंह के दरबारी कवि सूर्यमल्ल मिश्रण द्वारा रचित ‘वंश भास्कर’ ग्रंथ में प्रतिहार, परमार, चालुक्य व चौहानों की अग्निकुण्ड से उत्पत्ति, चौहानों की विभिन्न शाखाओं, बूंदी राज्य के इतिहास के साथ ही तात्कालिक धार्मिक विश्वास, सामाजिक रीति-रिवाज, मनोरंजन के साधनों, उत्सव एवं त्योहारों की जानकारी मिलती है।
  • महाराव रामसिंह से मनमुटाव होने पर सूर्यमल्ल मिश्रण द्वारा अधूरे छोड़े गए ग्रंथ को उनके दत्तक पुत्र मुरारीदान ने पूर्ण किया।

कविराजा श्यामलदास –

  • मेवाड़ के महाराणा शम्भूसिंह व उनके पुत्र सजनसिंह के शासनकाल में कविराजा श्यामलदास दधवाड़िया द्वारा रचित ‘वीर विनोद’ ग्रंथ में उदयपुर राज्य के इतिहास का विस्तृत वर्णन मिलता है। श्यामलदास का संबंध भीलवाड़ा से है। (जन्म)
  • महाराणा फतहसिंह ने इस ग्रंथ के प्रचलन पर रोक लगाई थी।

पं. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा –

  • सिरोही में जन्मे श्री ओझा ने सर्वप्रथम 1911 में ‘सिरोही राज्य का इतिहास’ लिखा, तत्पश्चात् सम्पूर्ण राजस्थान के विभिन्न राज्यों का इतिहास लिखने वाले इतिहासकार श्री ओझा राजस्थान के प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता भी माने जाते हैं। राजपूताने का इतिहास’ एवं भारतीय प्राचीन लिपिमाला’ इनके महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ हैं।

मुंशी देवी प्रसाद –

  • जयपुर में जन्मे मुंशी देवी प्रसाद ने बाबरनामा, हुमायूँनामा, जहाँगीरनामा इत्यादि फारसी ग्रंथों का हिन्दी अनुवाद करने के साथ स्वप्न राजस्थान’ नामक ग्रंथ में राजपूत शासकों के चरित्र का विस्तृत वर्णन किया।

रामनाथ रत्नू –

  • जयपुर में जन्में प्रसिद्ध चारण इतिहासकार रामनाथ रत्नू ने राजस्थान का इतिहास’ नामक ग्रंथ की रचना की।

जगदीश सिंह गहलोत –

  • इन्होंने तीन खण्डों में राजस्थान का सम्पूर्ण इतिहास लिखा।

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