राजस्थान के इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत ( Part :- 2 )
राजस्थान के इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत Part = 2
राजस्थान के इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत को मुख्यत पॉँच भागों में विभाजित किया है।
1. पुरालेखीय स्रोत
2. पुरातात्विक स्रोत
3. ऐतिहासिक साहित्य
4. स्थापत्य एंव चित्रकला
5. आधुनिक ऐतिहासिक ग्रंथ एंव इतिहासकार
2. पुरातात्विक स्रोत
खोजों एवं उत्खनन से प्राप्त सामग्री, जो ऐतिहासिक काल निर्धारण । में सहायक होती है। इनमें निम्न प्रमुख हैं-
(1) मृद्भाण्ड
- आहड़ से सर्वाधिक मात्रा में प्राप्त ।
- बागौर के मृदभाण्ड मोटे, जल्दी टूटने वाले तथा अलंकृत रहित हैं।
- रंगमहल के मृद्भाण्ड मोटे, खुरदरे, लाल या गुलाबी रंग के, दृढ़ तथा अलंकृत हैं।
(2) मृणमूर्तियाँ
- रंगमहल से गांधार शैली की मूर्तियाँ प्राप्त हुई जिसमें गुरु शिष्य एवं भिक्षु-भिक्षुणियों की मूर्तियाँ प्रमुख हैं।
- रैढ (टोंक) में हाथ से बनी मूर्तियाँ विशेष रूप से मात देवी तथा शक्ति की मूर्तियाँ मिली हैं।
(3) पाषाण, ताम्र तथा लोहे के आयुध
- आहड़ से पाषाण एवं ताम्र के आयुध एवं छिलने, छेद करने, काटने के पाषाण उपकरण प्राप्त हुए हैं।
- बागौर उत्खनन से पाषाण के बने नोकदार, तेज धार वाले, तिरछे फलक व त्रिभुजाकार उपकरण प्राप्त हुए हैं।
- गणेश्वर (सीकर) व बालाथल (उदयपुर) से सैकड़ों ताम्र आयुध प्राप्त हुए हैं।
- रंगमहल व रैढ़ से लोहे के बने आयुध प्राप्त हुए हैं।
(4) गृह अवशेष
- कालीबंगा में मिट्टी की ईंटों से बने मकान प्राप्त हुए जिन पर मिट्टी का गारा लगा हुआ है।
- आहड़ से मुलायम काले पत्थरों से बने मकान, घरों के फर्श पत्थरों से समतल किए गए हैं।
(5) अस्थियाँ
- बागौर के उत्खनन में अस्थियों के अवशेष मिले हैं लेकिन ये इतने अस्पष्ट हैं कि पता लगाना कठिन है कि पशु कौन कौनसे हैं।
(6) काँच एवं पत्थर के मणके (मणियाँ)
- आहड़ से मूल्यवान, पत्थर जैसे—गोमेद, स्फटिक प्राप्त हुए कालीबंगा में काँच के मणके प्राप्त हुए हैं।
- बालाथल में बहुमूल्य पत्थर के मणके प्राप्त हुए हैं।
(7) मुद्राएँ एवं मुहरें
- आहड़ से 6 ताम्र मुद्राएँ व 3 मुहरें, रंगमहल से कुषाणकालीन 105 ताम्र मुद्राएँ तथा बैराठ से 36 मुद्राएँ प्राप्त हुई हैं जिन पर चित्रित आकृतियों से तत्कालीन जनजीवन के बारे में जानकारी मिलती है।
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