राजस्थान के इतिहास के प्रमुख स्रोत ( Part :- 3 )
राजस्थान के इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत Part = 3
राजस्थान के इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत को मुख्यत पॉँच भागों में विभाजित किया है।
1. पुरालेखीय स्रोत
2. पुरातात्विक स्रोत
3. ऐतिहासिक साहित्य
4. स्थापत्य एंव चित्रकला
5. आधुनिक ऐतिहासिक ग्रंथ एंव इतिहासकार
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3. ऐतिहासिक साहित्य
(1) संस्कृत साहित्य
- पृथ्वीराज विजय– जयानक द्वारा रचित इस ग्रंथ में चौहान शासकों द्वारा अजमेर साम्राज्य का विस्तार व पृथ्वीराज चौहान की विजयों की जानकारी मिलती है। राजवल्लभ-कुम्भा के शिल्पी मंडन द्वारा रचित शिल्पकला का ग्रंथ जिसमें नगर निर्माण कला की जानकारी मिलती है।
- एकलिंग जी महात्म्य-– मेवाड़ के शासकों की वंशावली का ज्ञान, तत्कालीन वर्ण व्यवस्था एवं आश्रम व्यवस्था का उल्लेख।
- भट्टि काव्य (15वीं सदी)–-जैसलमेर राज्य के विस्तार, जैसलमेर एवं लोद्रवा के निर्माण तथा शासकों की उपलब्धियों की जानकारी मिलती है।
- राजविनोद (सदाशिव द्वारा रचित)-– बीकानेर वासियों के रहनसहन, रीति-रिवाज एवं आमोद-प्रमोद की जानकारी मिलती वंशोत्कीर्तन काव्यम्-बीकानेर राज्य के मंत्री करमचन्द द्वारा रचित जिसमें बीकानेर राज्य के विस्तार, राज्य का वर्णन, दान पुण्य सम्बन्धी संस्थाओं आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
- अमरसार-–महाराणा प्रताप, अमरसिंह प्रथम और कर्णसिंह के शासनकाल की जानकारी इस ग्रन्थ में मिलती है।
- हम्मीर महाकाव्य (नयनचन्द्र सूरि द्वारा रचित)–--चौहानों की वंशावली, मुस्लिम आक्रमणों की जानकारी।
- जगतसिंह काव्य (रघुनाथ द्वारा रचित)—–महाराणा जगतसिंह प्रथम की उपलब्धियों का वर्णन।
- अमर काव्य वंशावली–-राजप्रशस्ति के लेखक रणछोड़ भट्ट द्वारा रचित इस ग्रन्थ में बापा से लेकर राणा राजसिंह तक के मेवाड़ के इतिहास की जानकारी मिलती है।
- राज रत्नाकार (सदाशिव द्वारा रचित)–-महाराणा राजसिंह तक मेवाड के राजनीतिक इतिहास की जानकारी।
- अजितोदय (जगजीवन भट्ट द्वारा रचित)–-मारवाड़ के इतिहास की जानकारी मिलती है।
(2) राजस्थानी साहित्य
रासौ साहित्य–
- 19वीं शताब्दी से 16वीं शताब्दी तक प्रचलित राजस्थानी भाषा की रचनाओं में सर्वाधिक लोकप्रिय साहित्य ‘रासौ साहित्य’ रहा।
- इसमें बीसलदेव रासौ (नरपति नाल्ह) एवं पृथ्वीराज रासौ (चन्दबरदाई) के द्वारा तत्कालीन राजपूत राज्यों की राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थिति के बारे में जानकारी मिलती है।
ख्यात साहित्य–
- मुण्डीयार की ख्यात (राठौड़ों की ख्यात) यह ख्यात मुण्डीयार (नागौर) के चारण साहित्यकारों द्वारा रचित मानी जाती है। इसके रचनाकार के बारे में व रचनाकाल की जानकारी नहीं है।
- इसमें राठौड़ राव सीहा से लेकर जसवंत सिंह तक की जानकारी मिलती है।
- इसमें मुगलों को ब्याही गई राठौड़ राजकुमारियों का वर्णन भी मिलता है।
(3) फारसी साहित्य
- ताज-उल मासिर– सदरउद्दीन हसन निजामी’ द्वारा रचित, इस ग्रंथ में अजमेर की समृद्धि तथा मुस्लिम आक्रमण से होने वाली बर्बादी का वर्णन मिलता है।
- तबकाते नासिरी– काजी मिनहाज-उस-सिराज’ द्वारा रचित इस ग्रंथ में इल्तुतमिश से लेकर सुल्तान नासिरुद्दीन के राज्यकाल के 15वें वर्ष तक की जानकारी एवं जालोर व नागौर पर मुस्लिम आक्रमण की जानकारी मिलती है। इसमें लेखक ने उत्तरी-पूर्वी राजस्थान को ‘मेवात’ कहा।
- खजाइनुल फुतूह- ‘अमीर खुसरो’ द्वारा रचित इस ग्रंथ में अलाउद्दीन खिलजी की विजयों, आर्थिक सुधार व बाजार-नियंत्रण की जानकारी मिलती है। इसमें चित्तौड़ व रणथम्भौर की शासन व्यवस्था तथा सती प्रथा का वर्णन मिलता है।
- तजकिरात-उल-वाकेयात– ‘जौहर आफताबची’ द्वारा रचित हुमायूँ की इस जीवनी में हुमायूँ द्वारा मालदेव से मिलने के प्रयासों एवं मारवाड़, बीकानेर और जैसलमेर के मरुक्षेत्र की कठिनाइयों का वर्णन मिलता है।
- हुमायूँनामा-गुलबदन बेगम’ द्वारा रचित इस ग्रंथ में हुमायूँ के मारवाड़ व मेवाड़ के साथ सम्बन्धों तथा रेगिस्तानी क्षेत्र की जलवायु के बारे में वर्णन मिलता है।
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