राजस्थान में सिंचाई एंव पेयजल परियोजनाएँ | ExamSector
राजस्थान में सिंचाई एंव पेयजल परियोजनाएँ

राजस्थान में सिंचाई एंव पेयजल परियोजनाएँ (Irrigation and Drinking Water Projects )

rajasthan me sichai pariyojna

  • राजस्थान में भारत के कुल सतही जल का मात्र 1% उपलब्ध है।
  • राज्य के कुल कृषि क्षेत्र का 2/3 भाग वर्षा पर निर्भर है।
  • भारत के कुल सिंचित क्षेत्र का 9.2% भाग राजस्थान में है।
  • चम्बल के अलावा राजस्थान में कोई बारहमासी नदी नहीं है।

राजस्थान में सिंचाई के स्रोत

क्र. सं. स्रोत कुल सिंचित क्षेत्र का प्रतिशत
1. कुएँ एवं नलकूप 66.54%
2. नहरें 31.09%
3. अन्य 2.37%
  • राजस्थान के कल सिंचित क्षेत्र का सर्वाधिक भाग श्रीगंगानगर जिले में एवं सबसे कम भाग राजसमन्द जिले में मिलता है।
  • कुल कृषि क्षेत्र के सर्वाधिक भाग पर सिंचाई श्रीगंगानगर जिले में तथा सबसे कम चूरू जिले में होती है।
  • राज्य में गेहूँ की फसल के अंतर्गत सर्वाधिक सिंचित क्षेत्र है इसके पश्चात् क्रमशः राई एवं सरसों, कपास का स्थान आता है।
  • राज्य में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जयपुर, कोटा, झालावाड़, चित्तौड़, बूंदी, भरतपुर एवं दौसा सघन सिंचाई वाले जिले हैं।
  • राज्य में सबसे कम सिंचित क्षेत्र क्रमशः चूरू, जैसलमेर, बीकानेर एवं जोधपुर जिले में पाया जाता है।
  • राज्य में सिंचाई के प्रमुख साधन–कुएँ, नलकूप, नहरें, तालाब, एनीकट एवं जोहड़ हैं।
  • राज्य में चार तरह की सिंचाई परियोजनाएँ हैं—बहुउद्देश्यीय, वृहद्, मध्यम एवं लघु।
  • इंदिरा गांधी नहर राजस्थान की सबसे बड़ी एवं महत्त्वपूर्ण सिंचाई परियोजना है जबकि बीसलपुर बाँध राज्य में सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है।
  • स्वतंत्रता प्राप्ति के समय राजस्थान में एक वृहद परियोजना (गंग नहर), 42 मध्यम परियोजनाएँ एवं 2272 लघु सिंचाई परियोजनाएँ थीं, ये सभी परियोजनाएँ कुल चार लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित करती थीं।
  • मार्च, 2009 तक राजस्थान में सभी प्रकार की सिंचाई योजनाओं से 36.46 लाख हैक्टेयर सिंचाई क्षमता का सृजन किया जा चुका है। राज्य में कुओं एवं नलकूपों से सर्वाधिक सिंचाई जयपुर जिले में, नहरों द्वारा श्रीगंगानगर जिले में एवं तालाबों द्वारा भीलवाड़ा जिले में की जाती है।
  • राज्य के दक्षिणी-पूर्वी भाग में तालाबों द्वारा सिंचाई अधिक होती है।
  • अलवर, भरतपुर, जयपुर एवं दौसा जिलों में ऐनिकटों का निर्माण करके छोटे स्तरों पर सिंचाई की जाती है। इसे ‘जोहड़ पद्धति कहते हैं। राजस्थान में इस पद्धति को लोकप्रिय बनाने का श्रेय मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेन्द्र सिंह’ (जोहड़ वाले बाबा) को जाता है।
  • राजस्थान का 60% से अधिक क्षेत्र शुष्क एवं मरुस्थलीय है, यहाँ पर सतही एवं भूमिगत जल दोनों की कमी है। इंदिरा गांधी नहर एवं नर्मदा नहर द्वारा इस क्षेत्र में सिंचाई एवं पेयजल की सुविधा | का विस्तार किया जा रहा है।
  • दसवीं पंचवर्षीय योजना में प्रस्तावित 6 वृहद् (ईसरदा,मनोहरथाना, इंदिरा लिफ्ट, कालीसिंध, परवन एवं माही उच्च स्तरीय), 4 मध्यम (गरदड़ा, बांडी-सेंदड़ा, सूकली-सेलवाड़ा एवं पीपलदा लिफ्ट) तथा 85 लघु सिंचाई परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है।

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