मध्य प्रदेश का कृषि विभाग
मध्य प्रदेश का कृषि विभाग
Madhya Pradesh ka krishi vibhag
- मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। प्रदेश की जनसंख्या का 70 प्रतिशत भाग कृषि पर आश्रित है। राज्य की करीब 49 प्रतिशत जमीन खेती योग्य है।
- कुल कृषि उत्पादन का 83 प्रतिशत भाग खाद्य फसलों से होता है। इसमें सिंचित भूमि का क्षेत्रफल कुल बोए गए क्षेत्रफल का 14.4 प्रतिशत है। शेष 85.6 प्रतिशत वर्षा पर निर्भर है। मध्य प्रदेश एक बहुत बड़ा राज्य है। भू-संरचना, मिट्टी, तापमान और वर्षा की भिन्नताओं के कारण यहां पैदा होने वाली फसलों में भी विविधता पाई जाती है।
- मध्य प्रदेश भारत में सबसे अधिक सोयाबीन उत्पादित करने वाला राज्य है। राष्ट्रीय स्तर पर राज्य का चना तथा ज्वार उत्पादन की दृष्टि से दूसरा, गेहूं व तिलहन उत्पादन की दृष्टि से चौथा तथा कपास के उत्पादन की दृष्टि से पांचवां स्थान है। यह राज्य खाद्यान्न के मामले में लगभग आत्मनिर्भर है।
कृषि विभाग
- कृषि विभाग द्वारा मध्य प्रदेश को निम्नांकित 5 प्रदेशों में विभाजित किया गया है—
1. उत्तर में ज्वार-गेहूं का प्रदेश –
- यह प्रदेश, मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, भिण्ड, दतिया, छतरपुर और टीकमगढ़ जिलों में विस्तृत है। इसका विस्तार छिंदवाड़ा तथा बैतूल में भी है।
2. मध्य में गेहूं का प्रदेश –
- इसमें होशंगाबाद, दमोह, भोपाल, सीहोर, नरसिंहपुर, रायसेन, विदिशा तथा सागर जिले शामिल हैं।
3. पश्चिम में काली मिट्टी का मालवा प्रदेश –
- इसमें इंदौर, खंडवा, खरगौन, मंदसौर, रतलाम, झाबुआ, धार, देवास, उज्जैन, राजगढ़, शाजापुर आदि शामिल हैं। इस प्रदेश में ज्वार व कपास की फसलों की प्रधानता है।
4. पूर्व में चावल का प्रदेश –
- इस प्रदेश में मंडला, रीवा, सीधी, शहडोल और बालाघाट जिले शामिल हैं।
5. चावल-गेहूं का प्रदेश –
- यह प्रदेश उत्तर में पन्ना, सतना, जबलपुर तथा सिवनी के दक्षिण तक एक पेटी के रूप में है।
मध्य प्रदेश में मुख्य रूप से दो प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं–
- 1. खरीफ की फसल और 2. रबी की फसल।
- मध्य प्रदेश में खरीफ की फसल को ‘स्लायू’ के नाम से और रबी की फसल को ‘आलू’ के नाम से अभिहित किया जाता है।
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