Mahaaraana Saanga महाराणा सांगा (1509-1528 ई.) | ExamSector
Mahaaraana Saanga महाराणा सांगा (1509-1528 ई.)

Mahaaraana Saanga महाराणा सांगा (1509-1528 ई.)

नमस्कार दोस्तों welcome to our website  ExamSector.Com. दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से में आपको Mahaaraana Saanga महाराणा सांगा के बारे में बताऊंगा। Mahaaraana Saanga महाराणा सांगा कौन थे। तथा Mahaaraana Saanga महाराणा सांगा कितने युद्ध लड़े। Mahaaraana Saanga महाराणा सांगा ने कितने युद्ध में विजय प्राप्त की। तथा Mahaaraana Saanga महाराणा सांगा का जन्म और मृत्यु कब हुई। इन सब के बारे में , में आपको इस पोस्ट की मदद से बताऊंगा। दोस्तों आपको अगर आपको पोस्ट अच्छी लगी तो आपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।

  • रायमल के तीन पुत्रों पृथ्वीराज, जयमल व संग्रामसिंह (सांगा) ने अपनी जन्मपत्रियाँ ज्योतिषी व पुजारिन को दिखाई जिन्होंने संग्रामसिंह (सांगा) के भाग्य में राजयोग बताया जिससे क्रुद्ध होकर पृथ्वीराज ने संग्रामसिंह (सांगा) पर वार किया जिससे उनकी आँख चली गई तथा भागकर सांगा ने कर्मचंद (अजमेर) के यहाँ शरण ली। बाद में पृथ्वीराज व जयमल की मृत्यु हो जाने पर सांगा 5 मई, 1509 ई. में शासक बना।
  • महमूद खिलजी को मालवा का शासक बनाने में चन्देरी के राजपूत सरदार मेदिनीराय ने सहायता दी लेकिन मेदिनीराय की बढ़ती शक्ति से घबराकर गुजरात की सहायता से महमूद खिलजी ने मेदिनीराय पर आक्रमण करके उसके पुत्र व परिवार की हत्या उस समय कर दी गई जब मेदिनीराय महाराणा सांगा से सहायता प्राप्त करने गया हुआ था तत्पश्चात खिलजी ने गागरोन पर आक्रमण कर दिया, इससे क्रुद्ध होकर महाराणा सांग ने विशाल सेना के साथ आक्रमण किया। गागरोन में हुए युद्ध में मालवा की सेना हार गई तथा सुल्तान खिलजी को घायल अवस्था में ही बंदी बना लिया गया।
  • महाराणा सांगा ने सुल्तान महमूद खिलजी का अपनी देखरेख में इलाज करवाया तथा सभी घाव ठीक होने पर ससम्मान मालवा भेजकर सहिष्णुता का ऐतिहासिक उदाहरण प्रस्तुत किया। गुजरात के सुल्तान मुजफ्फरशाह व महाराणा सांगा के मध्य ईडर के उत्तराधिकार को लेकर कई बार संघर्ष हुआ जिसमें गुजरात सुल्तान को हर बार हार का मुँह देखना पड़ा।

महाराणा सांगा व दिल्ली सल्तनत

महाराणा सांगा व इब्राहीम लोदी

  • सिकन्दर लोदी की मृत्यु होने पर 1512 ई. में इब्राहीम लोदी दिल्ली का सुल्तान बना। सांगा व इब्राहीम लोदी के मध्य निम्न युद्ध हुए :
  • खातौली (बूंदी) का युद्ध (1518 ई.)महाराणा सांगा व इब्राहीम लोदी के मध्य लड़ा गया जिसमें महाराणा सांगा विजयी रहे।
  • बाड़ी (धौलपुर) का युद्ध महाराणा सांगा व इब्राहीम लोदी के सेनानायकों मियाँ हुसैन व मियाँ मक्खन के मध्य, इसमें भी महाराणा सांगा विजयी रहे।

महाराणा सांगा व बाबर

  • 1504 ई. में काबुल में सत्ता स्थापित होने के पश्चात् मुगल सेनानायक बाबर दिल्ली सल्तनत के असन्तुष्ट सामन्तों के निमंत्रण पर दिल्ली पर आक्रमण करके पानीपत के प्रथम युद्ध (1526 ई.) में इब्राहीम लोदी को हराकर दिल्ली व आगरा का शासक बन गया।
  • खानवा (भरतपुर) का युद्ध (17 मार्च, 1527 ई.)—महाराणा सांगा व बाबर के मध्य, जिसमें बाबर विजयी रहा तथा भारत में मुगल सत्ता की स्थापना हुई।

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खानवा युद्ध से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण तथ्य

  1. खानवा के युद्ध से पूर्व सांगा की शक्ति से भयभीत होकर बाबर ने राणा सांगा से संधि का प्रयास किया था जिसमें रायसेन (M.P.) के शासक सलहदी तंवर ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी।
  2. खानवा के युद्ध में भारत में सर्वप्रथम तोपखाने का प्रयोग हुआ तथा युद्ध की तुलुगमा पद्धति अपनायी गई।
  3.  खानवा युद्ध में राणा सांगा के घायल होने पर झाला राजसिंह के पुत्र झाला अज्जा को राणा सांगा के राज्य चिह्न धारण कर हाथी पर बिठाया गया।
  4. खानवा विजय के पश्चात बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की।
  5. बाबर ने मुगल सैनिकों को युद्ध हेतु प्रेरित करने के लिए अपने ओजपूर्ण भाषण में खानवा के युद्ध को धर्म युद्ध (जिहाद) घोषित कर दिया।
  6. खानवा के युद्ध में सांगा के पक्ष में उसके मुस्लिम सेनापति हसन खाँ मेवाती ने युद्ध किया।
  7. खानवा के युद्ध में घायल होने पर महाराणा सांगा को उनके विश्वस्त सरदार बसवा (दौसा) ले गए, वहाँ होश में आने पर महाराणा सांगा ने बिना बाबर को हराये चित्तौड़ न जाने व सिर पर पगड़ी नहीं बाधने की कसम खाई तथा स्वयं ईरिच के मैदान में पहुँच गया तथा राजपूत सरदारों को युद्ध हेतु आमंत्रित किया, यहाँ राजपूत सरदारों ने उसे जहर दे दिया जिससे उनकी काल्पी में 30 जनवरी, 1528 में मृत्यु हो गई इनका दाह संस्कार माण्डलगढ़ (भीलवाड़ा) में किया गया, जहाँ उनकी समाधि स्थित है।
      
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