Major functions and powers of the President
राष्ट्रपति के प्रमुख कार्य और शक्तियाँ
( Major functions and powers of the President )
- राष्ट्रपति के कार्यों को दो भागों में बांटा गया है
1. सामान्य कार्य
2. आपातकालीन कार्य
इने भी जरूर पढ़े –
(1) सामान्य कार्य-
- सामान्य कार्यो के अन्तर्गत राष्ट्रपति निम्नलिखित कार्य करता है |
- नियुक्ति संबधी अधिकार- राष्ट्रपति निम्न की नियुक्ति करता है
(1) भारत का प्रधानमंत्री, (2) प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रीपरिषद के अन्य सदस्यों, (3) सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों, (4) भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक/(5) राज्यों के राज्यपाल, (6) मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त, (7) भारत के महान्यायवादी, (8) राज्यों के मध्य समन्वय के लिये अंतर्राज्यीय परिषद के सदस्य, (७) संघीय लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों, (10) संघीय क्षेत्रों के मुख्य आयुक्तों , (11) वित्त आयोग के सदस्यों, (12) भाषा आयोग के सदस्यों, (13) पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्यों, (14) अल्पसंख्यक आयोग के सदस्यों, (15) भारत के राजदूतों तथा अन्य राजनयिकों, (16) अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबध में रिपोर्ट देने वाले आयोग के सदस्यों आदि।
कार्यपालिका शक्तियाँ:
- देश का कार्यपालिका प्रधान
- केन्द्रशासित प्रदेशों का मुख्य प्रशासक
- केन्द्र विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति (चांसलर)
विधायी शक्तियाँ-
- राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होता है। इसे निम्न विधायी शक्तियाँ प्राप्त होती है–
- संसद के सत्र को आहुत करने, सत्रावसान करने तथा लोकसभा भंग करने संबंधी अधिकार।
- संसद के एक सदन में या एक साथ सम्मिलित रूप से दोनों सदनों में अभिभाषण करने की शक्ति ।
- लोकसभा के लिये प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात प्रथम सत्र के प्रारम्भ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरम्भ में सम्मिलित रूप से संसद में अभिभाषण करने की शक्ति ।
- संसद द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद ही कानून बनता है।
- संसद सदस्यों के मनोनयन का अधिकार- जब राष्ट्रपति को यह लगें कि लोकसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय के व्यक्तियों का समुचित प्रतिनिधित्व नहीं है, तब उस समुदाय के दो व्यक्ति यों को लोकसभा के सदस्य के रूप में नामांकित कर सकता है। इसी प्रकार वह कला, साहित्य, पत्रकारिता, विज्ञान तथा सामाजिक कार्यों में पर्याप्त अनुभव एवं दक्षता रखने वाले 12 व्यक्तियों को राज्यसभा में नामजद कर सकता है।
- अध्यादेश जारी करने की शक्ति:- संसद के स्थगन के समय अनु. 123 के तहत अध्यादेश जारी कर सकता है। जिसका प्रभाव संसद के अधिनियम के समान होता है। इसका प्रभाव संसद सत्र शुरू होने के छ: सप्ताह तक रहता है। परंतु राष्ट्रपति राज्य सूची के विषयों पर अध्यादेश नही जारी कर सकता है, जब दोनो सदन सत्र में होते है, तब राष्ट्रपति को यह शक्ति नही होती है। सैनिक शक्ति:- सैन्य बलों की सर्वोच्च शक्ति राष्ट्रपति में निहित होती है, अर्थात् राष्ट्रपति तीनों सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति होता है।
राजनैतिक शक्ति:-
- दूसरे देशों के साथ कोई भी समझौता या संधि राष्ट्रपति के नाम से की जाती हैं। राष्ट्रपति विदेशों के लिये भारतीय राजदुतों को नियुक्त करता है एवं भारत में विदेशों के राजदतों की नियुक्ति का अनुमोदन करता है।
वित्तीय शक्ति-
- लोकसभा में धन विधेयक को प्रस्तुत करने से पूर्व राष्ट्रपति से पूर्वानुमति लेना आवश्यक है तथा संघ की आकस्मिक निधि भी राष्ट्रपति के नियंत्रण में रहती है।
क्षमादान की शक्ति:-
- संविधान के अनु. 72 के अंतर्गत राष्ट्रपति को किसी अपराध के लिये दोषी ठहराये गये किसी व्यक्ति के दण्ड को क्षमा करने, दण्ड को निलम्बित करने, दण्ड को कम करने, सर्वक्षमा प्रदान करने का अधिकार है।
(2) राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां:
- राष्ट्रपति तीन प्रकार आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग करता है।
(a) युद्ध या आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण लगाया (LL/गया आपात (अनु. 352)।
(b) राज्यों में सांविधानिक तंत्र के विफल होने से उत्पन्न आपात (अनु. 356)।
(c) वित्तीय आपात (अनु. 360) | - भारत में अब तक तीन बार अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रपति शासन आपातकाल) लगाया गया।
- 1962 में चीन के आक्रमण के समय।
- 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय।
- 1975 में आंतरिक अशांति के कारण।
नोट- वर्तमान में मंत्रिमण्डल की लिखित सलाह पर आपातकाल लगाया जाता है। संसद की बिना अनुमति के एक माह तक तथा संसद की अनुमति से 6 माह तक और अधिकतम असीमित समय के लिए। - अनुच्छेद 356 का प्रथम प्रयोग पंजाब में, 2012 में इसका प्रयोग झारखण्ड में तथा 2014 में इसका प्रयोग दिल्ली तथा आंध्रप्रदेश में, 2015 में अरूणाचल प्रदेश व उत्तराखण्ड में तथा 2018 में जम्मू कश्मीर में किया गया।
- सर्वाधिक बार अनुच्छेद 356 का प्रयोग इंदिरा गांधी द्वारा किया गया।
- राजस्थान में अनुच्छेद 356 का प्रयोग 4 बार – 1967, 1977, 1980, 1992 में किया गया।
- अनुच्छेद 360 का प्रयोग अब तक एक भी बार नहीं किया गया। राष्ट्रपति किसी सार्वजनिक महत्व के प्रश्न पर उच्चतम न्यायालय के अनु. 143 के अधीन परामर्श ले सकता है, किसी लेकिन वह यह परामर्श मानने के लिये बाध्य नही है।
इने भी जरूर पढ़े –
Read Also This