Maurya Samrajya ( Chandragupta Maurya ) History in Hindi
मौर्य साम्राज्य ( Maurya Samrajya )
- अखिल भारतीय साम्राज्य की स्थापना प्रथम बार मौर्यकाल में हुई। इस काल से भारतीय इतिहास में एक निश्चित तिथिक्रम का ज्ञान आंरभ हुआ।
चन्द्रगुप्त मौर्य (322 ई. पू. – 298 ई. पू.):
- चन्द्रगुप्त भारतीय इतिहास का प्रथम महान् सम्राट था। उसने अपने गुरू एवं मन्त्री विष्णुगुप्त, जिसे इतिहास में ‘चाणक्य’ के नाम से जाना जाता है, की सहायता से भारत को यूनानी शक्तियों से मुक्त कराया और मगध के नन्दवंशीय राजा धननन्द को सिंहासन से पदच्युत कर मगध राज्य पर अपना अधिकार स्थापित किया। चाणक्य ने 322 ई. पू. में उसका राज्याभिषेक किया। पाटलिपुत्र चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्य की राजधानी थी।
- यूनानी शासक सेल्युकस ने 305 ई. पू. में भारत पर आक्रमण किया था। इस आक्रमण में चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्युकस को पराजित किया था। चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्युकस निकेटर की पुत्री हेलन से विवाह किया।
- सेल्युकस ने मेगस्थनीज नामक अपना एक राजदूत चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा। मेगस्थनीज ने भारत पर ‘इंडिका’ नामक एक पुस्तक की रचना की थी।
- जूनागढ़ अभिलेख में वर्णित है कि सौराष्ट्र के कृषकों को सिंचाई की सुविधा देने के लिए चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रान्तीय शासक पुष्यगुप्त वैश्य ने सुदर्शन झील बनवाई और उससे नहरें निकाली गईं।
- चन्द्रगुप्त मौर्य को ग्रीक ग्रंथों में ‘सेण्ड्रोकोट्स’ कहा गया है।
अशोक ‘प्रियदर्शी’ (273 – 237 ई. पू.):
- बिन्दुसार के पुत्र अशोक को मास्की शिलालेख में ‘देवानामप्रिय’ व ‘प्रियदर्शी’ कहा गया है। 273 ई. पू. में राज्यारोहण के चार वर्ष के सत्ता संघर्ष के पश्चात् 269 ई. पू. में अशोक का औपचारिक राज्याभिषेक हुआ।
कलिंग का युद्ध :
- अशोक ने अपने राज्यारोहण के 8वें वर्ष में कलिंग का युद्ध किया था। कलिंग युद्ध के पश्चात् अशोक ने युद्ध नीति को सदैव के लिए त्याग दिया तथा दिग्विजय (भेरी-घोष) के स्थान पर धम्म घोष (धम्म विजय) को अपनाया था। कलिंग युद्ध के बाद वह बौद्ध धर्म का अनुयायी बन गया।
- अशोक के राज्यकाल में पाटलिपुत्र में मोग्गलिपुत्ततिस्स नामक बौद्ध भिक्षु की अध्यक्षता में बौद्ध धर्म की तृतीय संगीति हुई। अशोक ने अपने पुत्र-पुत्री महेन्द्र व संघमित्रा के नेतृत्व में बौद्ध धर्म के प्रसार हेतु पहली बार भारत के बाहर श्रीलंका भेजा।
- अशोक के अधिकांश अभिलेख ब्राह्मी लिपि एवं प्राकृत भाषा में प्राप्त होते हैं। सामान्यतः अशोक के अभिलेखों में तीन लिपियों का प्रयोग किया गया है। ये लिपियाँ हैं
- ब्राह्मी लिपि
- खरोष्ठी लिपि- मनसेरा (हजारा-पाकिस्तान) और शाहबाज़गढ़ी (पेशावर-पाकिस्तान) अभिलेखों में प्राप्त। (यह लिपि दाईं से बाईं और माइक लिपि- ‘शार-ए-कुजा नामक स्थान से प्राप्त
- ग्रीक (यूनानी) एवं अरामाइक लिपि- ‘शार-ए-कुजा’ अभिलेख से प्राप्त। यह कंधार से प्राप्त द्विभाषीय अभिलेख अशोक का भाबू शिलालेख- राजस्थान में बैराठ नामक स्थान से प्राप्त हुआ है। इसमें अशोक के बौद्ध धर्म अनुयायी होने का स्पष्ट प्रमाण है।
- इसमें अशोक ने बुद्ध, धम्म तथा संघ का अभिवादन किया है।
- जेम्स प्रिंसिप ने 1837 ई. में सर्वप्रथम अशोक के अभिलेखों को पढ़ा।
- हमारे देश का राष्ट्रीय चिन्ह (अशोक स्तम्भ) अशोक के सारनाथ स्तम्भ के ऊपर निर्मित्त है।
मौर्य प्रशासन की जानकारी मुख्यत: तीन स्रोतों से होती है
- कौटिल्य का अर्थशास्त्र,
- मेगस्थनीज़ की इंडिका एवं
- अशोक के अभिलेख।
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