स्वास्थ्य शिक्षा – अर्थ एवं उद्देश्य (Meaning and Aims of Health Education)
स्वास्थ्य शिक्षा – अर्थ एवं उद्देश्य (Meaning and Aims of Health Education)
Meaning and Aims of Health Education in Hindi
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ (Meaning of helth education)
- आज का युग वैज्ञानिक युग है । इस युग में इलेक्ट्रोनिक्स एवं मशीनीकरण के क्षेत्र में बहुत उन्नति हुई है । अगर इसके दूसरे पहलू को देखें तो हम कह सकते हैं कि आज का युग प्रदुषण का युग हैं I इस प्रदुषित युग का प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य पर पड़ता है और स्वास्थ्य शारीरिक शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्देश्य है । मनुष्य के स्वास्थ्य को स्वस्थ रखना हमारे लिए चिन्ता का विषय बन गया है । शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों में स्वास्थ्य का बड़ा योगदान है जबकि स्वास्थ्य शारीरिक क्रियाओं पर निर्भर करता है । शारीरिक शिक्षा का एक अच्छा कार्यक्रम स्वास्थ्य के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है । स्वच्छता, संचारी रोगों से बचाव, स्वच्छ अवस्था, बीमारियों का ईलाज, पर्याप्त मात्रा में संतुलित भोजन, नियमित व्यायाम व रहन-सहन का स्तर अच्छा होना आदि कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कारक हैं जिन पर स्वास्थ्य निर्भर करता है ।
- आज का बालक कल का भविष्य है । उसको इस बात का ज्ञान होना आवश्यक है कि अपने तन तथा मन को किस प्रकार स्वस्थ रखा जा सकता है । एक प्राचीन कहावत है कि स्वास्थ्य ही जीवन है । अगर धन खो दिया तो कुछ नहीं खोया लेकिन यदि स्वास्थ्य खो दिया तो सब कुछ खो दिया । सुखी जीवन के लिए उत्तम स्वास्थ्य का होना अनिवार्य है । एक स्वस्थ व्यक्ति अपने परिवार, समाज तथा देश के लिए हर प्रकार से सेवा प्रदान कर सकता है जबकि अस्वस्थ या बीमार व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता है ।
- अतः स्वास्थ्य शिक्षा के विषय में जानना एक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गई है । आधुनिक युग में स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा को पढ़ाते समय ऐसे तरीकों को अपनाना चाहिये जिससे केवल स्वास्थ्य का विकास न हो बल्कि व्यक्तिगत रूप से अच्छी आदतों का भी निर्माण हो जो विद्यार्थी के अच्छे स्वास्थ्य के निर्माण में अपना सर्वोतम प्रभाव डाल सके ।
- डॉ. थॉमस वुड के शब्दों में- स्वास्थ्य शिक्षा उन अनुभवों का जोड है जो व्यक्ति, समुदाय एवं सामाजिक स्वास्थ्य के साथ संबंधित आदतों, प्रवृतियों एवं ज्ञान को सही रूप में प्रभावित करता है । जे.एफ. विलियम्स के अनुसार- स्वास्थ्य जीवन का वह गुण है जो व्यक्ति को अधिक समय तक जीवित रहने तथा सर्वोतम प्रकार से सेवा करने योग्य बनाता है ।
- ग्राउंट के अनुसार “स्वास्थ्य शिक्षा का भाव यह है कि स्वास्थ्य के बारे में जो कुछ भी ज्ञान है उसको शिक्षा की विधि द्वारा उचित व्यक्तिगत एवं सामुदायिक व्यवहार में बदलना है ।”
- स्वामी विवेकानन्द ने कहा है कि “एक कमजोर आदमी जिसका शरीर या मन कमजोर है वह कभी भी मजबूत काया का मालिक नहीं बन सकता है।”
- सोफी के अनुसार “स्वास्थ्य शिक्षा लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े हुये व्यवहार से संबंधित है ।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा – केवल बीमारी या कमजोरी का न होना ही पूर्ण स्वास्थ्य नहीं है अपितु पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति ही उत्तम स्वास्थ्य है ।”
- वास्तव में स्वास्थ्य शिक्षा में वे सब क्रियाएं सम्मिलित होती हैं जिनसे व्यक्ति में स्वास्थ्य के प्रति सजकता बढ़ती है जिसके फलस्वरूप बालक का स्वास्थ्य तन्दुरूस्त रहता है ।
स्वास्थ्य शिक्षा के लाभ (Benefits of helth education)
- बालक के स्वस्थ जीवन को सम्पूर्णता की ओर अग्रसर करने तथा स्वास्थ्य की दृष्टि से परिपूर्ण बनाने में स्वास्थ्य शिक्षा के निम्नलिखित लाभ हैं-
1. सन्तुलित भोजन
- संसार में प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ जीवन व्यतीत करना चाहता है और स्वस्थ जीवन के लिए भोजन ही मुख्य आधार होता है । वास्तव में हमें भोजन की आवश्यकता न केवल उर्जा की पूर्ति के लिए बल्कि शरीर की वृद्धि एवं उसकी क्षतिपूर्ति के लिए भी होती है । यदि व्यक्ति सन्तुलित भोजन नहीं लेता है तो उसको अनेक प्रकार के रोग हो सकते है जैसे- विटामिन ए की कमी से रतोन्धी, विटामिन डी के कमी से रिकेट्स तथा विटामिन सी की कमी से स्कर्वी रोग हो सकते है । अतः स्वास्थ्य को दुरूस्त रखने के लिए सन्तुलित भोजन आवश्यक है ।
2. शारीरिक व्यायाम
- स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा व्यक्ति अपने शरीर को कसरत द्वारा लचीला एवं सुदृढ बनाता है । शारीरिक व्यायाम की क्रिया द्वारा पूरे शरीर को तन्दुरूस्त बनाया जा सकता है और कौनसे व्यायाम कब करने चाहिये तथा कब नहीं करने चाहिये का ज्ञान स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा प्राप्त होता है ।
3. स्वास्थ्यप्रद आदतों का विकास
- बचपन में बालक जैसी आदतों का शिकार हो जाता है वो आदत बालक के साथ जीवनपर्यन्त चलती हैं। अतः बालक के स्वास्थ्यप्रद आदतों को अपनाने की कोशिश करनी चाहिये । उदाहरण के तौर पर साफ-सफाई का ध्यान, सुबह जल्दी उठना, रात को जल्दी सोना, खाने-पीने तथा शौच का समय निश्चित होना ऐसी स्वास्थ्यप्रद आदतों को अपनाने से व्यक्ति स्वस्थ तथा दीघार्यु रह सकता है । यह स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा ही सम्भव है ।
4. प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी प्रदान करना
- स्वास्थ्य शिक्षा के द्वारा व्यक्ति को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की जा सकती है जिसके अन्तर्गत व्यक्तियों को प्राथमिक चिकित्सा के सामान्य सिद्धान्तों की तथा विभिन्न परिस्थितियों में जैसे- सांप के काटने पर, डूबने पर, जलने पर, अस्थि टूटने आदि पर प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी प्रदान की जाती है क्योंकि इस प्रकार की दुर्घटनाएं कहीं, कभी भी तथा किसी के साथ घट सकती है तथा व्यक्ति का जीवन खतरे में पड़ सकता है । ऐसी जानकारी स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा ही दी जा सकती है ।
5. जागरूकता एवं सजकता का विकास
- स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा एक स्वस्थ व्यक्ति सजक एवं जागरूक रह सकता है । उसके चारों तरफ क्या घटित हो रहा है उसके प्रति वह हमेशा सचेत रहता है । ऐसा व्यक्ति अपने कर्तव्यों एवं अधिकारों के प्रति सजक एवं जागरूक रहता है ।
6. बीमारियों से मुक्ति मिलती है
- स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा एक स्वस्थ व्यक्ति प्रायः बीमारियों से मुक्त रहता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि एक स्वस्थ व्यक्ति कभी बीमार नहीं होता है । वह बीमार हो सकता है लेकिन एक सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा रोग निवारक या रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है । स्वस्थ व्यक्ति प्रायः बीमारियों से लड़ने में सक्षम होता है ।
7. सकारात्मक दृष्टिकोण
- स्वास्थ्य शिक्षा से व्यक्ति की सोच काफी विस्तृत होती है । वह दूसरे व्यक्तियों के दृष्टिकोण को भली भांति समझता है। उसकी सोच संकीर्ण नहीं होकर व्यापक दृष्टिकोण वाली होती है।
8. उर्जा, जोश व जीवन्तता का विकास होता है।
- स्वास्थ्य शिक्षा से व्यक्ति में उर्जा, जोश व जीवन्तता का विकास होता है । वह मानसिक तथा शारीरिक थकान महसूस नहीं करता है । अतएव वह अन्त तक नई उर्जा व जोश के साथ अन्तहीन सत्त प्रयास करता रहता है। उसमें कुछ कर गुजरने की लालशा होती है । स्वस्थ व्यक्ति जीवनभर उत्तम सेवाएं देता रहता है। दैनिक कार्यो को करने में उसकी बेहद रूचि होती है । यह सब स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा ही व्यक्ति सीखता है ।
स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य ( Object of helth education)
- विद्यार्थियों का समुचित विकास स्वास्थ्य शिक्षा पर निर्भर करता है अतः उनके लिए स्वास्थ्य शिक्षा के निम्नलिखित उद्देश्य हैं –
- विद्यालय में स्वास्थ्यपूर्ण वातावरण बनाये रखना ।
- बच्चों में ऐसी स्वाभाविक आदतों का विकास करना जो स्वास्थ्यप्रद हो ।
- संक्रामक रोगों से बचने का उपाय करना ।
- विद्यालय, घर और समाज में उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए आपसी सहयोग विकसित करना ।
- शारीरिक रोगों की जांच करना व सुधरने योग्य विद्यार्थियों को सुधारने की कोशिश करना । सभी विद्यार्थियों के स्वास्थ्य का निरीक्षण करना व निर्देश देना ।
- सभी विद्यार्थियों में स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान तथा अभिव्यक्ति का विकास करना ।
- व्यक्तिगत सफाई तथा स्वच्छता के बारे न केवल ज्ञान कराना बल्कि अनुपालना भी कराना । स्वास्थ्य संबंधी आदतों का विकास करना
स्वास्थ्य के बारे में सजकता । - रोगों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करना तथा प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी देना ।
- बालक के स्वास्थ्य के लिए माता-पिता को निर्देश देना ।
- निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि स्वास्थ्य शिक्षा के उपरोक्त उद्देश्यों को अपनाते हुये हम इस लक्ष्य को प्राप्त करते हुये प्रत्येक व्यक्ति के स्वास्थ्य के स्तर को ऊपर उठा सकतें हैं ।
महत्वपूर्ण बिन्दू –
1. शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों में स्वास्थ्य का बड़ा योगदान है जबकि स्वास्थ्य शारीरिक क्रियाओं पर निर्भर करता है ।
2. एक प्राचीन कहावत है कि स्वास्थ्य ही जीवन है अगर धन खो दिया तो कुछ नहीं खोया लेकिन स्वास्थ्य खो दिया तो सब कुछ खो दिया ।
3. स्वास्थ्य शिक्षा लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े हुये व्यवहार से सम्बन्धित है।
4. बालक के स्वस्थ्य जीवन को सम्पूर्णता की ओर अगसर करने तथा स्वास्थ्य की दृष्टि से परिपूर्ण बनाने में स्वास्थ्य शिक्षा का ही योग है ।
5. स्वास्थ्य शिक्षा के द्वारा प्रत्येक व्यक्ति के स्वास्थ्य के स्तर को ऊपर उठा सकते है ।
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