भौतिक भूगोल की प्रकृति एवम् अध्ययन क्षेत्र
भौतिक भूगोल की प्रकृति एवम् अध्ययन क्षेत्र (Nature & Scope of Physical Geography)
Nature and Scope of Physical Geography in Hindi
- भूतल, भौतिक भूगोल के अध्ययन का केन्द्र बिन्दु है । भौतिक भूगोल का प्रारम्भिक ज्ञान भूगोल की किसी भी शाखा के अध्ययन से अधिक आवश्यक है । भौतिक वातावरण से न केवल मानव का प्रत्येक क्रिया-कलाप अपितु पृथ्वी का कोई भी घटक अप्रभावित नहीं है। वायु, जल तथा स्थल तीनों भागों में भौतिक तथ्यों का समावेश मिलता है तथा तीनों परस्पर में सम्बंधित है ।
- भौतिक वातावरण का प्रमुख गुण परिवर्तन है, अतः भौतिक परिस्थितियों के वितरण के ज्ञान के साथ ही परिवर्तनशीलता का भी अध्ययन भौतिक भूगोल में समाहित है । इस परिवर्तनशीलता के समायोजन से ही विभिन्न भौतिक परिस्थितियों की उत्पत्ति होती है। भौतिक भूगोल के अन्तर्गत निम्न चार प्रमुख अंगों यथा स्थलमण्डल, जलमण्डल, वायुमण्डल एवम् जैवमण्डल का विशद् अध्ययन किया जाता है ।
1. स्थलमण्डल (Lithosphere) –
- पृथ्वीतल पर स्थित समस्त स्थलखण्डों तथा उनके विभिन्न स्वरूपों का अध्ययन मुख्य रूप से स्थलमण्डल के अन्तर्गत किया जाता है । जिन अवस्थाओं एवम् प्रक्रियाओं के फलस्वरूप भूतल वर्तमान दशा में पहुँचा है उस पर भी विचार करके अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार के अध्ययन में मुख्यतः पृथ्वी का भू-वैज्ञानिक इतिहास, भूगर्भ की रचना शैलों के प्रकार, ढाल, अन्तर्जात एवम् बर्हिजात बल, संरचना, प्रक्रम, अवस्था आदि सम्मिलित है। भूआकृति – विज्ञान (Geomorphology) के अन्तर्गत स्थलमण्डल की विभिन्न आकृतियों का अध्ययन किया जाता है। स्थलमण्डल के अन्तर्गत जिस भाग पर हम विचरण करते हैं तथा जिस गहराई तक हम इसका उपयोग करते हैं, सम्मिलित है। पृथ्वी का धरातल सर्वत्र समतल नहीं होकर अत्यन्त असमान है। इस धरातल पर कहीं विशाल मैदान है, तो कहीं पर गहरी – गहरी घाटियाँ, या विशाल पर्वत शिखर अथवा कहीं-कहीं पर छोटे-छोटे द्वीप स्थित है। विभिन्न भूगर्भिक शक्तियों व प्रक्रियाओं का महाद्वीपों के निर्माण से लेकर धरातल के विभिन्न स्वरूपों के निर्माण में योगदान रहा है। विभिन्न प्रकार की शैलों का निर्माण इन्हीं भूगर्भिक शक्तियों के परिणामस्वरूप ही होता है । अतः ये सभी तथ्य स्थल मण्डल के अंग है ।
2. वायुमण्डल (Atmosphere) –
- वायु के आवरण द्वारा धरातल चारों ओर से घिरा हुआ है । धरातल पर समस्त वायुमण्डलीय दशाओं तथा जीवधारियों के लिए यही वायुमण्डल आवश्यक है। जलवायु विज्ञान के अन्तर्गत इसका अध्ययन किया जाता है। वायुमण्डल की गैसें हमारे लिए महत्वपूर्ण, अद्भूत एवम् आधारभूत संसाधन है। वायुमण्डल भी भौतिक भूगोल के अन्य घटकों की भांति अत्यन्त परिवर्तनशील घटक है । मौसम के अन्तर्गत वायुमण्डलीय अल्पकालिक परिस्थितियों को तथा जलवायु के अन्तर्गत दीर्घकालिक परिस्थितियों को सम्मिलित किया जाता है । इन वायुमण्डलीय परिघटनाओं के अन्तर्गत वायुमण्डल की संरचना, संगठन, ऊँचाई, तापमान, वायुदाब, पवनों की गति, दिशा, उत्पत्ति एवम् प्रकार, आर्द्रता के रूप, वायुराशियाँ एवम् विक्षोभ, विश्व की जलवायु, मेघाच्छादन, वृष्टि आदि सम्मिलित है ।
3. जलमण्डल (Hydrosphere) –
- पृथ्वी का दो-तिहाई से अधिक क्षेत्र जल द्वारा घिरा है। जलमण्डल में पृथ्वीतल पर विस्तृत समुद्रों एवम् महासागरों से सम्बंध रखने वाले विभिन्न तथ्यों का अध्ययन होता है । जल का संघटन छोटे अथवा बड़े जलाशयों में भिन्न-भिन्न पाया जाता है। गहराई के साथ भी जल में व्यापक भिन्नताएँ पाई जाती है । जलमण्डल में सागरों एवम् महासागरों की उत्पत्ति एवम् वितरण, समुद्री नितल, जल के भौतिक एवम् रसायनिक गुण एवम् संरचना, जल संचार, महासागरीय निक्षेप, महासागरों में तापमान, लवणता, घनत्व, ज्वारभाटा, प्रवाल-भित्तियाँ, लहरें, धाराएँ आदि का अध्ययन किया जाता है। जल मण्डल में विभिन्न प्रकार की गतियाँ पाई जाती है। जैविक एवम् अजैविक संसाधनों का अतुल भण्डार भी जलमण्डल में पाया जाता है । उपरोक्त सभी तथ्यों का अध्ययन जल मण्डल के अंग के रूप में किया जाता है ।
4. जैवमण्डल (Biosphere) –
- वायुमण्डल के मध्य मिट्टी, वनस्पति एवम् जीव-जन्तुओं की परत के रूप में विस्तृत एक संकीर्ण पेटी जैवमण्डल कहलाती है। जैवमण्डल के अन्तर्गत समस्त प्रकार के जीवों, जिसमें मानव, जन्तु एवम् वनस्पति सम्मिलित है, की उत्पत्ति, विकास, वितरण, आवास, जीवन चक्र को प्रभावित करने वाले विभिन्न तत्व, सजीवों तथा पर्यावरण के मध्य पारस्परिक सम्बंध आदि विविध पक्षों का अध्ययन किया जाता है ।
- भूमंडल (भू-आकृतियाँ, प्रवाह, उच्चावच), वायुमंडल (इसकी बनावट, संरचना, तत्त्व एवं मौसम तथा जलव तापक्रम, वायुदाब, वायु, वर्षा, जलवायु के प्रकार इत्या. जलमंडल (समुद्र, सागर, झीलें तथा जल परिमंडल से संबद्ध तत्त्व) जैव मंडल (जीव के स्वरूप – मानव तथा वृहद् जीव एवं उनके पोषक प्रक्रम, जैसे- खाद्य श्रृंखला, पारिस्थैतिक प्राचल (Ecological parametres) एवं पारिस्थैतिक संतुलन) का अध्ययन सम्मिलित होता है । मिट्टियाँ मृदा – निर्माण प्रक्रिया के माध्यम से निर्मित होती है तथा वे मूल चट्टान, जलवायु, जैविक प्रक्रिया एवं कालावधि पर निर्भर करती है । कालावधि मिट्टियों को परिपक्वता प्रदान करती है तथा मृदा पार्श्विका (Profile ) के विकास में सहायक होती है। मानव के लिए प्रत्येक तत्त्व महत्वपूर्ण है। भू-आकृतियाँ आधार प्रस्तुत करती है जिस पर मानव क्रियाएँ संपन्न होती हैं । मैदानों का प्रयोग कृषि कार्य के लिए किया जाता है, जबकि पठारों पर वन तथा खनिज संपदा की प्रचुरता होती है । पर्वत, चरागाहों, वनों, पर्यटक स्थलों के आधार तथा निम्न क्षेत्रों को जल प्रदान करने वाली नदियों के स्रोत होते हैं। जलवायु हमारे घरों के प्रकार, वस्त्र, भोजन को प्रभावित करती है । जलवायु का वनस्पति, शस्य प्रतिरूप, पशुपालन एवं (कुछ) उद्योगों आदि पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
- भौतिक भूगोल प्राकृतिक संसाधनों के मूल्यांकन एवं प्रबंधन से संबंधित विषय के रूप में विकसित हो रहा है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु भौतिक पर्यावरण एवं मानव के मध्य संबंधों को समझना आवश्यक है । भौतिक पर्यावरण संसाधन प्रदान करता है एवं मानव इन संसाधनों का उपयोग करते हुए अपना आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास सुनिश्चित करता है, तकनीकी सहायता से संसाधनों के बढ़ते उपयोग ने विश्व में पारिस्थैतिक असंतुलन उत्पन्न कर दिया है। अतएव सतत् विकास (Sustainable development) के लिए भौतिक वातावरण का ज्ञान नितांत आवश्यक है जो भौतिक भूगोल के महत्व को रेखांकित करता है ।
महत्वपूर्ण बिन्दु –
- भूगोल विषय की मुख्य शाखा भौतिक भूगोल है । भूगोल के दो मुख्य पक्ष – भौतिक अथवा प्राकृतिक वातावरण तथा मानव ।
- जीव और उसके भौतिक वातावरण के सम्बंधों का अध्ययन भूगोल की विषय-वस्तु तथा भौतिक वातावरण का अध्ययन भौतिक भूगोल ।
- भौतिक भूगोल से सम्बंधित कुछ परिभाषाओं में केवल भौतिक वातावरण के अध्ययन तो कुछ अन्य में जैविक वातावरण को भी सम्मिलित करने पर बल । इसकी विषय-वस्तु के मुख्य अंग – स्थलमण्डल, जल मण्डल, वायुमण्डल, जैवमण्डल, नवमण्डल सम्पर्क क्षेत्र या अन्तरापृष्ठ । भौतिक भूगोल के अध्ययन का केन्द्र बिन्दु भूतल या पृथ्वी तल है ।
- भूगोल के अध्ययन में विशिष्टीकरण बढ़ने के साथ भौतिक भूगोल से बहुत सी शाखाएँ प्रस्फुटित हुई । भौतिक भूगोल की मुख्य शाखाएँ – भू-आकृति विज्ञान, खगोलीय भूगोल, जलवायु विज्ञान, मौसम विज्ञान, मृदा भूगोल, समुद्र विज्ञान, जल विज्ञान, हिमानी विज्ञान, भूगणित, भूभौतिकी, पारिस्थितिकी, जैव भूगोल आदि ।
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Geography Questions And Answers in Hindi
प्रश्न 1. भौतिक भूगोल की जिस शाखा में तापमान, वायुदाब, पवनों की दिशा एवं गति, आर्द्रता, वायुराशियाँ, विक्षोभ आदि के विषय में अध्ययन किया जाता है, वह है-
(अ) खगोलीय भूगोल
(ब) समुद्र विज्ञान
(स) मृदा भूगोल
(द) जलवायु विज्ञान
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उत्तर ⇒ { (द) जलवायु विज्ञान }
प्रश्न 2. वह घटक जो भौतिक भूगोल के अंग के रूप में विवादास्पद है, वह है
(अ) वायुमण्डल
(ब) जलमण्डल
(स) स्थलमण्डल
(द) जैव मण्डल
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उत्तर ⇒ { (द) जैव मण्डल }
प्रश्न 3. भूगोल की दो प्रमुख शाखाएँ हैं
(अ) कृषि भूगोल एवं आर्थिक भूगोल
(ब) भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल
(स) पादप भूगोल एवं जीव भूगोल
(द) मौसम भूगोल एवं जलवायु भूगोल
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उत्तर ⇒ { (ब) भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल }
प्रश्न 4. किस भूगोलवेत्ता ने ‘भूगोल (Geography) शब्दावली का सर्वप्रथम उपयोग किया?
(अ) इरेटॉस्थेनीज
(ब) हेरोडोट्स
(स) स्ट्रेबो
(द) टॉलमी
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उत्तर ⇒ { (अ) इरेटॉस्थेनीज }
प्रश्न 5. पृथ्वी की आयु मानी जाती है।
(अ) 4.8 अरब वर्ष
(ब) 5.0 अरब वर्ष
(स) 4.6 अरब वर्ष
(द) 3.9 अरब वर्ष
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उत्तर ⇒ { (स) 4.6 अरब वर्ष }
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